जनरल रावत ने एकबार कहा था “हम ढाई मोर्चों पर लड़ रहे हैं”
कल उनके दुःखद निधन के बाद खुश होते कुछ निकृष्टतम लोगों को देखकर उनकी बात याद आ गई !
मित्रों, बाकी के दो मोर्चे तो हमारे वीर सैनिक संभाल रहे हैं और संभालते रहेंगे लेकिन बचा हुआ आधा मोर्चा हम जैसे सामान्य नागरिकों को ही संभालना है !
जनरल रावत और उनके जैसे तमाम वीर सैनिकों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम ये आधा मोर्चा संभालकर उनकी मृत्यु पर हंसने वाले इन मनोरोगी दानवों को करारा जवाब दें !
दूसरी बात, जनरल रावत या पुलवामा पर खुश होकर तुम बार-बार सिद्ध कर देते हो कि तुम हमारे जैसे नहीं, हमारे बीच के नहीं, हमारे अपने नहीं !