क्यों मनाया जाता है विश्व वानिकी दिवस – International Forest Day?


पृथ्वी पर जीवन का जितना महत्व है उतना ही महत्व पेड़ पौधों का भी है। मनुष्य को हवा से ही ऑक्सीजन मिलता है और इसमें पेड़ पौधों का बहुत बड़ा योगदान होता है। पेड़ ऑक्सीजन को बाहर निकालते है और कार्बनडाई आक्साईड को ग्रहण करते है इस प्रक्रिया से पर्यावरण में ऑक्सीजन का संतुलन बना रहता है और पृथ्वी पर जीवन हजारों सालों से चलता आ रहा है।

पर्यावरण के साथ पिछले कुछ दशकों से लगातार छेड़छाड़ हो रही है। लोग अपने भौतिक सुख के लिए जंगलों की कटाई तेजी से कर रहे है और बड़ी बड़ी इमारतों का निर्माण कर रहे है। इन इमारतों से हमें पैसा तो बहुत मिलता है लेकिन यह हमारे जीवन के लिए हानिकारक होती जा रही है। धरती पर बढ़ते लगातार कंक्रीट के जंगल से अब लोगों का दम घुटने लगा है और शुद्ध ऑक्सीजन की कमी हो रही है। हालांकि तमाम एनजीओ की तरफ से लोगों को पर्यावरण के लिए जागरूक किया जा रहा है लेकिन बावजूद इसके अभी भी पर्याप्त मात्रा में पेड़ नहीं लग पा रहे है।

धरती पर पर्यावरण को बचाने के लिए हर साल 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस (International Forest Day) मनाया जाता है इसकी शुरुआत सन 1971 में की गयी थी जिसका उद्देश्य लोगों को जंगलों की कटाई के प्रति जागरूक करना था और पर्यावरण को खत्म होने से बचाना था। हर साल 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस के मौके पर पूरे विश्व में तमाम कार्यक्रम होते है और लोगों को यह बताया जाता है कि जंगल हमारे लिए कितना खास और महत्वपूर्ण है। भारत में इसकी शुरुआत करीब 1950 से ही हो गयी थी और इसे वन महोत्सव के नाम से मनाया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 22 फीसदी जमीन पर ही वन है जबकि बाकी का भाग पानी और रहवासी घरों से घिरा हुआ है।

विश्व वानिकी दिवस का मतलब सभी देशों द्वारा अपने वन संपदा को बचाना और उसमें सुधार करना है। विश्व में लगातार बढ़ती आबादी की वजह से वन क्षेत्रों में इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, खेती के लिए वनों की कटाई हो रही है, लकड़ी की बढ़ती मांग के चलते भी पेड़ों को काटा जा रहा है जिससे लगातार वन कम होते जा रहे है।

भारत में करीब 657 लाख हेक्टेयर भूमि पर वन है जिसमें सबसे अधिक वन क्षेत्र छत्तीसगढ़ में है जबकि दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश का नंबर आता है। सन 1952 में भारत सरकार की तरफ से वनों को बचाने के लिए ‘राष्ट्रीय वन नीति’ बनायी गयी थी। सरकार की इस नीति के मुताबिक देश में करीब 33.3 फीसदी वन होने चाहिए जबकि लेकिन देश में मात्र 19 फीसदी वन है।

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