संघ समर्पित डॉ. नरेन्द्र देसाई

Continue Readingसंघ समर्पित डॉ. नरेन्द्र देसाई

डॉ. नरेन्द्र देसाई की मृत्यु आकस्मिक थी। 75 वर्ष की उम्र में मृत्यु जल्दी नहीं, लेकिन आजकल के समय में जल्दी ही मानी जाएगी। ‘कार्यमग्न जीवन हो और मृत्यु हो विश्राम’ इस पंक्ति के अनुसार अंतिम सांस तक कार्यरत रहने वाले इस पूर्ण रूप से संघ को समर्पित कार्यकर्ता को नमन।

नास्तिकता से धार्मिकता की ओर कविश्रेष्ठ आलोक भट्टाचार्य की जीवन यात्रा

Continue Readingनास्तिकता से धार्मिकता की ओर कविश्रेष्ठ आलोक भट्टाचार्य की जीवन यात्रा

हास्य, विनोद, लेखन, काव्य, शेरोशायरी में मन से रम जाने वाले आलोक जी दिल के बहुत खुले थे। वे केवल पोथीनिष्ठ विचारक नहीं थे। इसीलिए प्रत्यक्ष अनुभव के कारण अपनी विचारधारा में होने वाला बदलाव उन्होंने विचारपूर्वक स्वीकार किया।

कांग्रेस मुक्त भारत दल

Continue Readingकांग्रेस मुक्त भारत दल

‘कांग्रेस मुक्त भारत दल’ की संचालन समिति वाले कई बार वहां गए, पर राहुल बाबा से भेंट नहीं हुई। इससे उनका निश्चय और द़ृढ़ हो गया कि जब बाबा देश को ‘कांग्रेस से मुक्त’ कराने में इतनी रुचि ले रहे हैं, तो चाहे एक महीना लगे या एक साल, पर अध्यक्ष हम उन्हें ही बनाएंगे, किसी और को नहीं।

कालू

Continue Readingकालू

कभी-कभी आप जिससे नफ़रत करते हैं, आपको उसकी भी आदत पड़ जाती है। यदि अचानक वह नहीं रहे तो आपके जीवन में एक ख़ालीपन, एक सूनापन आ जाता है। आपके भरे-पूरे जीवन से जैसे कुछ छिन जाता है। इस लिहाज़ से नफ़रत और प्यार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

विश्वसनीय दस्तावेज

Continue Readingविश्वसनीय दस्तावेज

देश की त्रासदी तो यह है कि शोएबुल्लाह खान तो देशवासियों के मानस पटल से भुला दिए गए; परंतु दूसरी ओर देशद्रोही निजाम, उनके सर्वोच्च प्रशासक अलीयावर जंग या निज़ाम की तरफ से इंग्लैण्ड और राष्ट्रसंघ में भारत के विरुद्ध आवाज उठाने वाले पाक-परस्त रज़ाकारों को नेहरूवादी राजसत्ता में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुए।

छोड़ आए हम वो गलियां

Continue Readingछोड़ आए हम वो गलियां

बारिश के साथ ही स्कूल-कॉलेजों का नया सत्र शुरू होता है। छात्रों के समक्ष नया परिवेश, नया शहर, नई समस्याएं सब कुछ नया ही होता है। घर के सुरक्षित माहौल से शहर में आए छात्र इससे सकपका जाते हैं। कई नई अनकही समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में आत्मविश्वास के साथ स्थिति का सामना करें तो नए जीवन का सफर आसान हो जाता है।

राष्ट्रीय कार्य को आध्यात्मिक अधिष्ठान देने वाला ग्रंथ- गीता रहस्य

Continue Readingराष्ट्रीय कार्य को आध्यात्मिक अधिष्ठान देने वाला ग्रंथ- गीता रहस्य

लोकमान्य तिलक मानते थे कि भारतीयों की अकर्मण्यता ही उनकी अवनति का कारण बनी। उस अकर्मण्यता को केवल पुरुषार्थी कर्मयोग ही दूर कर सकता है। ज्ञानी पुरुषों को विरक्त होकर कर्म संन्यासी होने के बजाय ज्ञानयुक्त पुरुषार्थमय जीवन जीना चाहिए। लोकमान्य ने ‘गीता रहस्य’ में यही सीख दी, जो अंग्रेजी दासता की बेड़ियों को तोड़ने के लिए बहुत आवश्यक भी था।

वैदिक शिक्षा पद्धति की ओर बढ़े भारत

Continue Readingवैदिक शिक्षा पद्धति की ओर बढ़े भारत

स्वतंत्रता के पश्चात की सब से बड़ी विडंबना यही कही जाएगी कि हम सब कुछ समझते हुए भी लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति की प्रेत छाया में फंसे रहे। यद्दपि शिक्षा पद्धति में सुधार के नाम पर कई-कई आडम्बर और प्रपंच देश में समय-समय होते रहे हैं तथापि निस्संदेह यह कहा जा सकता है कि हम आज भी मैकाले के षड्यंत्र से पूर्णतः बाहर नहीं निकल पाए हैं।

नकली बारिश में असली मनोरंजन

Continue Readingनकली बारिश में असली मनोरंजन

पर्दे पर होने वाली झमाझम बारिश दर्शकों को खूब सुहाती है और दर्शकों को जो पसंद है वही दिखाकर उनका मनोरंजन करना फिल्मवालों को सुहाता है। चाहे जो भी हो दर्शकों के मनोरंजन के लिए ही सही फिल्मों में झूठी बारिश हमेशा होती रहे।

अमृत रस है बारिश

Continue Readingअमृत रस है बारिश

जीवन रस को पोषण देने वाला, बल देने वाला अमृत रस है बारिश। यह चारों तरफ से मानव का जीवन समृद्ध सम्पन्न करती है। इसमें हास्य, करुण, दुःख, आनंद सब कुछ शामिल होता है। शायद इसीलिए बारिश हमारे जीवन का अविभाज्य हिस्सा बन जाती है। मराठी काव्यविश्व में बारिश के इन सभी रूपों को प्रस्तुत किया गया है।

एक बारिश ऐसी भी

Continue Readingएक बारिश ऐसी भी

कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे बारिश अच्छी नहीं लगती? शायर लोग तो बारिश को अपने मन में, अपने शब्दों में बचा कर रख सकते हैं; बार-बार उसका अनुभव करना चाहते हैं। कोई अगर वह पुराना मौसम ला सकता है, तो बदले में शायर कुछ भी कीमत देने को तैयार रहता है। पेश है उर्दू शायरों के बारिश पर कुछ चुनिंदे कलाम-

बरखा बहार आई

Continue Readingबरखा बहार आई

वर्षा क्या आई, मानो पृथ्वी पर बहार आ गई। मोर ही नहीं नाचता, मनुष्य का मन मयूर भी नाच उठता है। वर्षा मात्र पानी नहीं देती। हमारे मन के अंदर भी हरियाली भर देती है।

End of content

No more pages to load