वामिस्लामी इकोसिस्टम का शिकार देश

द कश्मीर फाइल्स वह फ़िल्म है जो आप देख नहीं सकते लेकिन आपको जरूर देखनी चाहिए। आपको देखनी चाहिए ताकि आपको यह पता रहे कि आप क्या नहीं जानते. इतना शुद्ध सच पचा पाना बहुत कठिन है लेकिन यह सच देखना अतिशय आवश्यक है। 

फ़िल्म देखने के बाद आपको खुद पर सबसे ज्यादा गुस्सा आएगा. जो सवाल आपको परेशान करेगा वो ये की घाटी के हिंदुओं के साथ जब यह हो रहा था, बाकि हिंदू क्या कर रहे थे? हमने उन्हें सिर्फ हिंदू क्यों नहीं समझा कश्मीरी हिंदू क्यों कहते रहे? आतंकियों के पीछे उनका पूरा इकोसिस्टम काम कर रहा था और हिंदुओं की चीखें सुनने वाला कोई भी नहीं था, हम हिंदू भी नहीं!

अपने ही देश में अपना घर छोड़कर शरणार्थी कहलाते हुए जीने का दुःख कितना भयंकर होता है, अपने घर लौट पाने की ललक कितनी तीव्र होती है और घर न लौट पाने की छटपटाहट क्या होती है हम कल्पना भी नहीं कर सकते। कैसे वामिस्लामी इकोसिस्टम नौजवानों के दिमाग से खेलता है, कैसे अत्याचारियों को पीड़ित और पीड़ितो को अपराधी बना दिया जाता है यह सच देखना और समझना अतिशय आवश्यक है।

यह फ़िल्म हर उस नौजवान को दिखाइए जो अभी 18-25 की उम्र का है। हर हिंदू को दिखाइए। हर उस व्यक्ति को दिखाइए जिसे सच से मुँह मोड़ने की आदत है। मुझे नहीं लगता मैं यह फ़िल्म कभी भूल पाऊँगी। मुझे नहीं लगता आज के बाद बहुत लंबे समय तक मैं चैन से सो पाऊँगी। मुझे नहीं लगता एक हिंदू के रूप में मैं अपने लोगों पर हुए अत्याचार को माफ कर पाऊँगी।

भाईचारे की ऐसी तैसी।

-रश्मि मंडपे

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