अंग्रेजों के अनुसार अखंड भारत का मानचित्र

ज्यादा अतीत में न जायें तो भी 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज प्रशासनिक अफसर जब कलकत्ता के अपने दफ़्तर में बैठते थे तो प्रोटोकॉल के अनुसार उनके पीछे की दीवार पर उस भारत का मानचित्र लगा होता था जिसे वो “इंडिया” कहकर पुकारते थे।
दरअसल, आज का भारत सीमित भूभाग वाला देश है। लेकिन भारत कभी बहुत बड़ा भूभाग वाला देश था। यह सिर्फ कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से गुजरात ही तक सीमित नहीं था बल्कि अखंड भारत में आने वाले वर्तमान के देश भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, फिलिपिंस, थाइलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, ईरान, तजाकिस्तान, किरगिजस्तान, कजाकास्तान आदि।
सन् 1875 तक यह भारत के ही भाग थे लेकिन 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिल गई थी। उन्हें लगा की इतने बड़े भू-भाग का दोहन एक केन्द्र से करना सम्भव नहीं है एवं फुट डालो एवं शासन करो की नीति अपनायी एवं भारत को अनेकानेक छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दिया केवल इतना ही नहीं यह भी सुनिश्चित किया की कालान्तर में भारतवर्ष पुनः अखण्ड न बन सके।
1857 से 1947 तक भारत के कई टुकड़े हुए और बन गए सात नए देश। 1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह से 24वां विभाजन था।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस नक़्शे के अनुसार 1857 की क्रांति के समय भारत का क्षेत्रफल था लगभग 83 लाख वर्ग किलोमीटर जो आज घटकर मात्र लगभग 33 लाख वर्ग-किलोमीटर रह गया है।
यानि 1857 के बाद हमने अपनी भारतभूमि का लगभग पचास लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग गँवा दिया। मगर न तो हमें वेदना है न ही कोई शर्म।

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  1. JEEVAN SINGH KISHNAWAT

    please send mr this image in hd for print

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