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डिसकवर द अर्जुन इन यू(अपने अंदर के अर्जुन को खोजो)

डिसकवर द अर्जुन इन यू(अपने अंदर के अर्जुन को खोजो)

by संदीप सिंह
in अक्टूबर २०१५, साहित्य
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भगवद् गीता को समय की सीमा में बांधा नहीं जा सकता। अर्थात इसकी प्रासंगिकता सार्वकालिक है। आवश्यकता इस बात की है कि समय के अनुरूप उसकी बार-बार व्याख्या की जाए। बाल गंगाधर तिलक ने इसकी व्याख्या अपने समय-परिस्थिति के अनुसार की तो ओशो ने अपने समय के अनुसार। आज के फास्ट फुड के युग में जब युवा भारत ने कौशल विकास की ओर ध्यान केन्द्रित किया हुआ है, तब गीता की उसके अनुरूप व्याख्या किए जाने की आवश्यकता है। संतोष मोघ की किताब ‘‘डिसकवर द अर्जुन इन यू’’ इस आवश्यकता की पूर्ति कर रही है।

इस पुस्तक में भी भागवत गीता की तरह १८ अध्याय हैं, जिसमें भारतीय परम्परा के उदाहरण केस स्टडी के रूप में दिए गए हैं। इसके छोटे-छोटे अध्याय तथा सरल भाषा पुस्तक को पठनीय बनाती है।

इसका सबसे अच्छा पक्ष इस किताब की आधारशिला में हैं। यह किताब केवल सैद्धांतिक विचार मात्र नहीं है, तो संतोष मोघ ने भगवद् गीता की ‘गुण’ अवधारणा को आधार बनाकर व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों को विकसित किया है। इसे उन्होंने हजारों व्यक्तियों पर प्रयोग कर जांचा है। यह किताब इसी अध्ययन का परिणाम होने से प्रभावी बन गई है। स्ट्रेटेजी में शोधकार्य कर चुके श्री संतोष मोघ को कारपोरेट दुनिया का भी खासा अनुभव है, साथ ही देश की अनेक प्रमुख संस्थाओं में अध्यापन का भी अनुभव है। उनकी इस पुस्तक में तथा अध्यायों की रचना में इन दोनों प्रकार के अनुभवों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। प्रत्येक अध्याय एक्शन प्लान से शुरू होने के कारण सामान्य व्यक्ति को भी मार्गदर्शन देने में सफल रहेगा। इस किताब को उस प्रत्येक व्यक्ति ने पढ़ना चाहिए जो जीवन युध्द को हार चुका है और जीवन में सार्थक उद्देश्य की खोज में है। अर्जुन का जीवन भी तो संघर्षों से युक्त था, परन्तु उसने कभी अपने उद्देश्य को ओझल नहीं होने दिया।

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ऊंटेश्वरी माता का महंत

ऊंटेश्वरी माता का महंत‘‘ यह पुस्तक पी.बी.लोमियो द्वारा हिंदी में लिखी गई है। पी.बी. लोमियो ‘‘पूवर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट’’ के मुख्य सचिव हैं। यह किताब स्व. फादर एन्टोनी फर्नान्डीज की जीवन गाथा है।
यह पुस्तक उत्तर गुजरात में ईसाई मिशनरी द्वारा किए गए धर्म परिवर्तन का कच्चाचिट्ठा है। यहां ऊंट स्थानीय लोगों के जीवन का अटूट हिस्सा है। मदर मेरी को ऊंट की देवी अर्थात ऊंटेश्वरी माता घोषित किया गया। विदेशी धन के सहयोग से १०६ एकड़ जमीन खरीदी गई तथा एक चर्च का निर्माण किया गया। गांव के लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से इस चर्च का निर्माण गुजरात में मंदिरों के निर्माण में उपयोग में लाई जाने वाली सोलंकी वास्तुकला के नमूने पर किया गया। इसी चर्च में फादर एन्टोनी की नियुक्ति हुई। फादर एन्टोनी ने चर्च में चल रही गंदी तथा अनैतिक गतिविधियों को नियंत्रित करने की कोशिश की तो उन पर चर्च ने किस प्रकार के जुल्म किए, यह किताब उन अत्याचारों की दास्तान है। यह पुस्तक ईसाई मिशनरी विषयक कई तथ्यों को उजागर करती है, तथा उन्हें मजबूती के साथ प्रस्तुत करती है। उनमें से कुछ तथ्य नीचे दिये जा रहे हैं-
१) किस प्रकार हिन्दुओं का तथा उनके धार्मिक स्थलों का स्वतंत्रतापूर्वक निवास के लिए तथा पश्चात धर्मपरिवर्तन के लिए उपयोग किया गया।
२) ईसाई लड़कियों का विवाह हिन्दू परिवारों में कर, उनका पूरे हिन्दू परिवार को ईसाई बनाने में किस प्रकार हथियार के रूप में उपयोग किया गया।
३) उन गैर-सरकारी संगठनों के नाम जो धर्मपरिवर्तन की प्रक्रिया में शामिल थे।
४) किस प्रकार धर्म परिवर्तन के बाद भी जाति के आधार पर भेदभाव किया जाता रहा।
इस पुस्तक में इन लोगों तथा इनके प्रतिनिधियों को भारत सरकार द्वारा की गई मान्यता पर भी सवाल खड़ा किया गया है। इस किताब में इसे दोहरी नागरिकता निरूपित किया गया है, क्योंकि चर्चों में भारतीय ईसाइयों को गुलामों की तरह रखा जाता है।
कुछ नन्स एवं प्रिस्ट के द्वारा जो लड़ाई लड़ी गई उसका भी यह किताब एक उत्कृष्ट अभिलेख है। इसमें उन कई अभिलेखों को भी सम्मानित किया गया है जो चर्चों को अनावृत्त करती है।
सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि इस किताब में उदाहरणों के साथ बताया गया कि हिन्दू समाज तथा हिन्दू संगठन किस प्रकार केवल धर्म परिवर्तन को रोकने में ही असफल नहीं रहे तो उन लोगों को जो वापस अपने हिन्दू धर्म में आना चाहते थे, उन्हें सहयोग देने में भी असफल रहे। इसे प्रत्येक हिन्दू तथा ईसाई को पढ़ना चाहिए।
प
मो. ९९६७१३५०००

Tags: bibliophilebookbook loverbookwormboolshindi vivekhindi vivek magazinepoemspoetpoetrystorieswriter

संदीप सिंह

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