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कोरोना संकट ने समझाया देश के लिए कौन जरुरी उद्योगपति या आंदोलनकारी?

कोरोना संकट ने समझाया देश के लिए कौन जरुरी उद्योगपति या आंदोलनकारी?

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष, सामाजिक
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देश की मोदी सरकार को विपक्ष ने हमेशा उद्योगपतियों की सरकार कहकर घेरा है लेकिन आज वहीं उद्योगपति देश के लिए काम आ रहे है। कोरोना वायरस ने जब से देश में पैर रखा है तब से देश के हालात खराब ही चल रहे है। आम जनता जान और नौकरी दोनों से हाथ धो रही है। हर तरह हालात चिंता जनक बने हुए है क्योंकि इस परेशानी का किसी के पास कोई समाधान नहीं है। इतनी बड़ी आपदा के लिए सरकार और जनता कोई भी तैयार नहीं था या यह भी कहना गलत नहीं होगा कि कोई भी इतनी बड़ी आपदा के बारे में सोचा तक नहीं था। देश पर जब मुश्किल घड़ी आयी तो सरकार के साथ उद्योगपतियों ने देश को संभाला वह चाहे टाटा, बिरला या अंबानी कोई भी हो। सभी ने देश देश की मदद की और खुद की कमायी को कम कर दिया।

जानकारी के मुताबिक टाटा स्टील की तरफ से 300 टन ऑक्सीजन हर दिन तैयार किया जा रहा है और उसे देश के अलग अलग राज्यों को भेजा जा रहा है वहीं रिलायंस की तरफ से हर दिन 700 टन ऑक्सीजन तैयार किया जा रहा है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सके। रिलायंस की तरफ से यह भी ऐलान किया गया है कि यह ऑक्सीजन पूरी तरफ से मुफ्त होगी। रिलायंस के जामनगर प्लांट से हर दिन 100 टन ऑक्सीजन बनता था लेकिन इस समय यहां से 700 टन ऑक्सीजन तैयार किया जा रहा है।

कोरोना की दूसरी लहर में पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी हुई जिसकी पूर्ति के लिए दूसरे देशों से भी मदद लेनी पड़ रही है। वहीं ऑक्सीजन की किल्लत के बाद अंबानी, अडानी, टाटा और जिंदल जैसे उद्योगपतियों ने भी अपना राष्ट्रधर्म निभाया और ऑक्सीजन का बड़ी मात्रा में उत्पादन कर उसे हास्पिटल को सौंप दिया। उन्होने अपने उद्योग को सिर्फ और सिर्फ ऑक्सीजन के काम में लगा दिया जिससे आर्थिकतौर पर उनका नुकसान भी हो रहा है लेकिन उन्होने पैसों से ज्यादा लोगों की जान को अहमियत दिया। अब आप यह सोच रहे है कि हम आप को यह सब क्यों बता रहे है। देश में एक ऐसा भी वर्ग रहता है जो हमेशा सरकार और उसके काम का विरोध करता है। उद्योगपतियों को देश का दुश्मन मानता है और सरकार को उद्योगपतियों की सरकार बताता है लेकिन आज उस वर्ग से सवाल कर रहा हूं कि देश की जनता के लिए तमाम आंदोलन करने वाले किसान संगठन और अल्पसंख्यकों का मसीहा बनने वाले लोग अब कहां है? क्या कोरोना से मरने वालों में किसान और अल्पसंख्यक शामिल नहीं है? आखिर खुद को देश का सच्चा सिपाही बताने वाले लोग अब किसी की मदद के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे है।

देश का कोई भी संगठन जब सरकार के खिलाफ आंदोलन करता है तो विपक्ष भी उसे बराबर सहयोग देता है और कहता है कि वह देश की जनता के साथ खड़ा है लेकिन इस समय जो देश का हाल है उसके लिए विपक्ष कहीं से भी मदद करता नजर नहीं आ रहा है बल्कि इस मुश्किल समय में भी सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है। देश में सरकार के पास जितने सांसद और विधायक है उससे कुछ कम ही विपक्ष के पास होता है ऐसे में विपक्ष अपनी सांसद निधि से उस जनता की मदद क्यों नहीं करता जिन्होने उन्हे अपना मसीहा चुना है।

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