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सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं

सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं

by विश्वनाथ बेंजवाल
in उत्तराखंड दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२१, विशेष, सामाजिक
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बदलते परिवेश में राजनीतिक शुचिता व नैतिकता को नये सिरे से गढ़ा जा रहा है। जन कल्याणकारी योजनाओं की प्रमाणिकता व विश्वसनीयता अपेक्षाकृत बढ़ी हैं। घोटाले व भ्रष्टाचार जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति पर अंकुश लगा है, जिससे आम लोगो ने राहत की सांस ली है। परिणामत: दुनियाभर के देशों में भारत की साख बढ़ी है।

किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य की जवाबदेही आम जन के कल्याण में निहित होती हैं। विशेषकर जनतंत्र में इस बात का महत्व और अधिक इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि लोक के नीर-क्षीर विवेक से ही लोकतांत्रिक सरकारों के कार्यों का सही एवं सटीक मूल्यांकन हो पाता है। सरकारों के उत्थान व पतन में जनता का एक -एक वोट निर्णायक साबित होता है।

भारतीय परिप्रेक्षय में अगर देखा जाए तो यह बिंदु विचारणीय है कि जन कल्याणकारी योजनाएं अपनी कसौटी पर खरी भी उतर पाई हैं या नहीं?  दीगर बात है भारतीय लोकतंत्र में जन कल्याणकारी योजनाएं धरातल में जन कल्याण के कार्यों के क्रियान्वयन के बजाए लोक लुभावन नारों व जुमलों में ही तब्दील होती रही हैं। नतीजतन आजादी के सात दशकों की विकास यात्रा में अंतिम छोर पर खड़ा नागरिक हाशिए पर ही रहा और कभी -कभी ऐसा भी लगता है कि यह उसकी नियति बन गई है।

भ्रष्टाचार ने इन योजनाओं के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी पगबाधा खड़ी की है। वैसे तो 70 वर्षों में एक से बढ़ कर एक जन कल्याणकारी योजनाएं विभिन्न सरकारों ने चलाई हैं। उस लिहाज से देखा जाए तो आज तक एक भी समस्या नजर नहीं आनी चाहिए थी और आम जन जिस रामराज्य की परिकल्पना करता है, वह धरातल में दिखना चाहिए था मगर ऐसा नहीं हुआ। उल्टे सरकार की योजनाएं सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए बदनाम रही और अब इसमें किये जा रहे ईमानदार प्रयास भी उस मिथक को तोड़ने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। आज भी इन योजनाओं के प्रति आम लोगों में विश्वास पैदा करना वर्तमान सरकारों व उसके नीति निर्धारकों के लिए चुनौती बना हुआ है।

बदलते परिवेश में राजनीतिक शुचिता व नैतिकता को नये सिरे से गढ़ा जा रहा है। जन कल्याणकारी योजनाओं की प्रमाणिकता व विश्वसनीयता अपेक्षाकृत बढ़ी हैं। घोटाले व भ्रष्टाचार जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति पर अंकुश लगा है, जिससे आम लोगो ने राहत की सांस ली है। परिणामत: दुनियाभर के देशों में भारत की साख बढ़ी है।

जहां चीन जैसे साम्राज्य वादी देश को भारत के सामने घुटनों के बल खड़ा होना पड़ा है, वहीं हमारे पड़ोसी मुल्क से आतंकवादियों की आमद में कमी आई है। विश्व के सामने पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब हुआ है। आतंकियों के सरपरस्तों को उनके ठिकाने पर ठोक डाला गया है और उनके लांचिग पैड़ को नेस्तनाबूद किया गया।

भय व भ्रष्टाचार मुक्त समाज सरकारों की प्राथमिकताएं होती हैं। ये अलग बात है कि कुछ सरकारें इसमें गंभीर प्रयास कर रही हैं तो कुछ ने इसे रश्म अदायगी तक सीमित रखा था।

राष्ट्र की एकता-अखण्डता व उसकी संप्रभुता की रक्षा करना सरकारों का पहला कर्तव्य है। उसके बाद नागरिकों की बेहतरी के लिए जन कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

इस समय आम आदमी के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री जन-धन योजना, जन -धन से जन सुरक्षा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी उनके योजनाएं धरातल में हैं जो गरीब से गरीब आदमी के लिए भी बेहतर जीवन शैली व बेहतर स्वास्थ्य देने की राह में आशा की किरण दिखाती हैं।

धुप्प अंधेरे में कहीं दूर दीये की लौ जलती हुई दिखाई देती है जो अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन की झंझावतों को कम करने में शायद कारगर हो सकती है।

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Tags: government yojnahindi vivekhindi vivek magazinepolitical situation in indiapolitics newspolitics nowsarkar

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