हब्बा हरिदिनगळल्ली बदुकु नेलेसिदे (उत्सवों में बसी है जान)
संस्कृति की नींव हमारे उत्सव-त्यौहार हैं और कर्नाटक की तो जान ही उत्सवों में बसती है। कर्नाटक के राजा-महाराजों के समय से चली आ रही उत्सव प्रथाओं को यहां की जनता आज भी पूरे विश्वास और उसी उत्साह के साथ आगे बढ़ा रही है। मैसूर का दशहरा हो या नागमण्डला का लोकनृत्य जनता की सहभागिता हर उत्सव में रहती है। विशेष बात यह है कि यहां उत्सवों को सामूहिक रूप से मनाने का ही प्रचलन अधिक है।