संघ एवं मंदिरों का सेवा कार्य

ये ऐसे लोग हैं जिन्हें मंदिरों में चढ़ावे तो दिखाई पड़ते हैं परन्तु सामाजिक और प्राकृतिक विपदाओं के समय जिस तरह से मंदिरों की ओर से आर्थिक और सामुदायिक सेवा की जाती है वह दिखाई नहीं देती। हमारे यहां मंदिरों को केवल धार्मिक स्थल के रूप में ही नहीं विकसित किया गया है बल्कि वहां नर और नारायण दोनों की सेवा की बातें की जाती हैं।

मंदिरों के सम्बंध में वामियों और रैश्नलिस्ट तर्कवादियों और तथा कथित सेकुलरों द्वारा यह तर्क दिया जाना कि मंदिरों से अच्छा तो अस्पताल और विद्यालय के निर्माण से जनता का भला किया जा सकता है। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें मंदिरों में चढ़ावे तो दिखाई पड़ते हैं परन्तु सामाजिक और प्राकृतिक विपदाओं के समय जिस तरह से मंदिरों की ओर से आर्थिक और सामुदायिक सेवा की जाती है वह दिखाई नहीं देती। हमारे यहां मंदिरों को केवल धार्मिक स्थल के रूप में ही नहीं विकसित किया गया है बल्कि वहां नर और नारायण दोनों की सेवा की बातें की जाती हैं। मंदिरों के निर्माण का विरोध करने वाले लोग अन्य धार्मिक स्थलों का विरोध नहीं करते हैं। अपने देश में अधिसंख्य राज्यों में मंदिरों का सरकारीकरण कर दिया गया है। इन मंदिरों की आमदनी से ही राज्य की अन्य आवश्यकताओं के लिए राशि का आबंटन किया जाता है। सिक्ख समुदाय के गुरुद्वाराओं से प्रबंधक कमेटियां भी प्राकृतिक आपदा के समय खुले हाथ से सहायता करने के लिए तत्पर रहती हैं। इनका सरकारीकरण नहीं हुआ है।

जिन राज्यों में मंदिरों का सरकारीकरण नहीं हुआ है वहां भी स्थित मठ, मंदिर और सार्वजनिक सेवा में तत्पर संगठनों द्वारा प्राकृतिक या सुनयोजित मानवजनित आपदा के समय मुक्त हस्त से सहायता की जाती हैं। लेकिन यह सेवा भावना अन्य धर्मों में नहीं देखी जाती है। आपदाओं में भी वे अपने धन का उपयोग मतपरिवर्तन के लिए ही करते हैं। ऐसे मतावलम्बियों द्वारा किए जा रहे मतपरिवर्तन पर अलग से ही एक रपट लिखी जा सकती है।
हम यहां मंदिरों से कोविड-19 जैसी भयावह परिस्थिति के समय मानव समूह के लिए सेवाकार्यों में किस तरह से मुक्त हस्त से दान किया जा रहा है उसकी चर्चा ही करेंगे। मंदिरों में जब भी कोई दान करता है तो उसके मन में यही इच्छा रहती है कि उसकी चढ़ाई हुई राशि से सबका भला हो। सबकी सेवा में हमारे द्वारा दान की गई राशि का उपयोग हो। मंदिर ही एक ऐसा साधन होता है जहां से गरीब और अमीरों की दान की हुई राशि का सार्वभौमिक रूप से किया जाता है। इस सेवा कार्य में नास्तिक-आस्तिक, विरोध-समर्थन करने वालों में भेद नहीं किया जाता।

श्री सोमनाथ मंदिर

गुजरात के श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए तथा प्रभास पाटन स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए 50 लाख रुपये का दान किया है। श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने अपने स्वामित्ववाले लीलावती भवन को सरकार को कोविड प्रभावित लोगों की देखभाल की सुविधा के लिए दिया है। ट्रस्ट, कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरतमंदों की मदद के लिए टिफिन सेवा भी चला रही है।

नर सेवा नारायण सेवा के विचार को लेकर सम्पूर्ण देश के मंदिरों ने कई कार्यक्रमों को बड़े पैमाने पर आरंभ किया है। महामारी के इस कठिन समय में जिस तरह से हिन्दू मठ-मंदिरों ने सेवा की कमान संभाली है उससे पीड़ितों को काफी राहत मिलेगी। इस महामारी के दौरान मंदिरों को मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी की जा रही है। यही नहीं हिन्दू मठ मंदिरों ने कोविड प्रभावित लोगों के लिए ऑक्सीजन, दवाओं और आवास की व्यवस्था के लिए भी बड़े स्तर पर काम करना आरंभ कर दिया है, इन्हीं सब कामों के लिए दान भी किया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट

अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने कोरोना विपदा से पीड़ित रोगियों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए 55 लाख रुपये की अनुमानित लागत पर ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की भी घोषणा की है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट

