मुंबई के निकट एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में मान्यता है, कि यह मंदिर द्वापर काल में पांडवों ने बनाया था, और वह भी मात्र एक ही रात में ।स्थानीय लोगों का तो यहां तक कहना है, की यह मंदिर महाभारत काल मे ही नही, रामायण काल में भी विद्यमान था, क्यो की इस मंदिर में एक गुफा है, कहते है, उसका रास्ता सीधे पंचवटी तक जाता है । द्वापरकाल में जब धर्म की हानि हुई, और यह मंदिर टूटे, तब पांडवों ने एक ही रात में इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार कर दिया ।
बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ वर्ष अंबरनाथ में बिताए थे, तब उन्होंने विशाल पत्थरों से एक ही रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। फिर कौरवों द्वारा लगातार पीछे किए जाने के भय से यह स्थान छोड़कर चले गए। जिससे मंदिर का कार्य पूरा नहीं हो सका। सालों से मौसम की मार झेल रहा यह मंदिर आज भी खड़ा है। और पांडवो के बाद आज से लगभग 1000 वर्ष पहले 1060 ईं में राजा मांबाणि ने इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया ।
इस मंदिर पर हुई कारीगरी को तो देखिए, इस मंदिर ओर यहां की मूर्तियों की सुंदरता, और जिस तरह से पत्थरो को सफाई से काटा गया है, कोई भी व्यक्ति इस कला को देकर केवल बारम्बार हैरान ही हो सकता है । इस मंदिर की प्रशंसा के लिए भी शब्दो का अकाल पड़ गया है । इस मंदिर को देखते रहे , निहारते रहे, या इस मंदिर प्रशंसा करें, आदमी इसी हैरानी में बस अवाक रह जाता है।
इस मंदिर के बारे में खास मान्यता यह भी है, कि जिन लोगों का विवाह नहीं होता , वे लोग विशेष रूप से इस मंदिर में जाकर अपने विवाह की प्रार्थनाएं भगवान भोलेनाथ से करते है।