इंडिया तो नाम है बाकी तो भारत ही है

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प्राचीन काल से ही दुष्यंत पुत्र भरत के नाम पर यह भूमि भारत है। परंतु उच्चारण की अशुद्धता के कारण पश्चिम में इंडिया  कहा जाता रहा। पुरानी गलती को सुधारने के प्रति विपक्ष का अड़ियल रवैया उनकी गुलाम मानसिकता का द्योतक है।

स्वाद का शहंशाह

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इंदौर का नमकीन और मिठाइयों का कारोबार पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसके पीछे सर्व प्रमुख कारण यहां के लोगों का स्वाद के प्रति आग्रह एवं यहां की आबोहवा है। नाश्ते में इंदौर के पोहा-जलेबी भी अपना एक अलग स्थान रखता है। पाषाण युग से लगाकर…

धृतराष्ट्री आचरण से धूमिल हो गई प्रतिष्ठा

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शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने जीवन भर अपने नियमों एवं आदर्शों से कभी समझौता नहीं किया परंतु उनके पुत्र उद्धव ठाकरे ने सत्ता के लोभ में उन आदर्शों को मिट्टी में मिला दिया। आज स्थिति यह है कि वे शिवसेना से हाथ धो चुके हैं और शायद शिवसेना की…

दिग्भ्रमित ना हो भाजपा

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भाजपा ने उन सारे वादों को पूरा किया या पूरा करने की दिशा में अग्रसर है, जिनका उल्लेख उनके नेताओं ने अपने भाषणों या घोषणापत्र में किया था। परंतु देश विरोधी ताकतें और विपक्ष के नेता हमेशा अफवाह फैलाते रहते हैं कि भाजपा अपने लक्ष्य से दूर हो गई है, जबकि वास्तविकता यह है कि विपक्षियों की सत्ता लोलुपता ने ही उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है।

दल की कलह और गांधी परिवार का दखल करेगा , कांग्रेस का कबाड़ा

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कांग्रेस बजाय इसके कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर मुद्दे तलाशे, अपने को तैयार करे, कैडर को मजबूत करे, सरकार को संसद व बाहर घेरने की रणनीति बनाए, चीन के साथ विवाद व कोरोना के संकट में देश व सरकार को साथ देने का भरोसा दिलाये, बेवजह की नुक्ताचीनी बंद करे, वह राहुल को अध्यक्ष बनाने की मुहिम छेड़कर शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन डाल देने जैसा उपक्रम कर रही है।

हठतंत्र पर भारी गणतंत्र

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गणतंत्र दिवस को दिल्ली में मचे उत्पात के बाद देश की नहीं दुनिया के सामने उजागर हो गया। इस समूचे घटनाक्रम के मद्देनजर यह कहना पड़ रहा है कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और मौलिक नागरिक अधिकारों का चरम दुरुपयोग हमारी महान परंपरा और संवैधानिक ढांचे को कमजोर कर रहा है।

राजग की बगिया में फिर बहार

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मनुष्य का स्वभाव है कि वह एक समय के बाद परिवर्तन चाहता है। यूं देखा जाये तो नीतीश सरकार के हिस्से में बढ़ी खामी, आलोचना या कमी नहीं थी, फिर भी एकरसता को वजह माना जा रहा था।

फिल्मी वेशभूषा भानुमति का पिटारा

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काफी लंंबे अरसे तक फिल्म निर्माण में वस्त्रों के चयन की जिम्मेदारी निर्देशक की हुआ करती थी, किंतु समय के साथ इसमें भी बदलाव आया और सत्तर के दशक में बाकायदा वस्त्र विशेषज्ञ का प्रवेश हुआ। इसे कास्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर जाना गया।

ग्रामीण भारत को वास्तविक भारत में बदलने की जरूरत

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हमारा नेतृत्व दुनिया को दिशा देने में सक्षम है और हमारे आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता को स्थायित्व देने में भी। पहल तो हमें ही करनी होगी। ग्रामों को रोजगार अनुकूल बनाकर ही देश को उन्नत किया जा सकता है।

सचिन के सामने हिट विकेट का खतरा

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आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति के ऊंट की करवट का इंतजार सबको रहेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि सचिन शतकवीर साबित होते हैं, हिट विकेट होते हैं, रन आउट होते हैं या विकेट के पीछे कैच थमाते हैं।

कारोबारी जगत को सीधी मदद समय का तकाजा

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सरकार को तत्काल ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे कारोबारी को ‘तरल’ धन सीधे व आसानी से उपलब्ध हो, ताकि वह देश को वर्तमान संकट से उबारने में जी-जान लगा दे। इससे सरकार को करों के रूप में राजस्व बढ़कर मिलेगा ही, रोजगार मिलने से लोगों में हताशा भी नहीं आएगी।

वनवासी बालाएं भी सजने-संवरने में अव्वल

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शहरी जनजीवन में नित-नए प्रयोग के चलते फैशन के जो अलग-अलग रंग दिखने लगे, उसमें इन वनवासियों के जीवन से जुड़े परिधान व गहने भी शरीक कर लिए गए हैं। वनवासी बालाएं भी संजने-संवरने में उतनी ही उत्सुक होती हैं, जितनी की शहरी बालाएं।

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