राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी का प्रतिस्पर्धी नहीं है बल्कि यह हिन्दू राष्ट्र के लिए काम करता है और धर्म व राष्ट्र के लिए काम करने वाले तमाम हिन्दू संगठनों का सहयोग करता है। सरसंघचालक मोहनजी भागवत ने मध्य प्रदेश में प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित अखिल भारतीय चिंतन बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने को लेकर चिंतन हुआ और संघ के साथ साथ उसके सहयोगी संगठनों ने इस पर अपनी राय रखी।
हिन्दू राष्ट्र बनाने को लेकर संविधान में कुछ परिवर्तन की भी बात रखी गयी। प्रज्ञा प्रवाह के दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन मोहनजी भागवत ने कहा कि सत्य, निष्ठा, सुचिता और परिश्रम भारतीय धर्मों के मूल गुण रहे हैं जिसे लोगों में जिंदा रखना है। समय के साथ साथ यह तेजी से कम हो रहा है इसलिए सुनियोजित रूप से श्रेष्ठ मानवता का निर्माण करना है।
संघ प्रमुख ने धर्म को अधिक महत्व देते हुए कहा कि धर्म की हमारा सबकुछ है। हम धर्म के बिना शस्त्रहीन है और उसके बिना कोई लड़ाई नहीं जीती जा सकती है इसलिए धर्म को प्राथमिकता देनी होगी और सभी को धर्म के प्रति जागरूक करना होगा। हमारा राष्ट्रवाद भौगोलिक ना होकर भू सांस्कृतिक है। हमें लोकतंत्र का भारतीयकरण करते हुए हिन्दू राज्य की दिशा में प्रयत्न करना चाहिए। हिंदुत्व कोई जीवनशैली नहीं बल्कि जीवन दृष्टि है।
सनातन धर्म आज भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व में फैल रहा है और लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। दरअसल सनातन धर्म में जिस प्रकार की जीवनशैली का उल्लेख किया गया है वह बाकी सभी धर्मों से अलग है और यहां परिवार में सभी को मान्यता दी जाती है सभी और सभी के अधिकारों को महत्व दिया जाता है जबकि बाकी धर्मों में ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
हिन्दू धर्म और सांस्कृतिक विषयों को लेकर प्रज्ञा प्रवाह की तरफ से ऐसा बैठकें होती रहती है। दो दिनों तक भोपाल में चली इस बैठक में भी हिन्दू राष्ट्र को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में सरसंघचालक मोहन जी भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदकुमार सहित कई बौद्धिक व अन्य संगठनों के सदस्य मौजूद रहे। इसके साथ ही तमाम शिक्षक, कुलपति, विचारक, लेखक, इतिहासकार और अर्थशास्त्री लोगों ने मिलकर इस पर अपनी राय रखी और चिंतन किया।