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कोरोना से निपटने में योगी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कोरोना से निपटने में योगी का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

by डॉ अत्रि भारद्वाज
in सामाजिक, सितंबर- २०२१, स्वास्थ्य
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कोरोना संक्रमण की दूसरी अप्रत्याशित लहर आने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी हिम्मत और विवेक से प्रतिकूल परिस्थितियों में मुकाबला किया और प्रदेशवासियों के मनोबल को अपने वक्तव्यों से मजबूती देते रहे। योगी जी ने कहा कि आपदा की स्थिति में हमें अतिरिक्त संवेदनशील होने की जरूरत होती है।

योगी आदित्यनाथ यूपी के मुखिया हैं और यूपी को संवारने सजाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। इस कोविड काल में योगी आदित्यनाथ की अग्निपरीक्षा भी हुई, जिसमें वे सफल सिद्ध हुए। किसी भी प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं प्राथमिकता पर होती है। प्रदेश की सेहत ठीक रखने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ और सस्ती होनी चाहिए। योगी जी इसी नजरिए से स्वास्थ्य सेवाओं को देखते हैं इसलिए उन्होंने अस्पतालों के सुधार पर विशेष जोर दिया है।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले सिर्फ 12 मेडिकल कालेज थे। सत्ता परिवर्तन के बाद चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार की कवायद शुरू हुई और अब तक 30 नए मेडिकल कालेज खोले गए हैं। इनमें से आठ शुरू भी हो चुके हैं। यहां मरीजों के इलाज के साथ ही मेडिकल की पढ़ाई भी हो रही है। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स भी शुरू हो गया है। नए मेडिकल कालेजों के खुलने से एमबीबीएस की सीटें भी बढ़ेगी और करीब चार साल बाद यहां से तैयार डॉक्टर विभिन्न अस्पतालों में अपनी सेवा देना शुरु करेंगे।

विश्व स्तर पर सराहा गया उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के कोरोना प्रबंधन की सराहना पूरे देश में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी योगी आदित्यनाथ के कोरोना काल में किए प्रयासों की सराहना की है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के 19 मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा बैंक की स्थापना की गई। मुख्यमंत्री आरोग्य मेले में अब तक 54 लाख से ज्यादा लोगों को चिकित्सा सुविधा मिल चुकी है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 1.18 करोड़ परिवारों से अधिक को पांच लाख रूपयों का बीमा कवर दिया गया है। इसी तरह 1012 लाख परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान) में भी कवर किया जा चुका है।

कोरोना संक्रमण की दूसरी अप्रत्याशित लहर आने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी हिम्मत और विवेक से ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में मुकाबला किया और प्रदेशवासियों के मनोबल को अपने वक्तव्यों से मजबूती देते रहे। योगी जी ने कहा कि आपदा की स्थिति में हमें अतिरिक्त संवेदनशील होने की जरूरत होती है। यदि किसी मरीज का परिजन क्षणिक आवेश में नाराजगी जाहिर करता है, तो उससे संवेदनापूर्ण व्यवहार ही किया जाए।

उन्होंने स्थानीय स्तर पर ही लोगों को समय से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए सभी सीएचसी पर 10-10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने हमेशा कहा कि कोरोना से उपचार में बचाव अधिक महत्वपूर्ण है। मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर अगस्त में चरम पर पहुंची थी। गोरखपुर में मार्च 2020 के आखिरी में कोविड-19 का पहला केस आया था और जुलाई में इसमें बढ़त हुई।

