हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
नकली बारिश में असली मनोरंजन

नकली बारिश में असली मनोरंजन

by दिलीप ठाकुर
in जुलाई-२०१६, साहित्य
0

पर्दे पर होने वाली झमाझम बारिश दर्शकों को खूब सुहाती है और दर्शकों को जो पसंद है वही दिखाकर उनका मनोरंजन करना फिल्मवालों को सुहाता है। चाहे जो भी हो दर्शकों के मनोरंजन के लिए ही सही फिल्मों में झूठी बारिश हमेशा होती रहे।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को नापने का न तो कोई थर्मामीटर है न ही कोई तराजू। यही उसकी असली पहचान है और खासियत भी। अब फिल्मों की बारिश को ही ले लीजिए। अगर किसी से पूछा जाए कि भारत में सब से ज्यादा बारिश कहां होती है तो लोग सामान्यत: चेरापूंजी ही जवाब देंगे। यह गलत भी नहीं है पर उससे भी अधिक बारिश होती है हिंदी फिल्मों में। फिल्मों में बारिश कहां, कब, कितनी, कैसे, होगी इसके पीछे कोई कारण नहीं होता। और सबसे मजेदार बात यह है कि फिल्म के लिए वास्तविक बारिश का कोई उपयोग नहीं होता। वास्तविक बारिश को कुछ तकनीकी कारणों से फिल्मों में उपयोग में नहीं लाया जा सकता। झूठी बारिश के लिए भरपूर पानी और पैसे की जरूरत होती है। मेकअप सम्भालते-सम्भालते झूठी बारिश में अभिनय करना बहुत कठिन होता है।

‘दो झूठ’ फिल्म में खिलखिलाती धूप में विनोद मेहरा और मौसमी चटर्जी के रोमांटिक सीन के बीच अचानक काले बादल छा जाते हैं। विनोद मेहरा मौसमी को छतरी खोलने के लिए कहता है और वह गाती है ‘छतरी न खोल, उड़ जाएगी, हवा तेज है।’
क्या आप जानते हैं कि ‘बरसात’ नाम से हिंदी में तीन फिल्में बनी हैं। इन सभी में आर.के. फिल्म्स के बैनर तले राज कपूर के निर्देशन में बनी ‘बरसात’ सबसे अधिक लोकप्रिय रही। इसमें राज कपूर और नरगिस की जोड़ी बहुत अच्छी थी। फिल्म का गीत ‘बरसात में तक धिना धिन’ 65 वर्षों के बाद आज भी लोकप्रिय है। बॉबी देओल की पहली फिल्म का नाम भी ‘बरसात’ था। उन्होंने इसके बाद भी ‘बरसात’ नामक एक और फिल्म में काम किया था। बॉबी की पहली ‘बरसात’ में ट्विंकल खन्ना थीं; जबकी दूसरी ‘बरसात’ ने बिपाशा बसु और प्रियंका चोपडा को भिगो दिया था। ‘बारिश‘, ‘बरसात’, ‘बरसात की एक रात’, ‘रेन’, आदि फिल्मों के तो नामों में ही बारिश होने लगती है। फिल्मी गाने भी इनमें पीछे नहीं हैं। बरखा रानी जरा जम के बरसो (सबक), ओ सजना बरखा बहार आई (परख), भीगी भीगी रातों में (अजनबी), टिपटिप बरसा पानी (मोहरा) जैसे कई गीतों में इतनी बारिश हो चुकी है जिसकी गणना ही नहीं की जा सकती। हालांकि इनका मुख्य उद्देश्य भीगी हुई नायिका के माध्यम से लोगों का ध्यान आकर्षण करना इतना ही होता है। मुमताज, शिल्पा शिरोडकर इत्यादि अभिनेत्रियां इस फिल्मी बारिश में काफी सराबोर हुई हैं। ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ के ‘हाय-हाय ये मजबूरी’ गाने में जीनत अमान भी काफी भीग चुकी थी। ये गाना उस जमाने में काफी प्रचलित भी हुआ था।

‘दृष्टि’ नामक फिल्म में शेखर कपूर और डिंपल कपाडिया के घर के बाहर होने वाली बारिश पटकथा को अधिक नाट्यमय स्वरुप देती है। अमोल पालेकर द्वारा निर्देशित ‘थोडा सा रूमानी हो जाए’ में नाना पाटेकर द्वारा साकार की गई बारिश के सपने दिखाकर लोगों की आशाओं को बढ़ाने की भूमिका बहुत सुंदर थी। बिमल रॉय द्वारा दिग्दर्शित ‘दो बीघा जमीन’ अकाल और साहूकार के कर्जे की मार झेला हुआ एक किसान (बलराज साहनी) की कोलकाता में आकर रिक्शा चलाने और कष्ट झेलने की गाथा है। विजय आनंद के द्वारा निर्देशित ‘गाइड’ में गांव में बारिश हो इसलिए राजू गाइड (देव आनंद) अनशन करता है और दुर्भाग्य से उसकी मृत्यु हो जाती है। आशुतोष गोवारीकर के द्वारा निर्देशित ‘लगान’ में भी 120 वर्षों पूर्व गुजरात में पड़ा अकाल, व्यथित किसान तथा अकाल के कारण दुखी गांव को चित्रित किया गया है। अंगे्रज अफसर लगान माफ करने के लिए किसानों के सामने क्रिकेट मैच खेलने की चुनौती रखता है जिसे फिल्म का नायक (भुवन) स्वीकार कर लेता है। अगर किसान जीत जाते हैं तो उनका लगाना माफ हो जाएगा। अंग्रेजों के लिए भले ही वह केवल खेल रहा हो परंतु भुवन को गांव वालों को टीम के रूप में खड़ा करना पड़ता है। अंत में भुवन और गांव वालों की जीत होती है।

बारिश के मौसम में रिलीज होने वाली तथा हिट होने वाली फिल्मों की संख्या भी बहुत है। मुगल-ए-आजम, शोले, जय संतोषी मां, सागर, राम तेरी गंगा मैली, 1942- लव स्टोरी, हम आपके हैं कौन, त्रिदेव, जाने तू या जाने ना आदि सुपर-डुपर हिट फिल्में बारिश के मौसम में ही रिलीज हुई हैं।

फिल्मों के कई फाइटिंग सीन भी बारिश में चित्रित किए गए हैं। अर्जन, इंडियन, क्रोध आदि एक्शन फिल्मों में भी बहुत बारिश हुई है। ये दृश्य परदे पर बहुत भयानक दिखते हैं तथा उनके चित्रीकरण में बहुत कठोर परिश्रम करना पड़ता है। पर्दे पर होने वाली ऐसी बारिश दर्शकों को खूब सुहाती है और दर्शकों को जो पसंद है वही दिखाकर उनका मनोरंजन करना फिल्मवालों को सुहाता है। चाहे जो भी हो दर्शकों के मनोरंजन के लिए ही सही फिल्मों में झूठी बारिश हमेशा होती रहे…।
———–

Tags: bibliophilebookbook loverbookwormboolshindi vivekhindi vivek magazinepoemspoetpoetrystorieswriter

दिलीप ठाकुर

Next Post
वैदिक शिक्षा पद्धति की ओर बढ़े भारत

वैदिक शिक्षा पद्धति की ओर बढ़े भारत

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0