हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
हठतंत्र पर भारी गणतंत्र

हठतंत्र पर भारी गणतंत्र

by रमण रावल
in ट्रेंडींग, विशेष, सामाजिक
0

देश का हर आम-खास प्रारंभ से यह मानता रहा है कि कृषि कानून की समग्र वापसी की मांग लेकर दिल्ली का गला दबाकर बैठे लोग किसान तो नहीं है, जो कि गणतंत्र दिवस को दिल्ली में मचे उत्पात के बाद देश की नहीं दुनिया के सामने उजागर हो गया। इस समूचे घटनाक्रम के मद्देनजर यह कहना पड़ रहा है कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और मौलिक नागरिक अधिकारों का चरम दुरुपयोग हमारी महान परंपरा और संवैधानिक ढांचे को कमजोर कर रहा है। जिस व्यवस्था पर हम इतराते रहे हैं और तमाम असहमतियों के बावजूद हम इसके हिमायती बने रहे तो इसलिये कि मर्यादायें कायम रहीं। कितनी विचित्र बात है कि जिस राजनीतिक दल कांग्रेस ने आपातकाल के जरिये अभिव्यक्ति की आजादी और नागरिक अधिकारों को तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनके काकस की जेब में ठूंस दिया था,  वही कांग्रेस अब विपक्ष में रहकर इन्हीं दो तत्वों का इतना बेजा इस्तेमाल करने पर आमादा हो उठी है कि लोकतंत्र की चित्कार पर भी उसे तरस नहीं आता। वामपंथियों और खुराफातियों के साथ मिलकर उसने जिस तरह से गलत प्रयोजन से हुए आंदोलन को हवा देने का काम किया है, वह उसके लिये भस्मासुर साबित होगा, यह वह समझ ही नहीं पाई।

दरअसल, इस आंदोलन की कथनी और करनी का अंतर तो अपनी जगह था ही, भीड़ को कठपुतली की तरह नचाने वाले हाथ कुछ और ही खेल दिखाना चाहते थे। वे जनता का ध्यान कठपुतली की कलाबाजी पर केंद्रित कर विघ्न संतोष का छछुंदर भीड़ में छोडऩे को उतावले थे, ताकि लोग बदहवास होकर इधर-उधर भागें, तब इन बाजीगरों की टोली अपने निशाने साध लें। यह वैसा ही था, जैसे तमाशबीन सडक़ पर करतब देख रहे होते हैं , तब कुछ उचक्के लोगों की जेब पर हाथ साफ कर देते हैं। इस मंशा को अंजाम तो दिया गया, लेकिन वे पूरी तरह कामयाब नहीं हो सके, क्योंकि केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली प्रशासन और पुलिस ने अभूतपूर्व संयम बरता और जो पुलिस अनेक बार बेवजह लाठी बजा देती है, उसने अपने सीने-पीठ पर उत्पातियों की लाठियां झेलीं और कटार-तलवार के आतंक को सहा। इस नितांत शर्मनाक नजारे से देश की साख को धूमिल करनेे की चेष्टा तो नाकाम रही, किंतु दुनिया ने देख लिया कि इस वक्त का भारत और उसका नेतृत्व कितना लोकतांत्रिक,सहृदय और धैर्यवान है, जिसने बलवायियों की तमाम कोशिशों के बावजूद भी लाठी-गोली चालन नहीं किया। निहत्थे साधुओं पर गोली-लाठी बरसाकर करीब 400 साधुओं का कत्लेआम मचाने वाली कांग्रेस और अनेक विपक्षी दल गणतंत्र दिवस के पावन मौके पर दिल्ली में घुसेे उपद्रवियों को शांति का मसीहा बताने पर अभी-भी उतारू है। गांधी,गौतम के नाम की माला जपने वाले कटार,तलवार,लाठी भांजने वालों के पैरोकार बनकर पेश आये, यह दोहरे चरित्र का सत्यापन है।

