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लव जिहाद पर योगी का  विधिक सर्जिकल स्ट्राईक

लव जिहाद पर योगी का विधिक सर्जिकल स्ट्राईक

by प्रणय विक्रम सिंह
in जनवरी- २०२१, विशेष, सामाजिक
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राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा सहदेव का उनके मुस्लिम पति द्वारा धर्म परिवर्तन हेतु किए गए उत्पीड़न से लव जिहाद की विभीषिका को पूरे देश ने महसूस किया। सेलेब्रेटी शूटर होने के कारण पूरे देश ने बड़े कौतुक के साथ देखा कि कैसे एक मुस्लिम लड़के ने अपनी पहचान छुपा कर हिंदू बनकर तारा सहदेव को प्रेम जाल में फंसाया, विवाह किया, और बाद में मुस्लिम बनने के लिए दबाव डालने लगा। जब उसने मना किया तो उसने उस का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया।

एक बार फिर योगी आदित्यनाथ ने अपने इंकलाबी फैसले से उत्तर प्रदेश को देश में एक मॉडल के तौर पर स्थापित कर दिया है।
यूपी की कैबिनेट द्वारा पारित उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिशोध अध्यादेश-2020 के माध्यम से अनुचित तरीकों से धर्म परिवर्तन द्वारा देश और समाज को अस्थिर करने की कुचेष्टाओं को संचालित करने वाले तंत्र पर योगी सरकार ने विधिक सर्जिकल स्ट्राइक कर सबको अंचभित कर दिया है। यह कानून, धर्म की आड़ में षड़यंत्र करने वालों के मंसूबों को नाकाम करने का ऐलान है। अब मिथ्या निरूपण, बल, असम्यक प्रभाव, प्रलोभन या कपट पूर्ण माध्यम द्वारा धर्मपरिवर्तन का कृत्य संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध होगा।

सवाल है कि आखिर धर्म जैसे पावन विषय पर किसी कठोर कानून की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? क्या यह कानून सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा? क्या भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म परिवर्तन को लेकर कानून बनना वैश्विक फलक पर उसकी उदार छवि को धूमिल नहीं करेगा? इन सवालों के जवाब अध्यादेश के उपबंधों और धर्म परिवर्तन की रहस्यमयी गिरहों को खोलने पर खुद-ब-खुद मिलने लगते हैं।
सबसे अच्छी बात तो यह है कि उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 पूर्णतः सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है, जिसके कारण भारत का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और मजबूत होता है। यह कानून मौजूदा हालातों की जरूरत है।

गौरतलब है कि देश और समाज को संस्कृति परिवर्तन के माध्यम से अस्थिर करने की कोशिशें दशकों से चल रही हैं। लोभ, कपट, झूठ और भय उसके बड़े हथियार हैं। रणबांकुरे, योद्धा जनजातियों की भूमि नार्थ ईस्ट आज ‘क्रिस्तान’ बन अलगाव की आग में जल रही है तो दुनिया को इस्लामिक आग को शोलों में जला रहा ‘जिहाद’ का मायावी मारीच लव जिहाद का रूप धर देश की बेटियों की जिंदगी को बर्बाद कर रहा है। आलम यह है कि कानपुर में 23 नवंबर को उत्तर प्रदेश डखढ ने ‘लव जेहाद’ के 11 मामलों का खुलासा किया है। लव जिहाद को लेकर कथित लिबरल चिंतकों का मत रहा है कि यह शब्द दक्षिणपंथी संगठनों ने ईजाद किया है लेकिन न्यायालय और घटित अपराधों की लंबी फेहरिस्त इस बात की तस्दीक करती हैं कि लव जिहाद एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। जिसमें मुस्लिम पुरुषों द्वारा गैर-मुस्लिम समुदायों से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम में धर्म परिवर्तन हेतु लक्षित करके प्रेम का ढोंग और विवाह किया जाता है। बल्लभगढ़ में हुआ निकिता तोमर हत्याकाण्ड इसका ताजा मामला है।

विदित हो कि निकिता तोमर का वर्ष 2018 में अपहरण भी हुआ था किंतु पुलिस द्वारा सख्त कार्यवाही न किए जाने से एवं परिवार द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाने से निकिता तोमर की हत्या हो गयी। ऐसे ही राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा सहदेव का उनके मुस्लिम पति द्वारा धर्म परिवर्तन हेतु किए गए उत्पीड़न से लव जिहाद की विभीषिका को पूरे देश ने महसूस किया।

सेलेब्रेटी शूटर होने के कारण पूरे देश ने बड़े कौतुक के साथ देखा कि कैसे एक मुस्लिम लड़के ने अपनी पहचान छुपा कर हिंदू बनकर तारा सहदेव को प्रेम जाल में फंसाया, विवाह किया, और बाद में मुस्लिम बनने के लिए दबाव डालने लगा। जब उसने मना किया तो उसने उस का उत्पीड़न करना शुरू कर दिया।

