मुफ्तखोरी का शिकार श्रीलंका

श्रीलंका ने डिफ़ॉल्ट कर दिया है । स्वयं घोषणा करके श्रीलंका ने विश्व समुदाय को सूचित कर दिया है कि वह न तो कोई उधार या उसका ब्याज चुकाएगा । इस वर्ष 4 बिलियन डॉलर का भुगतान श्रीलंका को करना था और जुलाई तक एक बिलियन डॉलर का पर श्रीलंका के पास कुल रिजर्व 1.93 बिलियन डॉलर का बचा है । अब नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या ?

अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा यह तो अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा पर ; ध्यान दें श्रीलंका के ( गांधी, वाड्रा, केजरीवाल, पवार, लालू, मुलायम ) राजपक्षे ने डिफ़ॉल्ट करने का कारण भ्रष्टाचार परिवारवाद लूट और फ़्री फ़्री के नाम पर वोट माँगना नहीं बताया है बल्कि डिफ़ॉल्ट का कारण कोविड और यूक्रेन रूस का युद्ध बताया है ।

ध्यान दें पाकिस्तान की भी वही हालत हैं और नेपाल भी वामपंथियों के चंगुल में पड़कर पिछले दस वर्षों से चीनी नीतियों के प्रभाव में पड़ गया और इन दोनों की स्थिति भी वैसी ही है । आज पश्चिम बंगाल, पंजाब इत्यादि स्वतंत्र देश होते तो श्रीलंका के जैसे डिफ़ॉल्ट कर गए होते और पुनः ध्यान दें  केरल, बंगाल और पंजाब में 1947 से आजतक इकोसिस्टम का ही शासन रहा है ।

आज भी इंग्लैंड में मुझे डीजल नहीं मिला । विश्व भर में अनेक देश आज अनेक वस्तुओं की कमी से जूझ रहे हैं और भारत 9% की गति से आगे बढ़ रहा है । आप याद करें उस समय को जब विश्व में चहुं ओर प्रगति थी तब भारत रोता रहता था अपने भ्रष्ट ( लालू, मुलायम, पवार, जयललिता, अब्दुल्ला, गांधी ) नेताओं के शासन में और आज इस विषम परिस्थितियों में भारत दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ खड़ा है ।

लालू मुलायम केजरीवाल पवार गांधी वाड्रा इत्यादि कुछ फ्री दे भी दें पर अंततः लुटेरा किसी का सगा नहीं होता यह आपको हमको श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, बंगाल, केरल, पंजाब को देखकर समझ में आ जानी चाहिए।

 – राज शेखर तिवारी 

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