राजनीतिज्ञों के भ्रष्टाचार पर लगाम क्यों नहीं?

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राजनीति भी शेष जीवन की भांति, विरोधाभासों से भरी हुई है। दिल्ली और पंजाब में शासित आम आदमी पार्टी ('आप') गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन (वर्ष 2011) से जनित राजनीतिक दल है। किंतु विडंबना देखिए कि उसका शीर्ष नेतृत्व वित्तीय कदाचार और शराब घोटाले में जेल में बंद…

कांग्रेस की भारत तोड़ो यात्रा

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पुनर्स्थापना की महत्वाकांक्षी योजना, “भारत जोड़ो यात्रा” ने अब सौ दिन से अधिक दिन पूरे कर लिए हैं लेकिन यात्रा के दौरान हुयी गतिविधियों और राहुल गांधी के बयानों ने इसे “भारत तोड़ो यात्रा बना दिया है। राहुल गांधी कह रहे हैं कि नफरत के…

हिमालय क्षेत्र में प्रकृति संरक्षण एवं आपदा प्रबंधन

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पहाड़ी क्षेत्रों में बादल का फटना एवं भूस्खलन एक साधारण घटना है, लेकिन केदारनाथ क्षेत्र में इतनी बड़ी आपदा पहली बार हुई है। इसी तरह से बादल का फटना, भूस्खलन, नदी की धारा बाधित होना, अल्पकालिक झील का निर्माण, झील का ध्वस्त होना एवं त्वरित बाढ़ का आना एवं अवसाद के अपवहित होने की घटना पर गंगोत्री हिमनदीय क्षेत्र में शोध अध्ययन किए गए हैं।

अनुदान बहुत हुआ अब श्रमदान करें

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महाराष्ट्र के वर्तमान मा. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के पूर्व मुख्य मंत्री भी रह चुके हैं। उत्तराखंड के गठन से उनकी सक्रीय राजनीति में अहम भूमिका रही है। उन्होंने उत्तराखंड के विकास के लिए कई योजनाएं बनाईं थीं। अब 21 वर्षों के उपरांत प्रदेश की प्रगति के संदर्भ में उन्होंने हिंदी विवेक से विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उसके कुछ प्रमुख अंश-

सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं

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बदलते परिवेश में राजनीतिक शुचिता व नैतिकता को नये सिरे से गढ़ा जा रहा है। जन कल्याणकारी योजनाओं की प्रमाणिकता व विश्वसनीयता अपेक्षाकृत बढ़ी हैं। घोटाले व भ्रष्टाचार जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति पर अंकुश लगा है, जिससे आम लोगो ने राहत की सांस ली है। परिणामत: दुनियाभर के देशों में भारत की साख बढ़ी है।

राजनीतिक सामाजिक हालातों की चिंताजनक कहानी

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राज्य गठन के बाद उत्तराखंड को अटल सरकार ने दस साल के लिए औद्योगिक पैकेज दिया था। इसके तहत राज्य के मैदानी इलाकों में इंडस्ट्री तो आयी लेकिन पैकेज सब्सिडी अवधि खत्म होने के बाद उत्पादन ठप्प कर दिया। नतीजतन स्थानीय युवकों को रोजगार के संकट से गुजरना पड़ा और भू माफियाओं की दखलंदाजी बढ़ने से कृषि योग्य भूमि भी घटती चली गई।

रसातल की ओर जाती राजनीति

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इससे पहले पीएम मोदी और शरद पवार की अलग-अलग मुद्दों को लेकर कई बार मुलाकात भी हो चुकी है। जिसके बाद दोनों नेताओ एक दूसरे की तारीफ भी की थी लेकिन फिलहाल हवा का रुख बदला-बदला सा नजर आ रहा है

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