उत्तर प्रदेश बना अन्य राज्यों के लिए उदाहरण

कोविड प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश के योगी मॉडल को विश्व स्वास्थ्य संगठन के बाद नीति आयोग ने भी सराहा। आयोग ने करोना के अभूतपूर्व संकट के दौरान देश की सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में हर जरूरतमंदों तक शीघ्र ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की मानिटरिंग और रियल टाइम प्रबंधन का सिस्टम विकसित किया। अब तो केंद्र और कई राज्य भी अपने यहां इस सिस्टम को लागू कर रहे हैं। इसी प्रबंधन के बल पर राज्य सरकार ढाई सौ मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति को 1000 टन तक ले जाने में सफल हुई। यह किसी भी राज्य के आपूर्ति का सर्वाधिक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन या नीति आयोग जैसी दुनिया और देश की शीर्ष संस्थाएं यूं ही नहीं किसी देश या प्रदेश की सराहना करती है। सराहना करने के पहले भी इस बात की जांच परख की जाती है कि संबंधित विषय के प्रबंधन के लिए संबंधित सरकार ने क्या योजना बनाई है, उसका अमल कैसे कराया गया और अमल के नतीजे क्या आए? तब कहीं सार्वजनिक रूप से सराहना की जाती है। कोविड वित्त प्रबंधन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दूसरी बार योगी आदित्यनाथ की सराहना की है। कोरोना की पहली लहर में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने योगी के कांटेक्ट रेसिंग के फार्मूले को अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बताया था।

वहीं दूसरी लहर में कोरोना को काबू करने के लिए उनके तीन स्तरीय मंत्र ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की सराहना की। कोरोना से लड़ने के लिए जमीनी तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री योगी इस दौरान खुद भी संक्रमित हुए। इसके बावजूद भी वे कोरोना से मुकाबले में डटे रहे। हर रोज वर्चुअल रूप में सक्रिय रहकर जनता को कोरोना से बचाने की रणनीति बनाते रहे। टीमों का गठन कर अधिकारियों व उनकी जवाबदेही का विकेंद्रीकरण किया और रोज एक बिंदु पर समीक्षा की।

आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऑक्सीजन प्लांट

राज्य सरकार ने 75 जिलों के 97941 गांवों में घर-घर संपर्क कर कोरोना की जांच करने के साथ आई शॉल एशियन और मेडिकल किसकी सद्दाम मुहैया कराई। कोरोना के खिलाफ महाअभियान में स्वास्थ्य विभाग की 141610 टीवी टीमें दिन-रात काम करती रही। मैनेजमेंट पर नजर रखने के लिए योगी सरकार ने 123242 पर्यवेक्षकों की तैनाती भी की और बड़े स्तर पर स्वच्छता अभियान भी चलाया गया। 160 हजार से अधिक निगरानी समितियों के 400000 सदस्य गांवों में घर-घर गए और कोविड के प्रति जागरूक किया।

राज्य में इस तरह का अभियान चलाने वाला यूपी देश का पहला राज्य है। योगी ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए लोगों से इस महामारी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की अपील भी की। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी ने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सरकार द्वारा प्रदेश में अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के संकेत भी दिए हैं। पूरे प्रदेश में वैक्सीनेशन का काम तेजी से चल रहा है। प्रदेश के जनपदों को ऑक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऑक्सीजन प्लांट भी लगाए गए हैं।

आत्मनिर्भरता का भाव हुआ विकसित

कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरू से ही हर संभव प्रयास किए। सभी के सहयोग और जागरूकता से कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण में बहुत हद तक सफलता भी मिली। लॉकडाउन में सबसे बड़ी अच्छी बात यह रही कि एक दूसरे की मदद का भाव पैदा हुआ। खुद की सेहत और सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता आई। कोरोना काल में जो अच्छी बात देखने को मिली वह यह कि फिर से लोग बड़े शहरों से गांव की ओर आए। इससे बाहर रहने वाले लोगों को परख के साथ रहने का अवसर मिला।

कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के लिए वाराणसी स्मार्ट सिटी को उसका गोल्ड अवार्ड दिया गया। कोरोना संक्रमित मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी पर मुख्यमंत्री योगी ने सख्त कदम उठाते हुए महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज करने के आदेश दिए। निर्देश दिया कि डीएम व सीएमओ स्तर से भेजे जा रहे संक्रमितों को हर हाल में अस्पताल में भर्ती कराया जाए। इसी तरह हर जरूरतमंद को भरण-पोषण भत्ता व मुक्त राशन देने की योगी सरकार की घोषणा ने मरहम का काम किया। पंजीकृत व गैर पंजीकृत श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडर, पल्लेदार और कुली आदि को भरण-पोषण भत्ता दिया गया। राशन कार्ड की बाध्यता खत्म कर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना व सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जरूरतमंदों में राशन वितरण किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक एक व्यक्ति की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है।

