ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का प्रभाव- डाक्टर मोनिका जैन

कोरोना महामारी का असर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैला हुआ है। इस महामारी से बचने के उपाय को लेकर भी तमाम तरह के विवाद है। डाक्टर्स भी इस पर अलग अलग सलाह दे रहे है, आयुर्वेद के डॉक्टर कुछ और बताते है और सोशल मीडिया पर वायरल होते वीडियो लोगों को अलग जानकारी दे रहे है। इस असमंजस की घड़ी में हिंदी विवेक की तरफ से जागरूकता का अभियान चलाया जा रहा है जो बहुत ही कारगर है और लोगों तक डॉक्टरों का सही निर्देश पहुंचा रहा है। 
 
कोरोना महामारी पर डॉक्टर मोनिका जैन ने अपनी राय रखी और ग्रामीण क्षेत्रों में फैल रहे कोरोना महामारी पर प्रकाश डाला। डाक्टर मोनिका जैन ने बताया कि कोरोना महामारी शहरों के बाद अब गांव में भी पैर पसार रही है। कोविड 19 की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर ज्यादा घातक साबित हो रही है और पहले की तुलना में दूसरी लहर में संक्रमण से मरने वालों की संख्या बहुत अधिक है। सन 1918 में जब स्पैनिश फ्लू आया था तो उसकी भी पहली लहर कमजोर थी जबकि दूसरी लहर जिसे हमने बाम्बे फीवर नाम दिया था वह काफी प्रभावी थी जिससे 2 सालों में करीब 18 लाख लोगों की मौतें हुई थी।  
 
कोरोना की तीसरी लहर की भी पुष्टि की जा रही है लेकिन हम इसे चाहें तो रोक सकते है और इसके लिए हमें कोरोना के सभी नियमों का पालन करना होगा। तीसरी लहर को रोकने में वैक्सीन का अहम योगदान हो सकता है। हम सभी को जल्द से जल्द वैक्सीन का दोनों डोज लेना चाहिए। भारत एक ऐसा देश है जिसकी अधिकतम आबादी गांव में निवास करती है इसलिए हमें सबसे पहले ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा लेना चाहिए और उन्हें दुरुस्त करना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में कोरोना के साथ साथ अंधविश्वास और डर का भी साया है जिससे लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे है। सबसे पहले इस तरह के अंधविश्वास को खत्म करना होगा क्योंकि लोग अंधविश्वास के चलते सही इलाज नहीं ले पाते और उनकी मौत हो जाती है। विज्ञान ने कितना भी विकास क्यों ना कर लिया हो लेकिन गांव में आज भी अंधविश्वास तेजी से फैल रहा है जिसे खत्म करने की सख्त जरूरत है। 
 
ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन को लेकर जानकारी फैलाने की बहुत जरूरत है क्योंकि ग्रामीण इलाकों में वैक्सीन को लेकर एक तरह का डर पैदा किया गया है कि वैक्सीन के बाद बहुत तेज बुखार आता है जिससे मौत भी हो सकती है वहीं गांव में यह भी कहा जाता है कि वैक्सीन के बाद अगर बुखार नहीं आता है तो मतलब वैक्सीन काम नहीं कर रही है। डाक्टर मोनिका जैन की टीम ने कुछ गांवों में नुक्कड़ नाटक और कठपुतली के द्वारा लोगों को जागरूक करने प्रयास किया। डॉक्टर के मुताबिक ग्रामीण इलाकों के लोग डॉक्टर की बात कम समझते है जबकि नाटक और वीडियो के द्वारा उन्हे ज्यादा समझ में आता है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाने के लिए पोस्टर, टीवी स्क्रीन डिस्प्ले, दीवारों पर लेख और कविताओं का सहारा लिया जा रहा है। 
 
कोविड महामारी ने शहरों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी रोजगार की समस्या पैदा कर दी है। कुछ लोग शहरों से बेरोजगार हो कर गांव पहुंचे है जबकि कुछ लोग गांव में ही काम कर अपना परिवार पालते है लेकिन इस महामारी ने सभी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है ऐसे में सभी को स्वरोजगार की तरफ देखना होगा और गांव में ही रोजगार शुरू करना होगा। ग्रामीण इलाकों में रोजगार को कम लागत में शुरू किया जा सकता है और कम वेतन में लोग काम करने के लिए भी आसानी से मिल जायेंगे। 
 
कोरोना से लड़ने के लिए तन और मन दोनों से तैयार होना होगा तभी हम कोरोना की तीसरी लहर को रोक पायेंगे। कोविड की रोकथाम के लिए मीडिया को भी अहम किरदार निभाना होगा और सकारात्मक खबरों को अधिक महत्व देना होगा जिससे लोगों के मन में डर ना बढ़े। आप सभी से निवेदन है कि कोविड के नियमों का पालन करें और दूसरों को भी नियमों का पालन करने का निर्देश दें। 

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