राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट की खूबसूरती काफी मशहूर है और इसे देखने के लिए लोग देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी आते है लेकिन इसकी विशेषता बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को पता होगा। इंडिया गेट कब और क्यों बनाया गया था उसकी भी जानकारी कम ही लोगों के पास होगी और उसकी एक वजह यह भी है कि आज की युवा पीढ़ी अब घूमने के दौरान सिर्फ सेल्फी लेने का काम करती है, उसे ऐतिहासिक इमारत की जानकारी रखने में रुचि नहीं के बराबर है। इंडिया गेट को आम जनता के लिए 12 फरवरी 1931 को खोला गया था जबकि ब्रिटिश सरकार द्वारा इसे बनाने की शुरुआत 1921 से ही शुरु हो चुकी थी। 42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट को पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में अंग्रेजी सेना की तरफ से शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था।
भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध में भारत के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1972 में इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का शुभारंभ किया और तभी से यह ज्योति जल रही है। इस ज्योति के माध्यम से हम अपने देश के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं लेकिन आप को यह जानकर हैरानी होगी कि इंडिया गेट पर उन सैनिकों के नाम लिखे हुए है जो पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए थे यानी गुलामी के समय के सैनिकों के नाम है। वर्ष 1971 युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के नाम का कहीं पर जिक्र नहीं किया गया है। आजादी के 70 साल बाद तक हमारे पास सैनिकों के लिए वॉर मेमोरियल नहीं बना और ब्रिटिश कालीन इंडिया गेट पर ही हम शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करते चले आ रहे हैं जबकि आजादी के बाद से देश ने कई युद्ध लड़ा और उसमें विजयी भी हुआ। शायह यह भी कहा जा सकता है कि देश पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाली सरकार ने कभी सैनिकों के लिए कुछ सोचा ही नहीं जिससे शहीद सैनिकों को याद किया जा सके या उनके परिवार को गौरवान्वित महसूस कराया जा सके।
कई दशकों बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और केंद्र में पीएम मोदी की सरकार आने के बाद ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर काम शुरु हुआ। वर्ष 2019 में पीएम मोदी ने ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ का निर्माण कराया और आजादी के बाद से शहीद हुए कुल 26466 सैनिकों का नाम वॉर मेमोरियल पर लिखवाया। यह नेशनल वॉर मेमोरियल ही उनके लिए असली श्रद्धांजली है इसलिए केंद्र सरकार इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल पर शिफ्ट करना चाहती है जिसको लेकर विवाद किया जा रहा है। केंद्र सरकार के मुताबिक अमर जवान ज्योति की सही जगह नेशनल वॉर मेमोरियल है इसलिए शुक्रवार को उसे इंडिया गेट से वॉर मेमोरियल पर शिफ्ट कर दिया गया। अमर जवान ज्योति को पूरे सम्मान के साथ इंडिया गेट से नेशनल वॉर मेमोरियल लाया गया और उसका विलय वॉर मेमोरियल ज्योति में किया गया। इस भव्य कार्यक्रम के दौरान तीनों सेना के जवान और अधिकारी मौजूद रहें।
अमर जवान ज्योति को लेकर राजनीतिक गर्मी भी देखने को मिली और तमाम दलों ने इसे कार्य को सैनिकों के विरुद्ध बताया। विपक्षी दलों की तरफ से यह आरोप लगाया गया कि अमर जवान ज्योति की लौ को बुझा दिया जाएगा जिस पर सरकार की तरफ से सफाई पेश करते हुए कहा गया कि हम सिर्फ अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में मिला रहे हैं इस दौरान किसी भी लौ को बुझाया नहीं जाएगा। इस कार्यक्रम का विरोध करने वालों के पास कोई ठोस कारण नहीं था बल्कि राजनिति से प्रेरित सिर्फ बयानबाजी देखने को मिली। मोदी सरकार के इस फैसले पर उस कांग्रेस पार्टी ने भी आरोप लगाया जिसने सबसे अधिक शासन करने के बाद भी एक वॉर मेमोरियल का निर्माण नहीं कराया। देश के सैनिकों की हालत कांग्रेस के समय में सबसे बुरी बतायी जाती है और ऐसा आरोप भी लगा है कि जवानों के पास उच्च दर्जे के कपड़े और हथियारों की कमी हमेशा रहती थी।