मुख्यमंत्री के आदेश पर गुजरात से 35200 रेमडेसिवीर इंजेक्शन मंगवाए गए। इस खेप को अहमदाबाद से लखनऊ जाने के लिए राजकीय विभाग का इस्तेमाल किया गया। प्रदेश में प्रतिदिन ढाई लाख कोरोना जांच के आदेश दिए गए। मुख्यमंत्री की अपील पर ऑक्सीजन सप्लाई प्लांट लगाने के लिए कई उद्यमी आगे आए। कोविड की दूसरी लहर का असर न्यूनतम करने के लिए योगी सरकार ने बेहद वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया।

अनाथ बच्चों को मिली सहायता

सरकार की प्राथमिकता कोरोना संक्रमण पर काबू करने की थी ताकि बचाव की कारगर नीति तैयार की जा सके। उत्तर प्रदेश की परीक्षण सुविधाओं को पूरी क्षमता से संचालित किया गया। अब उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल ऑक्सीजन की आपूर्ति में आत्मनिर्भर बन गया है। गांव इस महामारी के प्रकोप से बचे रहे, इसके लिए मुख्यमंत्री ने पूर्वांचल सहित प्रदेश के 97000 गांव की निगरानी समितियों को सक्रिय किया। कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को प्रति माह चार हजार की राशि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत देने की घोषणा भी की गई है।

योगी ने पेश की मिसाल

उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में कोरोना संक्रमण की दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई। पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाली बीमारी कोविड-19 के खिलाफ अनुकरणीय प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री योगी ने एक मिसाल पेश की है। कोरोना संक्रमण पहली बार फैलने पर इसके खिलाफ जंग की कमान खुद संभालने वाले योगी ने इसकी दूसरी लहर रोकने के प्रयासों की भी अगुवाई की। उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल को बचाने के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास किए। प्रशासनिक मशीनरी को लक्ष्य केन्द्रित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए वे लगातार समीक्षा बैठकें, अस्पतालों के दौरे, सामुदायिक सेवाओं के निरीक्षण और धरातल पर अन्य काम करते रहे।

मुख्यमंत्री 30 अप्रैल को होम आइसोलेशन से बाहर आने के बाद बीमार लोगों से संवाद में जुट गए। इसे काम करने का जज्बा ही कहा जाएगा कि इस दौरान उन्होंने पूर्वांचल का सघन दौरा किया। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण बनारस की मॉनिटरिंग करते रहे। दवाओं और टीकों की आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए खुद संवाद स्थापित करते रहे। इस दौरान वे स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से मिलकर उनका उत्साह भी बढ़ाते रहे।

तीसरी लहर के खिलाफ तैयारी

वहीं सीएम हेल्पलाइन 1076 से कोरोना संक्रमित करीब 70 हजार लोगों को कॉल कर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया। जनसुनवाई पोर्टल पर अलग डैशबोर्ड बनाया गया। जीवन संग आजीविका बचाने के संकल्प के साथ आंशिक कोरोना कर्फ्यू को तरजीह दी गई। कमजोर तबका प्रभावित न हो, इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने रेहड़ी, पटरी दुकानदारों, ठेले खोमचे वालों और दिहाड़ी मजदूरों को 1000-1000 की राशि प्रदान की गई। गरीबों और ज़रूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिए देश का सबसे बड़ा राशन वितरण अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत राज्य सरकार द्वारा आगामी तीन माह तक सरकारी राशन दुकानों से 15 करोड़ लोगों को उनकी पात्रता के अनुसार नि:शुल्क अनाज मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जमीनी स्तर पर चिकित्सा स्वास्थ्य की तैयारियों को परखा और संक्रमितों को बेहतर इलाज और सुविधाएं मिल सके इसका जायजा लिया। तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर मुख्यमंत्री सचेत हैं और पूर्व तैयारियां युद्ध स्तर पर लगातार की जा रही है।

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