आयुर्वेद के बढ़ते प्रभाव से डरे ड्रग माफिया, रामदेव को बनाया जा रहा निशाना!

योगगुरु बाबा रामदेव की ऐलोपैथ पर टिप्पणी के बाद से बवाल मचा हुआ है। ऐलोपैथ के डाक्टर और संगठन इससे कुछ ज्यादा ही नाराज दिख रहे है हालांकि रामदेव ने अपने बयान पर माफी भी मांग ली है लेकिन फिर भी ऐलोपैथ के संगठनों का गुस्सा कम होता नहीं दिख रहा है और वह लगातार रामदेव के खिलाफ बयानबाजी कर रहे है और उनके खिलाफ मानहानि का दावा भी किया गया है। इतना ही नहीं रामदेव पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज करने और गिरफ्तारी की मांग भी की जा रही है। कुछ राज्यो में रामदेव के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। रामदेव और आईएमए के बीच का यह विवाद अब आयुर्वेद और ऐलोपैथ पर जा पहुंचा है और पतंजली सहित तमाम आयुर्वेदिक संगठनों को निशाने पर लिया जा रहा है। 
 
रामदेव के बयान का कुछ लोग विरोध कर रहे है तो कुछ लोग इसके समर्थक भी है क्योंकि इसमें एक सच्चाई तो जरुर है कि हॉस्पिटल हमसे दवाओं के कई गुना दाम वसूल करते है। हॉस्पिटल में 10 रुपये की मिलने वाली दवाओं का 100 रुपये से अधिक दाम मांगा जाता है और उसके बदले में हमें कोई जानकारी या प्रूफ नहीं दिया जाता है। ड्रग माफिया ने ऐसा जाल फैलाया है जिसमें से कोई भी बच कर नहीं जा सकता है। कुछ जरुरी दवाएं और इंजेक्शन ऐसे है जिन्हे सिर्फ हॉस्पिटल को ही दिया जाता है और हॉस्पिटल उसकी मनमाना कीमत वसूल करते है। हॉस्पिटल की यह सच्चाई शायद सभी को पता है लेकिन मजबूरन कोई भी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता है फिर ऐसे में रामदेव ने जो बयान दिया वह गलत कहां से  है? 
 
यह कहना सही है कि बाबा रामदेव ने जिस समय डाक्टरों पर ऊंगली उठायी वह समय गलत है। कोरोना काल में डाक्टर अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों का इलाज कर रहे है इसके लिए उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है। कोरोना काल में जब व्यक्ति मौत के दरवाजे पर खड़ा है तब ऐलोपैथी और डाक्टर ही है जो उसे बचा रहे है लेकिन बाबा रामदेव ने भी किसी डाक्टर या अस्पताल कर्मचारियों पर सवाल नहीं खड़ा किया है उन्होने तो सिर्फ ऐलोपैथी दवाओं के असफल होने और इसके साइड इफेक्ट पर सवाल खड़ा किया फिर इसमें गलत क्या है? रामदेव ने एमआईए के डाक्टरों से यह सवाल किया कि आप लोग एक दवा को कभी रामबाण बताते हो और फिर उसे बेकार बता देते हो आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? वैसे देखा जाए तो बाबा रामदेव का कोई भी सवाल गलत नहीं है और हमारे संविधान ने सभी को सवाल पूछने का हक दिया है। 
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आज भी ऐलोपैथ के पास कोई दवा नहीं है लाखों लोगो की मौत बाद भी ऐलोपैथ पूरी तरह से लाचार है। कोरोना के लिए जो वैक्सीन बनाई गयी है वह कुछ और नहीं मात्र रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने की दवा है। आयुर्देव के बाद के पास करीब सभी चीजों की दवा है और रोग प्रतिरोधम क्षमता बढ़ाने का फार्मूला भी आयुर्वेद से भी लिया गया है। आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी और योग का फायदा यह है कि अगर आप इनका नियमित इस्तेमाल करते है तो आप से रोग दूर रहेगा और इन दवाओं से शरीर पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता है। कोरोना काल में काढ़ा का प्रचार प्रसार पूरी तरह से देखने को मिला है और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आये। योग और आयुर्वेद को लेकर लोगों का विश्वास और भी बढ़ गया। 
 
भारत में आयुर्वेद पद्धति हजारों सालों से चली आ रही है हालांकि अंग्रेजी राज के बाद इसे जानबूझ कर कम किया गया और लगातार इसे दबाया ही गया नतीजा आज भारत में ही आयुर्वेद पर सवाल खड़े किये जा रहे है। ऐलोपैथ की मनमानी पर कोई भी सवाल नहीं खड़ा करता है इसलिए रामदेव का सवाल शायद उन लोगों को चुभ रहा है या फिर उन्हे इस बात का डर हो सकता है कि अगर ऐलोपैथ को पूरी कड़ाई से नहीं बचाया गया तो करोड़ों का बिजनेस मुश्किल में आ जायेगा। सवाल यह भी है कि कहीं देश में रहकर यह ऐलोपैथ संगठन किसी विदेशी कंपनी के लिए काम तो नहीं कर रहा है? रामदेव ने जो सवाल किया वह गलत नहीं था और आईएमए को इसका जवाब देना चाहिए।    

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