वाराणसी का श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट कोविड पीड़ितों के घरों में ऑक्सीजन, दवा और चिकित्सा उपकरण पहुंचाकर मरीजों की सेवा कर रहा है। ट्रस्ट, मानव सेवा के लिए भक्तों द्वारा दी गई दानराशि का उपयोग कर रहा है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट कुछ निश्चित स्थानों पर ऑक्सीजन संयंत्रों के खर्च के साथ ही दवाओं, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की व्यवस्था भी करेगा। यदि आवश्यकता हुई तो वह अन्य सेवाओं को करने के लिए तत्पर रहेगा।

कांची कामकोटि पीठम मठ

कांची कामकोटि पीठम मठ ने कोरोना महामारी में राहत के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के आपदा पीड़ित राहत कोष में दस-दस लाख रुपए की सहायता, डिमांड ड्राफ्ट के रूप में भेजी है।

महावीर मंदिर ट्रस्ट पटना

पटना के महावीर मंदिर ट्रस्ट ने राज्य में कोविड -19 महामारी से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपये का दान दिया है। ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा ‘हमारा मुख्य उद्देश्य तबाही से उबरने और गरीब लोगों को भोजन प्रदान करने की सरकार की योजना को मजबूत करना है। अयोध्या प्रशासन के आग्रह पर महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से अयोध्या में लॉक डॉउन के दौरान गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था की जी रही है। इसी ट्रस्ट ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रूपए का दान भी किया है।

माता वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मंदिर के कर्मचारियों ने राज्य के राहत कोष में अपने एक दिन के वेतन का दान दिया। वहीं, राजपत्रित कर्मचारियों ने उसी के लिए अपने दो दिन के वेतन का दान दिया। इसके अलावा, बोर्ड के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र मुर्मू के निर्देश पर, कटरा बस्ती में आबादी के जरूरतमंद लोगों के बीच राशन किट वितरित किए गए। श्राइन बोर्ड ने जिला अधिकारियों को अपना असीरवाड कॉम्प्लेक्स भी उपलब्ध कराया है, जिसमें 600 बिस्तरों की व्यवस्था की जा सकती है।

अम्बाजी मंदिर

अम्बाजी मंदिर ने गुजरात के मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ और एक लाख इसके अलावा, मंदिर ट्रस्ट ने तालाबंदी से अधिक प्रभावित लोगों के बीच भोजन के पैकेटों का वितरण भी शुरू कर दिया है और उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी कर रहा है।

श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट

श्री साईंबाबा संस्थान, शिरडी (अहमदनगर) महाराष्ट्र ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 51 करोड़ रुपए दान किया है और इसके अतिरिक्त श्री साईं प्रसादालय के माध्यम से श्री साईंनाथ अस्पताल, शिरडी अनाथालय, वृद्धाश्रम, बधिरों के लिए एक स्कूल, निराश्रित और जरूरतमंद, पुलिस कर्मियों सहित अन्य लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है।

देवस्थान प्रबंधन समिति, कोल्हापुर

देवस्थान प्रबंधन समिति, कोल्हापुर- समिति ने प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर के माध्यम से 2 करोड़ रुपये दान किए। जिसमें एक करोड़ 50लाख रुपए मुख्यमंत्री राहत कोष और कोरोना से प्रभावित लोगों की चिकित्सा सुविधा के लिए तथा जिलाधिकारी को 50 लाख रुपए दिए गए हैं।

पतंजलि का सहयोग

योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि की ओर से प्रधानमंत्री केयर्स फण्ड में 25 करोड़ रुपए दान किए गए हैं। इसके अतिरिक्त पतंजलि और रुचि सोया के सभी कर्मचारियों ने अपने एक दिन का वेतन दान किया जो लगभग 1.50 करोड़ रुपए हैं। इसके साथ ही हरिद्वार में दो संस्थानों का परिसर और कोलकाता, मोदीनगर (उत्तर प्रदेश) और सोलन (हिमाचल प्रदेश) में उनके आश्रमों को कोरोनोवायरस रोगियों के इलाज के लिए दिया गया है। संयुक्त रूप से इन सुविधाओं में लगभग 1500 रोगियों के रखने की व्यवस्था की जा सकती है। इसमें रोगियों के भोजन की व्यवस्था भी पतंजलि द्वारा की गई है।

संघ की अयोध्या महानगर इकाई द्वारा आइसोलेशन केन्द्र आरंभ

कोरोना पीड़ितों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अयोध्या महानगर इकाई की ओर से 25 बिस्तरों वाले आइसोलेशन सेंटर को आरंभ किया गया है। जिनके घरों में कोरोना संक्रमितों को अलग रखने में कठिनाई होती है वे, सरदार गनपत राय सरस्वती विद्या मन्दिर, रानोपाली स्थित संघ के आइसोलेशन केन्द्र में रह सकते हैं। मरीजों के रहने व भोजन का प्रबंध संघ की तरफ से नि:शुल्क किया जाता है। इस केन्द्र में प्रतिदिन व्यायाम भी कराया जाता है, जिससे वे शीघ्र ही स्वस्थ हो सकें। संघ के सह प्रांत प्रचारक मनोज ने कहा कि यह सेंटर कोरोना के सामान्य मरीजों के लिए बनाया गया है। यदि मरीजों की संख्या बढ़ी तो बिस्तरों की संख्या बढाई भी जा सकती है। आइसोलेशन केन्द्र में रहने वाले लोगों की सेवा स्वयंसेवक करते हैं। उन्हें दवाएं व भोजन भी निःशुल्क दिया जाता है। सेवा भारती के संगठन मंत्री आनंद ने स्वयंसेवकों का मनोबल बढ़ाया और कहा कि मानव सेवा करना हमारा कर्तव्य है। यहां आने वाले मरीजों के साथ हम अपने सगे परिजनों जैसा व्यवहार करेंगे और उन्हें संघ के विषय में बताने का प्रयास करेंगे।