दीगर है कि लव जिहाद या रोमियो जिहाद की अवधारणा भारत में साल 2009 में पहली बार केरल और उसके बाद कर्नाटक के कैथोलिक ईसाइयों के शोर के बाद राष्ट्रीय ध्यानाकर्षण का सबब बनी थी। उनका दावा था कि लगभग 4000 बेटियों को प्रलोभन देकर या डरा कर मुसलमान बना लिया गया है। कुछ मामले उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में भी चले थे। केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के.टी. शंकरन ने जबरदस्ती धर्मांतरण की बात को स्वीकार भी किया था। सरकारी जांच एजेन्सियों ने अपनी विवेचना मे यह पाया था कि कुछ इस्लामी संगठन बाकायदा धर्म-परिवर्तन (तगय्युर) की मुहिम चलाए हुए हैं। इस मुहिम को एक आंदोलन का रूप देने की कोशिश लगातार की जा रही है।

दरअसल मुस्लिम शादियां शरियत के अनुसार होती हैं, जिनमें वर और कन्या दोनों का मुस्लिम होना अनिवार्य होता है अतः शादी के समय धर्मांतरण स्वाभाविक रूप से हो जाता है। लेकिन यदि शादी के लिए मजहब बदलना पड़ता है तो फिर उसे अंतरधार्मिक विवाह कैसे कहा जा सकता है? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि शादी-ब्याह के लिए धर्म-परिवर्तन आवश्यक नहीं है। यह वैध नहीं है।’ कुछ ऐसे ही विचार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भी थे, जब इंदिरा गांधी की शादी फिरोज खान गांधी से हो रही थी, तब उन्होंने कहा था कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन की जरूरत नहीं है।

‘रहमान’ के ‘रमेश’ बन कर प्रेम जाल फैलाने की घटनाएं जब-कब अखबार की सुर्खियां बनती हैं। यूं तो किसी को भी झूठ बोलकर विवाह करने के लिए राजी करना, छल है, अपराध है लेकिन धर्म परिवर्तन की मंशा से छुपाई गई शिनाख्त तो एक वृहद सुनियोजित संगठनात्मक षड़यंत्र का हिस्सा है, जो लव जिहाद के नाम से समाज में जाना जा रहा है।

अभी हाल में ही एक जनसभा में उक्त समस्या को संज्ञान में लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मैं उन लोगों को चेतावनी देता हूं जो पहचान छिपाते हैं और हमारी बहनों के सम्मान के साथ खेलते हैं। यदि आप सुधरते नहीं हैं तो आपकी ‘राम नाम सत्य’ यात्रा निकलेगी। हम लव-जिहाद को रोकने के लिए सख़्ती से कार्य करेंगे। एक प्रभावी क़ानून बनाएंगे।’

‘उ.प्र. विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ में लव जिहाद को लेकर भी सख्ती बरती गई है। राम और कृष्ण की पावन धरा पर न तो कभी प्रेम वर्जित था न ही प्रेम विवाह। ‘एकं सद विप्र: बहुधा वदन्ति’ यानी सत्य तो एक ही है लेकिन विद्वान उसे कई रूप में कहते हैं जैसे भावों का अजस्र प्रवाह सनातन धर्म प्रत्येक मत को मान्यता प्रदान करता है। समस्या, अपने मत को सर्वोत्तम मत मानने के साथ दूसरों को मनवाने की जिद और जद्दोजहद से शुरू होती है जिसका निदान तापस वेशधारी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने खोज लिया है।

ऐसा नहीं है कि अंतर धार्मिक विवाह हेतु देश में अभी तक कोई कानून नहीं था किंतु अंतरधार्मिक विवाह में कोई आपने पार्टनर पर धर्म परिवर्तन हेतु दबाव डाल रहा है कि नहीं इस तथ्य की पड़ताल अभी तक नहीं हो पाती थी, जो अब नए कानून के माध्यम से हो सकेगी। नए कानून के हिसाब से सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन से विवाह भी शून्य श्रेणी में माना जाएगा।

काबिल-ए-गौर है कि यह समस्या पूरे देश की है किंतु इसके निदान हेतु परिणामदायक पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई है। यही नायकत्व है। वैसे यह पहली बार नहीं है, योगी सरकार के साहसिक फैसलों ने वक्त की पेशानी पर अनेक ऐतिहासिक इबारतें लिखी हैं। चाहे वह दंगाइयों से वसूली का निर्णय हो या अवैध कत्लगाहों को बंद करने का फैसला या प्रदेश के दुर्दांत अपराधियों के आर्थिक साम्राज्य पर फैसलाकुन चोट की कार्यवाही, सभी ने सरकार और कानून के इकबाल को बुलंदी अता की है।

खैर, अनुचित माध्यमों से धर्म परिवर्तनों के शूल से कराह रही भारत भूमि के लिए तापसवेश धारी योगी की यह पहल पीड़ा निवारक औषधि की भांति है। निःसंदेह उत्तर प्रदेश का धर्म परिवर्तन कानून अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा पथ बन कर लव जिहाद से पीड़ित बेटियों के जीवन में इंसाफ का प्रकाश बिखेरेगा।

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