हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
कट्टरता से बाज आएं मुस्लिम नेता: डॉ. सुरेन्द्र जैन

कट्टरता से बाज आएं मुस्लिम नेता: डॉ. सुरेन्द्र जैन

by हिंदी विवेक
in विशेष, सामाजिक
0

नई दिल्ली। मई 30, 2022। विश्व हिन्दू परिषद ने आज कहा है कि कट्टरपंथी इस्लाम के गढ़ देवबंद में आयोजित मुस्लिम सम्मेलन में महमूद असद मदनी व बदरुद्दीन अजमल जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने “भारत में मुसलमान पीड़ित हैं” का नारा लगाकर मुस्लिम समाज को एक बार फिर भड़काने का प्रयास किया है। पर्सनल लॉ बोर्ड और कश्मीर से लेकर केरल तक के सभी कट्टरपंथी नेताओं ने एक साथ भारतीय संविधान, न्यायपालिका और हिंदू समाज को चुनौती देते हुए अपने अलगाववादी एजेंडे को लागू करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए हैं।

विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेन्द्र जैन ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस्लामी कट्टरपंथ का दशानन अलग-अलग मुंह से एक ही भाषा का प्रयोग कर रहा है। यह भाषा इन नेताओं की बौखलाहट का ही परिणाम है। मोपलाओं के द्वारा 20,000 हिंदुओं का नरसंहार करने के लिए प्रेरित करने वाले खिलाफत आंदोलन और जमीयत उलेमा _ए_हिंद का जन्म 1919 में ही हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि मुस्लिम नेता अलगाव, हिंसा, घृणा व कट्टरता से बाज आएं।

उन्होंने कहा कि यह मात्र संयोग नहीं है। यह भारत का दुर्भाग्य है कि तब से लेकर कुछ साल पहले तक मुस्लिम तुष्टीकरण भारत की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। कट्टरपंथी नेता भारतीय राजनेताओं को ब्लैकमेल करके अपनी नाजायज मांगे मनवाते रहे हैं। भारत विभाजन के लिए कांग्रेसी नेताओं की सहमति इसी ब्लैकमेल की राजनीति का परिणाम थी। परंतु कुछ वर्षों से भारतीय राजनीति का केंद्र मुस्लिम वोट बैंक या शरीयत नहीं भारत का संविधान है। इसलिए वे मुसलमानों पर अत्याचारों की झूठी कहानियां फैला कर देश में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा कर रहे हैं।

डॉ जैन ने कहा कि इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए कि भारत में मुस्लिम समाज पीड़ित है या अत्याचारी है। 50 से अधिक रामनवमी, महावीर जयंती आदि की शोभायात्राओं पर हमले, ईद के दिन भी हिंदू समाज पर हिंसक हमले, बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, मेवात आदि कई क्षेत्रों में हिंदुओं की निर्मम हत्याएं, लव जिहाद पीड़ित हिंदू लड़कियों पर अमानवीय अत्याचार, जबरन धर्मांतरण की घटनाएं, डरे हुए समाज की नहीं डराने वाले समाज की प्रतीक हैं। अब तो इन नेताओं के भड़काने पर न्यायपालिका तक को सीधे चुनौती दी जा रही है। सी ए ए, हिजाब, ज्ञानवापी, अयोध्या, मथुरा आदि मामलों में न्यायपालिका के आदेशों को सड़कों पर हिंसा के द्वारा चुनौती दी जा रही है! क्या ये नेता अपने समाज को मध्ययुगीन बर्बर परंपरा की ओर ले जा रहे हैं जहां हिंसक भीड़ का ही आदेश सर्वोपरि था और सत्य-असत्य का निर्णय दानवी ताकत के आधार पर होता था?

विहिप के संयुक्त महामंत्री ने यह भी कहा कि मदनी ने जिन्ना की भाषा बोलते हुए साफ कह दिया है कि हमारी संस्कृति बाकी देश से अलग है। इसके बावजूद, वे भारत से अपने प्यार को दिखाने के लिए बार-बार कहते हैं कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारत से प्यार के कारण पाकिस्तान नहीं गए। विहिप का मानना है इन दोनों दुष्प्रचारों पर खुली चर्चा होनी चाहिए। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी पुस्तक “इंडिया विंस फ्रीडम” में स्पष्ट लिखा है कि भारत के अधिकांश मुस्लिम समाज ने स्वतंत्रता संग्राम से अपनी दूरी बना रखी थी। 1946 के चुनाव में क्यों भारत के 90% मुसलमानों ने भारत विभाजन के लिए भारत को बर्बाद करने वाली मुस्लिम लीग का साथ दिया था? विभाजन का समर्थन करने वालों में से 40% मुस्लिम भारत में रह गए तो क्या वे भारत से प्यार के कारण रह गए थे? 1947 के बाद ओवैसी, अब्दुल्ला, मुफ्ती परिवार व अन्य कट्टरपंथी नेताओं के व्यवहार व वक्तव्य से तो यह नहीं दिखाई देता।

देवबंद में मुस्लिम नेताओं के भाषणों से साफ दिखाई देता है कि वे भारत के संविधान और न्यायपालिका तो क्या अपने समाज की महिलाओं को भी सम्मान नहीं देना चाहते। इसलिए स्पष्ट रूप से भड़काया गया कि तीन तलाक संबंधी न्यायपालिका के आदेश को न मानकर वे अपनी पत्नियों को तीन बार बोलकर तलाक दें। महिलाओं को सम्मान दिलाने वाली समान नागरिक संहिता को लागू करने की संवैधानिक व न्याय व्यवस्था को ठुकरा कर शरीयत को मानने का आह्वान किया गया। मुस्लिम समाज संविधान नहीं शरीयत को मानेगा, ज्ञानवापी, मथुरा आदि मामलों पर न्यायपालिकाओं की नहीं मानी जाएगी, आदि घोषणाओं के माध्यम से वे मुस्लिम समाज को विद्रोह के लिए भड़काना चाहते हैं। अब वे विभाजन नहीं विद्रोह की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।

विहिप स्पष्ट करना चाहती है कि यह 1946 का भारत नहीं है। विद्रोह की स्थिति भी स्वयं उनके पक्ष में नहीं रहेगी। हमारी अपील है कि अलगाव, हिंसा, घृणा आदि विकास नहीं, विनाश का मार्ग है। मुस्लिम नेताओं को शरीयत थोपने की जिद छोड़ कर न्यायपालिका व संविधान को मानने के मार्ग पर समाज को ले जाना चाहिए। उन्हें विदेशी आक्रमणकारियों के कुकृत्यों व अवशेषों के साथ लगाव को छोड़कर देश की जड़ों के साथ जोड़ना चाहिए,। यही सह-अस्तित्व का मार्ग है जो सबके विकास के लिए आवश्यक है।

जारीकर्ता

– विनोद बंसल (राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद)

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: dr. surendra jainhindi vivekislamic radicalismreligious fanaticismVHPvishwa hindu parishad

हिंदी विवेक

Next Post
मुखर विदेश मंत्री व नीति

मुखर विदेश मंत्री व नीति

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0