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जनसंख्या नियंत्रण: उत्तर प्रदेश व असम में शुरु होगा दो बच्चों की नीति वाला कानून

जनसंख्या नियंत्रण: उत्तर प्रदेश व असम में शुरु होगा दो बच्चों की नीति वाला कानून

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष
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देश के लिए बढ़ती जनसंख्या एक बड़ा खतरा है लेकिन राजनीतिक दलों की मनमानी से इसे लगातार टाला जा रहा है। करीब सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर बात इसलिए नहीं करते है क्योंकि उन्हे पता है जनसंख्या पर रोक लगाने से वह मुस्लिम समुदाय के निशाने पर आ जाएंगे और उनका वोट बैंक कम हो जायेगा। जनसंख्या वृद्धि की बात करें तो मुस्लिम समुदाय में जनसंख्या वृद्धि सबसे अधिक देखने को मिल रही है और हाल सिर्फ भारत में नहीं है बल्कि वह दुनिया के सभी देशों में दिखाई दे रही है। अगर इसी तरह से देश में जनसंख्या वृद्धि पर रोक नहीं लगायी गयी तो आने वाले समय में भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन कर उभरेगी।
 
आप को सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगा कि अगर किसी भी परिवार की संख्या लगातार बढ़ती रहेगी तो एक समय बाद लोगों को जरुरत के अनुरुप चीजें नहीं मिल सकेगी जिससे विवाद होगा और परिवार विघटित हो जायेगा। हर घर का एक मुखिया होता है जो पूरे परिवार को एक साथ लेकर चलता है। परिवार में अगर सदस्य कम होंगे तो मुखिया सभी की जरूरतों को पूरा कर सकेगा लेकिन अगर परिवार की जनसंख्या अधिक होगी तो सभी की बात नहीं सुनी जा सकेगी और परिवार में विवाद शुरू हो जायेगा। भारत देश का भी ऐसा ही कुछ हाल होने वाला है। देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या एक समय के बाद विवाद को जन्म देने लगेगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में कहा था कि, ” सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए” हम यहां किसी राजनीतिक पार्टी की बात नहीं कर रहे है, समय से साथ साथ दल बदलते रहेंगे लेकिन देश के लिए जो समस्या है उसे अगर खत्म नहीं किया गया तो आने वाले समय में इससे सभी को परेशान होना होगा। 
 
अब सवाल यह है कि बीजेपी को छोड़ दूसरा कोई राजनीतिक दल इस पर बात करने को क्यों तैयार नहीं होता है? और उसका जवाब होगा, वोट बैंक की राजनीति। राजनीति में आने का मकसद ही सत्ता का सुख भोगना होता है। वह समय चला गया जब नेता सिर्फ समाज सेवा और देश सेवा के लिए बनते थे। अब तो गांव का प्रधान भी खुद के भरण पोषण के लिए प्रधान बनता है। देश के राजनेता किसी भी हाल में जनता को खुश रखना चाहते है और सत्ता का खुद सुख भोगना चाहते है इसलिए ऐसे किसी भी मुद्दे पर बात नहीं होती जिससे वोट बैंक बिगड़ सके। देश में जनसंख्या, आरक्षण, मदरसे की शिक्षा, धर्म गुरुओं को मिलने वाला वेतन, सड़क पर नमाज और ना जाने ऐसे कितने विवादित विषय है जिस पर कोई भी ध्यान नहीं देता है। बीजेपी ऐसे विवादित विषयों पर काम कर रही है और आगे भी जारी रहेगा लेकिन उसके लिए पूरा विपक्ष एक साथ खड़ा हो इसे रोकने की पूरजोर कोशिश करता है। 
देश के कुछ राज्य अब जनसंख्या नियंत्रण बिल को लाने की तैयारी कर रहे है जिसमें उत्तर प्रदेश और असम का नाम शामिल है। जनसंख्या नियंत्रण बिल के नाम पर ही विपक्षी दलों ने हल्ला मचाना शुरु कर दिया और यह आरोप लगा रहे है कि बीजेपी मुस्लिमों को परेशान कर रही है। दरअसल विपक्ष को समस्या से कुछ भी लेना देना नहीं है वह तो हर हाल में सत्ता में वापसी चाहती है और सरकार के हर फैसले का विरोध करना उसका धर्म बन चुका है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी इसका विरोध कर रही है जबकि इंदिरा गांधी ने खुद “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था। इंदिरा गांधी के समय में ही नसबंदी अभियान भी चलाया गया था लेकिन अब वह कांग्रेस को कहा याद होगा। उत्तर प्रदेश और असम सरकार की तरफ से कहा गया कि अब सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ उन्हें दिया जायेगा जो दो बच्चों की नीति का पालन करेंगे। अगर उत्तर प्रदेश और असम में यह कानून सफलतापूर्वक लागू होता है तो आने वाले समय में इसे और भी राज्य शुरु कर सकते है। 
भारत की आबादी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि सरकार कितना भी विकास कर लें वह पूरी तरह से कभी भी सफल नहीं हो सकेंगी क्योंकि आप अगर 1 लाख लोगों के लिए रोजगार पैदा कर रहे हो तो अगले साल फिर से 1 लाख लोग रोजगार के लिए तैयार हो जा रहे है। ऐसे में विकास कभी भी दिखायी नहीं दे सकता है। पिछले कई दशकों से मृत्यु दर में भी कमी आयी है। जन्म लेने वाले करीब सभी बच्चे जीवित होते है पहले यह दर भी काफी कम थी। विज्ञान ने करीब सभी रोगों की दवा को खोज निकाला है जिससे मृत्यु दर कम हुई है। इंसान अब प्रकृति पर भी विजय पाने की तैयारी कर रहा है लेकिन प्रकृति के कहर के आगे वह टिक नहीं पा रहा है।

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