इस वक्त कथित किसान आंदोलन, दिल्ली में उत्पात,कृषि कानून के औचित्य और उसके प्रवाधानों को दोहराने से फायदा नहीं, क्योंकि बीते करीब ढाई महीने में आंदोलनकारियों को छोडक़र देश के औसत नागरिक को मोटे तौर पर इस कानून के प्रावधान पता चल गये, जिनमें किसान विरोधी जैसा कोई अंश था ही नहीं । बहरहाल मुद्दे की बातेें कुछ और ही हैं। सबसे पहले तो हमें आने वाले समय में ऐसे ही किसी उपद्रव का इंतंजार करने के लिये तैयार रहना चाहिये। जिसे कहते हैं ना कि मौत ने घर देख लिया, यह वैसा ही है। अब हर ऐसा-गैरा और उसके नाम पर या उसकी आड़ में देश को रसातल में ले जाने के अभिलाषी बेबात पर आंदोलन छेडऩे को बेताब रहेंगे। रास्ता रोककर बैठ जाना जन्म सिद्ध अधिकार की तरह समझा जा सकता है। किसी भी शहर,राज्य की सीमायें भीड़तंत्र के सहारे सील की जा सकेंगी। ट्रेक्टर,ट्रक,ऑटो,रिक्शा,ठेला आदि जिसके हाथ जो लगेगा, वह लेकर धरने-प्रदर्शन में जा बैठेगा। उसे मतलब नहीं रहेगा कि उस रास्ते से कोई एंबुलेंस गंभीर मरीज को ले जा सकती है। कोई अपने परिजन की मातमपुर्सी,मिजाजपुर्सी के लिये नहीं जा पायेगा। कोई अपने दफ्तर,स्कूल,कॉलेज ,दुकान,फैक्टरी नहीं जा सकेगा। किसी का राशन,किसी की दवाई,किसी के मकान की निर्माण सामग्री,किसी के कपड़े, किसी की शादी का साजो सामान अटक जायेगा।

यह बेहद अफसोसनाक होगा, यदि समाज का अलग-अलग वर्ग अपनी उचित या अनुचित मांगों को मनवाने के लिये कभी महिला-बच्चों के साथ तो कभी अपने खेत,घर,कारखाने में काम करने वाले मजदूरों को लेकर सडक़ पर आ बैठेगा। ट्रक,रेल,विमान सेवा ठप पड़ जाने की कीमत पर भी इन्हें मतलब अपनी मांगों से रहेगा। वे संसद में पारित कानून को नहीं मानेंगे, अदालत की दी व्यवस्था को ठेंगे दिखा देेंगे। जिस राष्ट्र का चरित्र आरक्षण से लेकर तो रोजगार,टैक्स माफी,नौकरियों में पदोन्नति,कर्ज माफ, बिजली बिल माफ, मरीज की मौत हो जाने पर अस्पताल का बिल माफ जैसे तमाम निजी,गैर जरूरी, गैर कानूनी कामों के लिये भी संख्या बल जुटाकर सरकार को घेरने,विवश करने की साजिशें रचना हो जाये, उसके भविष्य की कल्पना की जा सकती है।

इस आंदोलन के बहाने देश में जिस अराजक वातावरण को तैयार करना अंतिम मकसद था, वह कितना पूरा हुआ, यह जल्द ही देखने-जानने मिल जायेगा। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने जिस तेजी के साथ देश के ज्यादातर राजनीतिक दलों को महत्वहीन और उनके नेताओं को बेरोजगार किया है, वे एकजुट होकर सरकार गिराने,उसे बदनाम करने के लिये एकजुट होने लगेंगे। जिस दौर में भारत में लोकतंत्र को परिपक्व और मजबूत हो जाना था, उसमेें विपक्ष जितनी रुकावट डाल सकता है, डाल रहा है। जिस सौजन्य और बड़प्पन की उम्मीद की जाना चाहिये, उसके अते-पते नहीं है।

दरअसल,विपक्ष यह भूल रहा है कि सत्ता तो आनी-जानी है। आज कोई तो कल कोई औैर। कल आप थे, कल फिर आप हो सकते हो। तब जिस कैक्टस और बबूल को आप बो रहे हों, याद रखो, उनसे कांटे ही निकलेंगे। आम चाहिये तो आम ही बोना पडेगा। यदि अवाम के बीच ऐसे तत्व पनप गये और अभ्यस्त हो गये कि दूसरे लोगों की सुविधायें छीनकर या उनकी प्रगति मे रुकावटें डालकर या उनका रोजमर्रा का जीवन दूभर कर अपनी बात मनवाई जा सकती है, सरकारों को घुटने टेकने पर बाध्य किया जा सकता है तो यह देश कब गृह युद्ध की दहलीज पर जा पहुंचेगा, पता भी नहीं चलेगा। इसलिये बेहतर है कि चिडिय़ा के खेत चुगकर फुर्र हो जाने की तजबीज न करें, बल्कि अपने मुल्क को अमन,चैन और कानून के राज वाला बने रहने दें, जो अंतत: आपके हक में ही होगा।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #1Crore4DelhiHindu #Delhi2021breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

रमण रावल

Next Post
क्या आप अनुलोम-विलोम के इन फायदों को जानते है?

क्या आप अनुलोम-विलोम के इन फायदों को जानते है?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0