संस्कृति, सभ्यता और विशेषता

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मुंबई से सटा पालघर जिला अपनी भौगोलिक विशेषताओं एवं भविष्य की अपार सम्भावनाओं के कारण अपना विशेष स्थान रखता है। परंतु जिले के दूरदराज के क्षेत्रों तक विकास की समुचित लहर का पहुंचना अभी बाकी है। यहां की ‘वार्ली’ चित्रकला भी विश्व प्रसिद्ध है। यह आम मान्यता है कि जहां…

पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व

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अपरांत की उपमा से अभिलेखित पालघर जिले के सूत्र भगवान परशुराम के साथ जुड़ते हैं। इसके अलावा महाभारत काल और अशोक के शासन का उल्लेख भी यहां पर प्राप्त होता है। बाद में चिमाजी अप्पा ने इसे पुर्तगालियों के चंगुल से छुड़ाकर स्वराज्य की गोद में सुरक्षित किया। 1 अगस्त…

सांस्कृतिक पुनरुत्थान के पथ पर अग्रणी मध्यप्रदेश

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पिछले आठ-दस वर्षों का सिंहावलोकन करने पर ध्यान आता है कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का दौर है। इस अमृतकाल में भारत अपने ‘स्व’ की ओर बढ़ रहा है। अयोध्या में भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। श्रीराम ने जिस संघर्ष और धैय के मार्ग को चुना…

प्राकृतिक सौंदर्य एवं विरासत से समृद्ध है चंदेरी

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मध्यप्रदेश के जिले अशोकनगर में बेतवा (बेत्रवती) एवं ओर (उर्वसी) नदियों के मध्य विंध्याचल की सुरम्य वादियों से घिरा ऐतिहासिक नगर चंदेरी और उसका दुर्ग हमारी धरोहर है। यह नगर महाभारत काल से लेकर बुंदेलों तक की विरासत को संभालकर रखे हुए है। चंदेरी न केवल अपनी समृद्धि की कहानियां सुनाता है अपितु अपनी…

जायकेदार खाने और सुमधुर गाने का अनुरागी है इंदौर

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इंदौर की अन्य विशेषताओं के साथ ही साथ वहां की खाद्य परम्परा भी आने वाले आगंतुकों को बरबस खींचती है। चाहे इंदौरी नमकीन हो या पोहा-जलेबी या फिर छप्पन दुकान क्षेत्र के लाजवाब स्ट्रीट फूड, इंदौर शहर की स्वाद रसिकता को विश्वव्यापी पहचान देते हैं। इंदौर की संस्कृति, परिवेश, बोलचाल,…

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत

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इंदौर की सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। यहां की आबोहवा में आपको सामाजिक समरसता और जीवन मूल्यों को बचाए रखने की जिजीविषा दिखाई पड़ेगी। इस शहर ने देश को कई सारी विभूतियां और खानपान के व्यवहार दिए हैं। भारत की सांस्कृतिक धारणाएं ही उसके सनातन काल से वर्तमान तक के…

सनातन हिंदू संस्कृति का भी हो रहा विकास 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम, “मन की बात” ने अपने सौ एपिसोड सफलतापूर्वक पूर्ण किए, यह आकाशवाणी के इतिहास का एक ऐसा कार्यक्रम बना जिसमें देश के प्रधानमंत्री ने मानसिक रूप से आम जनता से सीधा संवाद किया और इसे राजनीति से पृथक अलग रखा। यह एक सुखद अनुभव…

विजयनगर साम्राज्य के प्रेरक देवलरानी और खुशरो खान

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मध्यकालीन इतिहास में हिन्दू गौरव के अनेक पृष्ठों को वामपंथी इतिहासकारों ने छिपाने का राष्ट्रीय अपराध किया है। ऐसा ही एक प्रसंग गुजरात की राजनकुमारी देवलरानी और खुशरो खान का है। अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में नरसंहार कर अपार धनराशि लूटी  तथा वहां हिन्दू कला व संस्कृति को भी…

वृथा है पश्चिमवालों की नकल करना

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हम लोगों को अपनी प्रकृति के अनुसार ही अपनी उन्नति करनी होगी। विदेशी संस्थाओं ने बलपूर्वक जो कृत्रिम प्रणाली हम पर थोपने की चेष्टा की है, तदनुसार काम करना वृथा है। वह असम्भव है। जय हो प्रभु! हम लोगों को तोड़-मरोड़कर नये सिरे से दूसरे राष्ट्रों के ढाँचे में गढ़ना…

लोक साहित्य व संस्कृति की अध्येता डॉ. दुर्गा भागवत

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भारतीय लोक साहित्य एवं संस्कृति के अध्ययन, अनुशीलन तथा लेखन में अपना जीवन समर्पित करने वाली विदुषी डॉ. दुर्गा नारायण भागवत का जन्म 10 फरवरी, 1910 को इंदौर (म.प्र.) में हुआ था। इनके पिता 1915 में नासिक आ गये, अतः उनकी मैट्रिक तक की शिक्षा नासिक में हुई। इसके बाद…

माघ मास में प्रातःकाल स्नान का है विशेष महत्व

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माघ स्नान अर्थात हिंदू पञ्चाङ्ग के चंद्रमास माघ (मघायुक्ता पौर्णमासी यत्र मासे सः ) में प्रातःकाल स्नान विशेषतः तीर्थ में।अपने शरीर को स्वस्थ, पवित्र रखने के लिए नित्य स्नान आवश्यक है ही, परन्तु आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो देवता, पितर, गन्धर्व तथा सम्पूर्ण प्राणि भी हमारे स्नान से तृप्त होते…

सुसंस्कृत व्यक्तियों का निर्माण

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Man standing on a ledge of a mountain, enjoying the sunset over a river valley in Thorsmork, Iceland. With lens flare.
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सुसंस्कारिता जिसे मिली उसने वह सब कुछ पा लिया जिसे पाकर मनुष्य जीवन का अमृतोपम रसास्वादन करने का अवसर मिलता है । "आध्यात्मिकता", "दृष्टिकोण की उत्कृष्टता" और "धार्मिकता", "व्यवहार की शालीनता" को ही कहते हैं । शब्दों की ऊँचाई से किसी रहस्यवादी कल्पना में भटकने की आवश्यकता नहीं है ।…

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