हमारा इतिहास पराजय का नहीं, संघर्षों का है

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जिनका नाम लेते ही नस-नस में बिजलियाँ-सी कौंध जाती हो; धमनियों में उत्साह, शौर्य और पराक्रम का रक्त प्रवाहित होने लगता हो; मस्तक गर्व और स्वाभिमान से ऊँचा हो उठता हो- ऐसे परम प्रतापी महाराणा प्रताप पर भला किस देशभक्त को गर्व नहीं होगा! उनका जीवन वर्तमान का निकष है,…

हिमाचल का गौरवशाली इतिहास

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महर्षि पाणिनि ने पश्चिम हिमालय क्षेत्र के जनपदों का ‘उदीच्य’ नाम से उल्लेख किया है। प्रथम समूह में त्रिगर्त, गब्दिका, युगन्धर, कालकूट, भरद्वाज, कुलूत और कुनिन्द तथा दूसरे समूह में अन्य गणराज्यों के साथ औदुम्बर गणराज्य का उल्लेख है। मुख्यत: ये आयुद्धजीवी गणराज्य रहे हैं। इन सभी गणराज्यों के संदर्भ में वेद, रामायण, महाभारत, मार्कण्डेय पुराण, विष्णु पुराण, पाणिनि की अष्टाध्यायी और बृहत्संहिता में मिले हैं।

इतिहास की पुनरावृत्ति और सबक

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महान इतिहासकार विल ड्यूराँ ने अपना पूरा जीवन लगाकर वृहत ग्यारह भारी-भरकम खंडों में “स्टोरी ऑफ सिविलाइजेशन” लिखी था। उसके प्रथम खंड में भारत संबंधी इतिहास के अंत में उन्होंने अत्यंत मार्मिक निष्कर्ष दिए थे। वह हरेक भारत-प्रेमी के पढ़ने योग्य है। हजार वर्ष पहले भारत विश्व का सबसे धनी…

सारे शहरों के मुस्लिम नाम बदले जाएं

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अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी । याचिका में लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो एक पुनर्नामकरण आयोग बनाएं ताकी उन सभी भारतीय शहरों के मुस्लिम नाम बदले जाएं जो पहले सनातनी थे । अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि…

सम्बलपुर का क्रांतिवीर सुरेन्द्र साय

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भारत में जब से ब्रिटिश लोगों ने आकर अपनी सत्ता स्थापित की, तब से ही उनका विरोध हर प्रान्त में होने लगा था। 1857 में यह संगठित रूप से प्रकट हुआ; पर इससे पूर्व अनेक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम किये रखा। वीर सुरेन्द्र साय ऐसे…

तान्हाजी मालुसरे का हिंदवी स्वराज्य के लिए बलिदान

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सिंहगढ़ का नाम आते ही छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर सेनानी तान्हाजी मालसुरे की याद आती है। तान्हाजी ने उस दुर्गम कोण्डाणा दुर्ग को जीता, जो ‘वसंत पंचमी’ पर उनके बलिदान का अर्घ्य पाकर ‘सिंहगढ़’ कहलाया। छत्रपति शिवाजी महाराज को एक बार सन्धिस्वरूप 23 किले मुगलों को देने पड़े थे।…

मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा संस्कृति का विनाश

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“अरबस्तान और पश्चिम एशिया के असभ्य वहशी आठवीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही भारतवर्ष में घुसने लगे थे। इन मुस्लिम आक्रमणकारियों ने असंख्य हिन्दू मंदिर तोड़े, अनगिनत स्थापत्यों और मूर्तियों का विध्वस किया, हिन्दूओं के राजप्रासादों व दूर्गों को लूंटा, हिन्दू पुरुषों का कत्लेआम किया और हिन्दू महिलाओं को अपहृत…

विवेकशील मुसलमान आगे आएं…

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ज्ञानवापी सर्वे के बाद देश भर में सरगर्मी विचारणीय है। उस में सामने आई बात पहले ही जगजाहिर थी। इस्लामी आक्रमणकारियों के क्रिया-कलाप के तथ्यों पर कभी विशेष विवाद नहीं रहा। तथ्य सदियों से जगजाहिर हैं। हाल में वामपंथी इतिहासकारों ने लीपापोती करने की कोशिश की, किन्तु विफल रहे। बल्कि…

ज्ञानवापी में है शिवस्वरूप, ज्ञानस्वरूप जल

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यह ज्ञानवापी बड़ी दिव्य है इसके लिए स्कन्दपुराण के काशीखण्ड में स्वयं भगवान् विश्वनाथ कहते हैं कि, "मनुष्यों! जो सनातन शिवज्ञान है, वेदों का ज्ञान है, वही इस कुण्ड में जल बनकर प्रकट हुआ है।" सन्ध्या में व कलशस्थापना में जो "आपो हि ष्ठा" आदि तीन मन्त्र प्रयुक्त होते हैं,…

लखनऊ नवाबों का नहीं बल्कि हिन्दुओं का शहर है 

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लखनऊ का इतिहास : लखनऊ जो नवाबों का शहर के नाम से विख्यात है जिसे मुस्लिम आक्रांताओं ने इस पूरे शहर के नक्शे से लेकर नाम तक परिवर्तित करते हुए केवल अपनी झूठी अमानत सिद्ध की है। मुस्लिमों ने हिन्दुओं से सभी विरासतों को अपना नाम देकर उसे इतिहास के…

अंग्रेजों के अनुसार अखंड भारत का मानचित्र

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ज्यादा अतीत में न जायें तो भी 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज प्रशासनिक अफसर जब कलकत्ता के अपने दफ़्तर में बैठते थे तो प्रोटोकॉल के अनुसार उनके पीछे की दीवार पर उस भारत का मानचित्र लगा होता था जिसे वो "इंडिया" कहकर पुकारते थे। दरअसल, आज का भारत सीमित…

पौराणिक इतिहास

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तिब्बत में बने प्रसिद्ध थोलिंग मठ जाने का रास्ता (पैदल) माणा होते हुए सरस्वती नदी के किनारे खड़ी चढ़ाई से होकर जाने वाला एक अत्यंत दुर्गम कठिन पथ है। प्राचीन काल में साधु संत इसी मार्ग से पवित्र मानसरोवर व कैलास यात्रा पर चले जाते थे।

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