28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी और पार्टी की स्थापना में एलेन ओक्टेवियन ह्यूम (Allan Octavian hume), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा का बड़ा योगदान रहा। कांग्रेस देश की पहली नेशनल पार्टी थी जिसने देश को पहला प्रधानमंत्री दिया और देश की आजादी में भी बड़ा योगदान दिया। पार्टी की स्थापना तब हुई थी जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था इसलिए इस पार्टी का इतिहास बहुत पुराना और बड़ा है जिसे किसी एक लेख में पूरा करना करीब करीब मुश्किल है। पार्टी के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही चेहरे हैं जिसे देश की जनता ने भी देखा है और कुछ घटनाओं को आज भी याद किया जाता है।
कांग्रेस स्थापना दिवस के मौके पर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी को संबोधित किया साथ ही सरकार पर भी हमला बोला। कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया कि देश का लोकतंत्र खतरे में हैं और हर नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहा है हालांकि उनके इन सभी आरोपों का कोई तर्क नहीं दिया गया। सोनिया गांधी ने सरकार के खिलाफ आरोप लगाए लेकिन उनके किसी भी दावे में दम नजर नहीं आया और चुनावी स्क्रिप्ट को पढ़कर उन्होंने पूरा कर दिया। राहुल गांधी की तरफ से भी एक ट्वीट कर पार्टी के स्थापना दिवस पर सभी को शुभकामनाएं दी गयी और साथ ही सरकार पर हमला बोला गया। राहुल गांधी ने लिखा, हम कांग्रेस है, ‘वह पार्टी जिसने देश में लोकतंत्र की स्थापना की और हमें इस धरोहर पर गर्व है’।
We are Congress- the Party which laid the foundation of our democracy & we are proud of this legacy.
Best wishes on #CongressFoundationDay.
हम कांग्रेस हैं- वो पार्टी जिसने हमारे देश में लोकतंत्र की स्थापना की और हमें इस धरोहर पर गर्व है।#कांग्रेस_स्थापना_दिवस की शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/c2pg7Vx1nl
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 28, 2021
कांग्रेस पार्टी में टूट का भी इतिहास बहुत पुराना है, जाहिर सी बात है कि एक बड़ी पार्टी है तो उसमें फूट भी होगी। वर्ष 1951 में कांग्रेस के बड़े नेता जेबी कृपलानी ने पार्टी को अलविदा कह दिया था और एक नई पार्टी किसान मजदूर प्रजा की स्थापना की थी। 1956 में सी राजगोपालाचारी ने भी आपसी मतभेद के चलते पार्टी को छोड़ दिया और एक नई पार्टी बना ली। इसके अलावा शरद पवार, ममता बनर्जी और अजीत जोगी जैसे कई नाम हैं जिन्होंने पार्टी से अलग होकर खुद की नई पार्टी बना ली। नेताजी सुभाषचंद्र बोष भी कही कांग्रेस पार्टी के सदस्य हुआ करते थे लेकिन राष्ट्र पर आपसी सहमति ना होने की वजह से नेता जी ने भी कांग्रेस को अलविदा कर दिया। आंतरिक कलह की कहानी आज भी चली आ रही है और हर साल पार्टी से कोई ना कोई नेता नाराज नजर आता है।
कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को अपना 137वां स्थापना दिवस मनाया। इस दौरान देश के करीब सभी कार्यालयों पर झंडा रोहण किया गया और पार्टी की तरफ से कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया गया। हालांकि झंडा रोहण कार्यक्रम उस समय मजाक की वजह बन गया जब सोनिया गांधी ने झंडा रोहण के लिए रस्सी खींची लेकिन झंडा नहीं खुला, पास में खड़े एक नेता ने रस्सी को जोर से खींच दिया जिससे झंडा ही नीचे गिर गया लेकिन गनीमत इस बात की रही कि झंडा सोनिया गांधी के हाथों पर ही गिरा। बाद में झंडे को पूरे सम्मान के साथ फिर से लगाया गया और झंडा रोहण कार्यक्रम को संपन्न किया गया।