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रामलला के गर्भगृह तक था सरयू नदी का किनारा, अब रिटेनिंग वॉल से की जायेगी मंदिर की सुरक्षा

रामलला के गर्भगृह तक था सरयू नदी का किनारा, अब रिटेनिंग वॉल से की जायेगी मंदिर की सुरक्षा

by हिंदी विवेक
in अध्यात्म, विशेष, संस्कृति, सामाजिक
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है लेकिन आज फिर से एक बार राम मंदिर का नाम चर्चा में हैं। दरअसल यह कहना गलत नहीं होगा कि राम मंदिर निर्माण की कहानी का पहला अध्याय 6 दिसंबर 1992 को ही लिखा गया था और उसके बाद ही 9 नवंबर 2019 का शुभ दिन राम भक्तों के कैलेंडर में शामिल हुआ। बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद राम मंदिर का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया और अब यह लड़ाई पूरी तरह से कोर्ट में चली गयी। कोर्ट में भी करीब 27 सालों तक लड़ाई चलती रही और अंत में 9 नवंबर 2019 को कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता पूरी तरह से साफ कर दिया। राम मंदिर के निर्माण का श्रेय किसी एक व्यक्ति, दल या संस्था को नहीं दिया जा सकता है। समय समय पर इसके लिए तमाम राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया और जान की बाजी लगाई है।    
राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से जारी है और यह भी कहा जा रहा है कि वर्ष 2023 तक इसे दर्शन के लिए खोल दिया जायेगा। राम मंदिर निर्माण का कार्य बहुत ही गोपनीय तरीके से चल रहा है जिससे इसकी अधिकतर जानकारी बाहर लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है। दरअसल सुरक्षा कारणों की वजह से किसी को भी निर्माण कार्य के नजदीक जाने नहीं दिया जा रहा है जिससे निर्माण कार्य की जानकारी लोगों तक पहुंच नहीं पा रही है। राम मंदिर की नींव तैयार कर ली गयी है जबकि मंदिर के पत्थरों पर भी काम चल रहा है। मंदिर के नींव का काम सबसे कठिन बताया जा रहा था जो करीब पूरा हो चुका है इसके बाद अब काम बहुत ही तेजी के साथ आगे बढ़ेगा। 
दरअसल अयोध्या में जिस स्थान पर मंदिर का निर्माण हो रहा है उसके नीचे बलुई मिट्टी है जिस पर अधिक दबाव नहीं दिया जा सकता है इसलिए मिट्टी के जानकारों और देश के तमाम आईआईटी इंजीनियर्स की देखरेख में यह नींव का काम किया गया जिससे नींव की भराई में अधिक समय लगा। राम मंदिर को एक भव्य रूप देने के लिए काम किया जा रहा है इसलिए नींव का मजबूत होना बहुत जरूरी है। ट्रस्ट के मुताबिक नींव को ही भरने में करीब 6 महीने का समय निकल गया जबकि ऊपर के फाउंडेशन का स्ट्रक्चर तैयार करने में भी करीब 18 महीने का समय लगा। यह एक विशाल मंदिर बन रहा है तो सभी फैसले बहुत सोच समझकर लेने होते है और उसमें समय लगता है। हालांकि जिस तेजी से काम हो रहा है वह संतुष्ट करने वाला है और अगर यही गति बनी रही तो हम अगले दो सालों में भगवान को मंदिर में स्थापित कर देंगे। 
राम मंदिर को लेकर कई बार यह सुनने में आया था कि इसका निर्माण इस तरह से किया जायेगा कि यह हजारों सालों तक खड़ा रहेगा। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट की तरफ से बताया गया कि मंदिर निर्माण में लोहे और सीमेंट का इस्तेमाल करीब ना के बराबर हो रहा है। देश के अलग अलग राज्यों से आए पत्थरों का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि पत्थरों की उम्र करीब एक हजार साल होती है उससे पहले उनके कण नहीं टूटते हैं। धूप, पानी और हवा की मार झेलने के बाद भी यह पत्थर कम से कम एक हजार साल तक ऐसे ही खड़े रहेंगे उसके बाद ही इनके टूटने या गिरने का सिलसिला शुरु होगा। 
राम मंदिर निर्माण को लेकर अभी भी बैठक जारी है। मंदिर के 70 एकड़ परिसर के लैंडस्केप को लेकर बैठक हुई जिसमें श्री राम जन्मभूमि निर्माण समिति के सभी सदस्य और एलएनटी की टीम शामिल रही। बैठक में मंदिर परिसर की बागवानी सहित कई विषयों पर चर्चा हुई। इसके साथ ही श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्थाई कार्यालय के निर्माण का भी भूमिपूजन किया गया। यह कार्यालय रामकोट स्थिति चौबुर्जी मंदिर के पीछे होगा यह दो मंजिला होगा और इसमें कुल डेढ़ दर्जन कमरे होंगे। 
सरयू नदी से मंदिर की सुरक्षा करना भी बहुत जरूरी है क्योंकि यह नदी बाढ़ के समय में मंदिर के लिए खतरा बन सकती है। इसलिए मंदिर के चारो तरफ एक सुरक्षा दीवार बनाई जायेगी। रिटेनिंग वॉल यानी सुरक्षा दीवार को जमीन के अंदर करीब 12 मीटर तक रखा जाएगा जिससे नीचे से भी पानी जाने की उम्मीद करीब ना के बराबर हो। एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि कभी सरयू नदी का किनारा रामलला के गर्भगृह तक था लेकिन समय के साथ वह दूर होता चला गया इसलिए आगामी सैकड़ों सालों को ध्यान में रख यह सुरक्षा दीवार बनायी जा रही है।

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Tags: ayodhyahindi vivekhindi vivek magazinel and tRam mandirramlalaretaining wallsharayu river

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