सावरकर के कालजयी विचार

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कभी ‘धर्मनिरपेक्षता’के नाम पर हिंदुत्व को सांप्रदायिक करार देने वाले, आज मंदिरों में जाकर माथा नवा रहे हैं। राजनीतिक दलों में स्वयं को अधिक से अधिक हिंदुत्वनिष्ठ सिद्ध करने की होड़ है। ऐसे में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का स्मरण आवश्यक है।

क्या बाबा साहब ने चाहा था कभी, ऐसा आम्बेडकरवाद

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आज खुद को आम्बेडकरवादी कहने वाले हिंसा, दंगे और फसाद में शामिल होकर बाबा साहब के विचार को लांछित कर रहे हैं। आर्मी बनाने वाले अथवा जाति के नाम पर देश में नफरत की खेती करने वाले बाबा साहब की परंपरा के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। जिसके जीवन में ‘बुद्ध’ हो और चिन्तन में भारत, सच्चे अर्थो में बाबा साहब के विचारों का उत्तराधिकारी वही होगा।

धूप-छाँव

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नवीन, कलकत्ता से फोन पर तो बहुत मीठी-मीठी बातें करता पर जब एक-दो हफ्ते के अवकाश पर घर आता तो प्यार की सारी बातें भूल कर बात-बात पर विनीता से झल्ला उठता था, उसे डाँट देता। विनीता उसका मुँह ताकते रह जाती। ये क्या हो गया कलकत्ता जाकर इन्हें? और फिर वह अपने दुर्भाग्य को कोसने लगती। कभी-कभी तो नवीन के साथ इतनी झड़प हो जाती कि वह जीवन से विरल हो उठती। यहाँ तक कि कभी-कभी तो वह आत्महत्या कर लेने तक की सोच बैठती।

एक थी प्रगति

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नारी के बारे अश्लील लिखा तो वो सच्चा नारी विमर्श और कहीं नारी शालीनता के साथ कर्तव्यपरायण हो गई तो वो दकियानूस, पिछड़ी, मानों विमर्श ने नारियों का ठेका इन प्रगतिशीलों को, वादियों को दे रखा हो। और, दलित विमर्श की तो बात ही मत पूछो इस शब्द को तो इतना आइसोलेट किया कि एक छोटे से खाने में कैद हो गया।

कोरोना की गंभीरता को समझें

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हमें कोरोना के बाद की तक़ली़फें मंजूर है, लेकिन, सावधानी मंजूर नहीं है। 15 दिन क्वारेंटाईन में रहना....अस्पताल में अकेलेपन की घुटन...और कोरोना से ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ना.... कभी कोरोना हारता है, कभी इंसान। एक को तो हारना ही पड़ता है। हमें सरकार पर निर्भरता छोड़नी होगी।

सावधानी ही बचाएगी कोरोना से जान

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हम सभी लॉकडाउन के दंश से उत्पन्न सामाजिक आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों से भली भांति परिचित हैं। देश-प्रदेश में लॉकडाउन की स्थिति दोबारा ना उत्पन्न हो, इसके लिए हमें कोविड-19 से बचने के लिए सभी संभव तरीके अपनाने होंगें।

कोरोना की विध्वंसक लहर

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शर्मनाक तो ऑक्सीजन जैसी सामान्य सुविधा का अकाल पड़ना है। बिस्तरों की उपलब्धता, चिकित्सा स्टाफ को सही प्रशिक्षण और उन्हें इस तनाव के हालात में बेहतर सेवा देने लायक सुविधाएं देने में हम नाकाम रहे। ज़ाहिर है कि हमारा चिकित्सा तानाबाना इस समय बेदम हो कर गिर रहा है।

वैक्सीन की कमी या राजनीति?

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने वैक्सीन की कमी के इन दावों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य और नेता जनस्वास्थ्य जैसे मुद्दे के राजनीतिकरण में लगे हैं और वैक्सीन की कमी जैसी बातें कहकर बेवज़ह लोगों में घबराहट फैला रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर वैक्सीन को लेकर ‘मिसमैनेजमेंट’ और ‘मनमानी’ का आरोप लगाया।

भारतीय सड़कों पर दौड़ता अर्थव्यवस्था का पहिया

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किसी देश की समृद्धि हेतु सड़क परिवहन की भूमिका महत्वपूर्ण है। भारत में परिवहन तंत्र के रूप में सड़क मार्ग, रेल मार्ग, वायु मार्ग और जल मार्ग हैं। यहां माल का 60% और यात्री यातायात का 85% सड़कों द्वारा ले जाया जाता है। सड़कें.. गांवों को बाज़ारों, कस्बों, प्रशासनिक एवं सांस्कृतिक केंद्रों से जोड़ती हैं। दूरस्थ इलाकों को मुख्य क्षेत्रों से जोड़कर सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। सड़क परिवहन देश के आर्थिक विकास को गति देने के साथ ही उसकी संरचना एवं विकास को प्रभावित करता है।

मंदिरों पर सरकारी एकाधिकार क्यों?

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आज अनेक हिन्दू संगठनों और अन्य धर्माचार्यों द्वारा सरकारी एकाधिकार से मंदिरों को मुक्त कराने का आन्दोलन आरंभ किया जा चुका है। जब हम मंदिरों के सम्पत्तियों से सम्बंधित कानून की बात करते हैं तो हमें यह पता चलता है कि यह काम जहां अंग्रेजों ने आरंभ किया था वहीं, देश के विभाजन के बाद यहां की लोकतांत्रिक सरकारों ने इस एकपक्षीय कानून को समाप्त करने की दिशा में कोई काम ही नहीं किया।

मुख्तार की रफ्तार पर योगी का ब्रेक

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मुलायम, मायावती और शिवपाल से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पार्टी तक ने मुख्तार को अपना मोहरा बनाना चाहा लेकिन, सत्ता के शीर्ष पर जब कहीं कोई ‘योगी’ बैठा हो तो बड़े-बड़े कैप्टन और चाचा की राजनीति भी धरी रह जाती है। मुख्तार को बांदा जेल की कोठरी में लौटना ही पड़ा है।

भारत के लिए खतरा रोहिंग्या मुसलमान

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जांच में पता चला कि अलकायदा का आतंकवादी रहमान कई रोहिंग्याओं से सीधे संपर्क में था और वह दिल्ली, मणिपुर और मिज़ोरम में बेस बनाकर रोहिंग्या मुसलमानों को अलकायदा में भर्ती करना चाहता था। बताया जाता है कि रहमान अल कायदा के टॉप कमांडर से सीधे संपर्क में था और उनके निर्देश पर नापाक इरादों को अंजाम देने की तैयारियों में जुटा हुआ था। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में आतंकवादी हमला करने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। इस काम को अंजाम देने के लिए उसने भारत में अपने स्लीपर सेल के नेटवर्क को सक्रिय कर दिया है।

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