मेरी तकलीफ में मुझसे ज्यादा, मेरी मां ही रोयी है। खिला-पिला कर मुझको मेरी मां, कभी भूखे पेट ही सोयी है।।
कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आंचल में छुपाया है। गलतियां करने पर भी मां ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है।।
दुनिया में भगवान के बाद सबसे बड़ा दर्जा मां को दिया गया है क्योंकि मां की ममता निस्वार्थ होती है और यह कभी ना खत्म होने वाला प्यार होता है। मां अपनी संतान तो पेट में 9 महीने रखती है और फिर बड़ी प्रसव पीड़ा के साथ उसे जन्म देती है। कहा जाता है कि प्रसव पीड़ा का दर्द हड्डियों के टूटने के दर्द से कहीं ज्यादा होता है। इतिहास में पूत को कपूत होते देखा गया है लेकिन कोई माता कभी कुमाता नहीं देखी गयी है। मां प्यार ही ऐसा होता है जो कभी बदल नहीं सकता और ना कोई मां अपने बच्चे का कभी अहित चाहती है वह चाहे इंसान हो या फिर जानवर हर जगह आप को मां की ममता एक समान नजर आयेगी। मातृ दिवस मनाने का उद्देश्य सिर्फ मां को सम्मान देना है और उसकी बतौर मां की भूमिका को दुनिया को समझाना है।
भगवान कण कण में बसा है लेकिन उसकी पूजा हम मंदिरों में करते है वैसे ही हर पल सेवा करने वाली मां के लिए कोई एक दिन तो विशेष नहीं हो सकता है लेकिन वर्तमान में हम मां के लिए भी एक दिन निश्चित कर मातृ दिवस (मदर्स डे) मनाते है। इस बार मदर्स डे 9 मई को मनाया जा रहा है। हर वर्ष यह मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपनी अपनी मां को उपहार देते है और उनके अनगिनत प्यार के धन्यवाद करते है और जिन लोगों की मां अब इस दुनिया में नहीं रही वह भी उन्हे याद कर उनको धन्यवाद करते है।
मां के प्यार और त्याग को किसी उपहार या एक दिन से नहीं खरीदा जा सकता है। मां का प्यार पृथ्वी पर अनमोल है खुद भगवान भी मां के ऋणी है। कहा गया है कि मां के दूध का कर्ज कभी भी नहीं उतारा जा सकता है। वैसे तो मां के सम्मान के लिए पूरा वर्ष कम होता है लेकिन यह खास दिन भी मां के लिए समर्पित किया गया है। भारत में 19 अगस्त को भी मातृत्व दिवस मनाया जाता है लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर पर यह मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से महान है
अपि स्वर्णमई लंका न में लक्ष्मण रोचते जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के मुख से कहां गया वाक्य