हायब्रिड हमलों से रहें सजग

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की गतिविधियां अब जमीनी से आगे बढ़कर हायब्रिड युद्ध की दिशा में मुड़ गई हैं। अब वह पीआर एजेंसियों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोधी गतिविधियां संचालित करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए भारत को भी आगे आकर उसी अंदाज में जवाब देना चाहिए।

शत्रु को प्रभावित करने के लिए सूचना क्षेत्र में बेहतर ढंग से निर्मित विमर्श विध्वंशकारी प्रभाव पैदा कर सकता है। वायुसेना प्रमुख विवेक राम चौधरी के इस वक्तव्य में राष्ट्रीय सुरक्षा और जम्मू-कश्मीर के भावी परिदृश्य को लेकर गम्भीर निहितार्थ छिपे हुए हैं। उनका यह वक्तव्य जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 5 अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रतिस्पर्धी देशों के राजनीतिक और विधिक हस्तक्षेप की सम्भावनाएं बहुत कम हो गई हैं और दुष्प्रचार पर उनकी निर्भरता बहुत अधिक हो  गई है।

वायुसेना प्रमुख ने यह वक्तव्य 12 अप्रैल 2022 को ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में दिया था। इस कार्यक्रम में उन्होंने हायब्रिड युद्ध की विशेषताओं की तरफ संकेत करते हुए कुछ ऐसी बातें कहीं थी, जिनके माध्यम से जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर पहुंचा जा सकता है। इसी व्याख्यान में उन्होंने कहा था कि,‘सायबर और सूचना’ यु़द्धभूमि को प्रभावित करने वाले आधुनिक उपकरण बन गए हैं। और इसी कारण पहली गोली चलने और पहले विमान के सीमा पार करने से पहले ही युद्ध अन्य मोर्चों पर निर्णायक रूप से लड़ा जा चुका होता है।

वायुसेना प्रमुख अपने इस व्याख्यान में इस तथ्य को स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे कि हम हायब्रिड वारफेयर के ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं, जिसमें विमर्श एक घातक हथियार बन चुका है और नई विश्व-व्यवस्था में जो भी राष्ट्र या संगठन विमर्श की नियंत्रित करेगा, वही विजय प्राप्त करेगा। इस तथ्य के साथ पाकिस्तान की आंतरिक स्थितियों का आकलन करने पर उसकी जम्मू-कश्मीर सम्बंधी रणनीति को स्पष्ट रूप समझा जा सकता है।

अपनी आंतरिक स्थितियों के कारण पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में बुरी तरह से दुष्प्रचार पर निर्भर है। कमजोर सैन्य और आर्थिक स्थिति तथा अराजक राजनीतिक स्थिति के कारण पाकिस्तान अब परम्परागत तरीकों से जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है। फायनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स की सतत निगरानी के कारण आतंकवादियों के वित्तपोषण की उसकी रणनीति भी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान उसे विमर्श और दुष्प्रचार के जरिए जम्मू-कश्मीर के प्रश्न में जीवित रखने की कोशिश कर रहा है।

बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के बहुप्रचारित नाभिकीय छतरी से सुरक्षित होने का दावा बुरी तरह ध्वस्त हो गया। इसी तरह अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद पिछले कई दशकों से पाकिस्तानी राष्ट्रवाद का केंद्रीय नारा ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ बुरी तरह विफल हो गया। इन दोनों घटनाओं में कुछ न कर पाने की विवशता ने पाकिस्तान को दुष्प्रचार को अपनी केन्द्रीय रणनीति बनाने के लिए प्रेरित किया। दुर्भाग्यवश, पाकिस्तान की जिस विमर्श-केन्द्रित युद्ध पर निर्भरता अधिक हो गई है, वह नई परिस्थितियों में अधिक घातक हथियार बनकर उभरा है।

5 अगस्त 2019 के बाद पाकिस्तान ने अपनी विमर्श केद्रित रणनीति को धार देना प्रारंभ कर दिया था। सितम्बर 2019 में इमरान खान जब संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेने गए थे, तब पाकिस्तान फेंटन पीआर नामक एजेंसी को हायर किया गया था। पाकिस्तान की तरफ से इंटरनेशनल ह्यूमनीटैरियन फाउंडेशन ने इस एजेंसी को हायर किया था। इस फाउंडेशन का नेतृत्व सज्जात बुर्की करते हैं, जो कि पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रतिनिधि हैं। इस एजेंसी ने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के हाउडी मोदी कार्यक्रम का विरोध करने में महती भूमिका निभायी थी।

दिसम्बर 2019 में यह खबर आयी कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर अपने विमर्श से दुनिया और विशेषकर अमेरिका को प्रभावित करने के लिए ब्राउन लॉयड जेम्स नामक एक लॉबिंग फर्म को हायर किया है। इसी तरह 27 सितम्बर 2019 को पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की ने संयुक्त रूप से अंग्रेजी भाषा में एक वैश्विक इस्लामिक चैनल शुरू करने की घोषणा की। हालांकि, औपचारिक रूप से इस चैनल का उददेश्य इस्लाम के बारे में फैले भ्रम को दूर करना बताया गया लेकिन रणनीतिकार ने माना कि इसका एक प्रमुख लक्ष्य जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ाना था।

पाकिस्तान के दुष्प्रचार अभियान के केन्द्र में जम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र और नाभिकीय युद्ध का कारण बनने वाले क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जाती है। इसके अलावा मानवाधिकार का उल्लंघन और आतंकवादियों को पीड़ित योद्धा के रूप में प्रस्तुत करना भी पाकिस्तान की विमर्श-केंद्रित सूचना युद्ध का प्रमुख हिस्सा है।  पाकिस्तान मामलों के विख्यात विशेषज्ञ तिलक देवेशर ने 2019 के बाद पाकिस्तान की रणनीति में आए बदलाव को रेखांकित करते हुए लिखा है कि, अब पाकिस्तान की भारत-विरोधी रणनीति सूचना-युद्ध समर्थित आतंकवाद से आगे बढ़कर आतंकवाद समर्थित सूचना युद्ध हो गया है।

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मेें जिस तरह का हायब्रिड युद्ध लड़ रहा है उसमें जम्मू-कश्मीर से सम्बंधित किसी फिल्म और नई पुस्तक का महत्व एक अत्याधुनिक घातक हथियार के बराबर है। हाल ही में फिल्म द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद पाकिस्तान में जिस तरह की असहजता देखी गई, उससे यह स्पष्ट होता है कि सच को सामने लाकर वर्षों की मेहनत से गढ़े गए पाकिस्तानी विमर्श को इस फिल्म ने गंभीर नुकसान पहुंचाया है। पाकिस्तानी विशेषज्ञों ने इसे इस्लामोफोबिक फिल्म बताकर पल्ला झाड़ लिया। पिछले दशक में आई कुछ पुस्तकों ने भी पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर सम्बंधित दुष्प्रचार सिर के बल खड़ा कर दिया है। स्पष्ट है कि सच सामने आने से असहज हुआ पाकिस्तान अपने दुष्प्रचार को नई गति देने की फिर से कोशिश करेगा, इसलिए 5 अगस्त 2019 के बाद भारत के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि पाकिस्तान की दुष्प्रचार पर बढ़ती निर्भरता को ध्यान में रखते हुए हायब्रिड रणनीतियों पर सतत कार्य करे।

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