नागालैंड में अफस्पा (AFSPA) को 6 महीने के लिए और बढा दिया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से दलील दी गयी कि पूरे नागालैंड में अशांति व खतरे की स्थिति है ऐसे में नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम 1958 का उपयोग करते हुए अफस्पा (AFSPA) को अगले साल 30 जून 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि नागरिक शक्ति की सहायता के लिए सशस्त्र बलों के उपयोग की आवश्यकता है इसलिए अफस्पा (AFSPA) के अधिकार को आगे बढ़ाया गया है। अफस्पा (AFSPA) को मणिपुर, असम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिरोज़म, नागालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू कश्मीर में लागू किया गया था लेकिन इसे समय के साथ साथ हटाया भी गया वर्तमान में यह जम्मू कश्मीर, नागालैंड, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू किया गया है।
पिछले काफी समय से अफस्पा (AFSPA) कानून को खत्म करने की मांग उठ रही है लेकिन राज्य के हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने अभी इसे जारी रखने का फैसला लिया है। हाल ही में 4 दिसंबर को हुई सैनिक कार्रवाई में कई लोगों की मौत हो गयी थी जिसके बाद एक बार फिर से अफस्पा (AFSPA) को हटाने की मांग उठी थी। इस घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश हो चुके हैं और अगर सेना की तरफ से गड़बड़ी पायी जाती है तो जिम्मेदारी अधिकारी को सजा दी जायेगी। केंद्र सरकार की तरफ से एक समिति का गठन किया गया है जो अफस्पा (AFSPA) हटाने को लेकर केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी।
21 पैरा स्पेशल फोर्सेज द्वारा किए गए ऑपरेशन की जांच के भी आदेश दिये गये है। नागालैंड सरकार की तरफ से एक एसआईटी का गठन किया गया है जो पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवानों और अधिकारियों से पूछताछ करेंगी। एसआईटी के मुताबिक अगले महीने तक इस पर रिपोर्ट आ सकती है। 4 दिसंबर की घटना के बाद नागालैंड सरकार की तरफ से इसका विरोध किया गया था और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे हटाने की मांग की गयी थी। नागालैंड के अलग अलग संगठनों द्वारा भी अफस्पा (AFSPA) का विरोध कई बार हो चुका है। राज्य के स्थानीय दल इसे हटाने की मांग करते रहते है।
अफस्पा (AFSPA) क्या होता है?
यह कानून देश के अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है और इसके तहत सेना को विशेष अधिकार मिलते हैं जिससे वह देश विरोधी गतिविधियों को कम करते है। अफस्पा (AFSPA) के तहत सुरक्षाबलों को बिना वारंट किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है जरुरत पड़ने पर बल का भी प्रयोग कर सकते है। पूर्वोत्तर के हालात ठीक ना होने की स्थिति में 11 सितंबर 1958 को इस कानून को पास किया गया था। अशांत क्षेत्रों का निर्णय भी केंद्र सरकार करती है।
अफस्पा (AFSPA) के विशेष अधिकार
सेना बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी चला सकती है। विशेष स्थिति में सेना किसी के घर की तलाशी ले सकती है और बल का भी प्रयोग कर सकती है। आतंकी या उपद्रवी के होने की आशंका के बीच किसी भी इमारत को उड़ा सकते है। इस कानून के तहत किसी की भी गाड़ी की चेकिंग हो सकती है
केंद्र सरकार की इजाजत के बिना किसी भी सैनिक पर कार्रवाई नहीं हो सकती है