श्री माता मनसा देवी मंदिर

21 अप्रैल को हरियाणा के पंचकुला में श्री माता मानसी देवी मंदिर ने हरियाणा कोरोना राहत कोष में 10 करोड़ रुपये का दान दिया। मंदिरों ने कोविड-19 की प्रथम लहर में मुक्त हस्त से दान और रोगियों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था की थी। दूसरी लहर के दौरान भी मंदिर जिस तरह से अपनी भूमिका निभा रहे हैं, वह प्रशंसनीय है और यह दर्शाता है कि मंदिर राष्ट्रीय विपदा के समय किस तरह से सामाजिक सरोकारों को पूरा करते हैं। गुजरात में कोविड-19 के नए मामलों के रूप में, वड़ोदरा के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर ने अपने यज्ञपुरुष सभा को कोविड-19 सुविधा में बदल दिया है। कोविड-19 केयर सेंटर 500 बिस्तर, ऑक्सीजन सुविधाओं जैसे तरल ऑक्सीजन टैंक और पाइप्ड ऑक्सीजन लाइन, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर से सुसज्जित है। कमरों के अलावा पंखे और एयर-कूलर भी शामिल हैं। पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने अपने नीलाचल भक्त निवास को कोविड-19 केयर सेंटर में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है। 120 बिस्तरों वाला यह सुविधा केंद्र कोरोनावायरस से संक्रमित मंदिर से जुड़े अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के लिए एक समर्पित केंद्र के रूप में भी काम करेगा। इसके अलावा, इस लड़ाई में सरकार की सहायता के लिए मंदिर ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 1.51 करोड़ रुपये का दान दिया गया। इसके अतिरिक्त जगन्नाथ पुरी के साथ ही उड़ीसा के 62 अन्य छोटे मंदिरों ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दिया है।

संत गजानन मंदिर, महाराष्ट्र

राज्य में बुलढाणा जिले के शेगांव में स्थित संत गजानन महाराज मंदिर राज्य के सबसे बड़े धार्मिक केंद्रों में से एक है। यहां कोविड संदिग्धों और रोगियों के लिए 500 बिस्तरों के अलग-अलग अलगाव परिसर बनाए गए हैं। इसमें एक सामुदायिक रसोईघर है जो 2000 लोगों के लिए भोजन तैयार करता है। यह खाना सभी को मुफ्त में दिया जाता है।

श्री रामाय सेवा ट्रस्ट
अयोध्या में इस संवेदनात्मकता को समझकर एक ट्रस्ट श्री रामाय सेवा ट्रस्ट अयोध्या की स्थापना की गई है, इस ट्रस्ट का काम है श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित शवों के लिए निःशुल्क लकड़ी उपलब्ध कराना। प्रशासन के साथ मिलकर यहां शवों के साथ आने वाले परिजनों की सुविधाओं के लिए शौचालयों और पेयजल की व्यवस्था भी की गई। रीतेश दास ही वह व्यक्ति हैं जो अनाथ शवों के दाहसंस्कार की व्यवस्था भी करते हैं। यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। रीतेश कहते हैं, कभी-कभी तो रात में भी शवों को दाहसंस्कार के लिए लाया जाता है क्योंकि कोई भी कोरोना संक्रमित के शव को घरों में या अस्पताल में नहीं रखना चाहता। तो हमें रात दिन इस सेवा को सतत जारी रखने के लिए यहां रहना ही पड़ता है। अब संक्रमित शवों के अन्तिम संस्कार के लिए अलग जगह की व्यवस्था भी की गई है। प्रशासन ने श्री रामाय ट्रस्ट को यह जिम्मेदारी दी है और हमारा उद्देश्य भी है कि कम से कम किसी भी दीन हीन को अंतिम संस्कार में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

तिरुपति तिरुमलय देवस्थानम

तिरुपति तिरुमलय देवस्थानम ट्रस्ट ने आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री राहत कोष में 19 करोड़ रुपए दान किए हैं। जिसका उपयोग कोविड-19 को प्रभावित रोगियों के लिए किया जाएगा। पिछले साल कोरोना संकट के बीच,प्रवासी मजदूरों को यहां समायोजित किया गया था।

0700 में से किसी एक नंबर पर सम्पर्क कर सकते हैं।
ये तो कुछ ही मंदिरों के नाम हैं जिनका सन्दर्भ यहां दिया गया है, इसके अतिरिक्त ऐसे बहुत से छोटे और निजी मंदिर हैं जो किसी राष्ट्रीय संकट के समय सहायता करने के लिए तैयार रहते हैं।

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