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‘शारदा ऐक्ट’ के प्रकल्पक: हरविलास जी शारदा

by हिंदी विवेक
in विशेष, व्यक्तित्व, सामाजिक
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हरविलास जी शारदा भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद, राजनेता, समाज सुधारक, न्यायविद और लेखक थे। वह बाल-विवाह प्रथा पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से, बहुचर्चित “शारदा ऐक्ट” के प्रकल्पक थे। हरविलास जी समाज सेवा के क्षेत्र में आरंभ से ही अग्रणी थे। और उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा स्थापित “‘परोपकारिणी सभा” के सचिव के रूप में उन्होंने काम किया। उनका सबसे प्रसिद्ध लोकप्रिय ग्रन्थ “हिंदू सुपीरियॉरिटी” है।

इस ग्रन्थ में उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है, कि इतिहास काल में सभी क्षेत्रों में हिंदू सभ्यता अन्य देशों से बहुत आगे थी। हरविलास जी शारदा का जन्म 3 जून 1867 को अजमेर,राजस्थान में हुआ। पिता से महाभारत, रामायण की कहानियाँ सुनकर, उनके अंदर हिंदुत्व के संस्कार पुष्ट हुए। उन्हें स्वामी दयानंद सरस्वती जी के भाषण सुनने, और उनके संपर्क में आने का भी अवसर मिला। आगरा कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी करने के पश्चात, उन्होंने आजीविका के लिए अनेक कार्य किए।

अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात्, हरविलास शारदा मजिस्ट्रेट न्यायमूर्ति के न्यायलय में अनुवादक रहे। राजस्थान में जैसलमेर के महाराजा के वे अभिभावक रहे, और 1902 में अजमेर के कमिश्नर के कार्यालय में “वर्नाक्यूलर सुपरिटेंडेट” भी बने। फिर वे रजिस्ट्रार,सब न्यायमूर्ति और फिर वे अजमेर-मारवाड़ के एवजी स्थानापन्न न्यायमूर्ति के रूप में काम करने के पश्चात 1924 में वे इस सेवा से निवृत्त हुए। समाज सेवा के क्षेत्र में हरविलास जी शारदा आरंभ से ही अग्रणी थे।स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा स्थापित “परोपकारिणी सभा” के सचिव के रूप में उन्होंने काम किया,  और लाहौर में हुए “इंडियन नेशनल सोशल सम्मेलन” की अध्यक्षता की।

1924 में बरेली के “अखिल भारतीय वैश्य सम्मेलन” के अध्यक्ष भी शारदा जी ही थे। हरविलास जी शारदा 1924 में अजमेर-मारवाड़ से केंद्रीय असेम्बली के सदस्य चुने गए। इसी बैठक से 1924 और 1930 में उन्हें पुन: निर्वाचित किया गया। इस सदस्यता की अवधि में ही उन्होंने समाज सुधार का ऐसा कार्य किया, जिसके लिए उनका नाम इतिहास में स्थायी हो गया। भारत में कन्याओं के बाल विवाह की बड़ी चिंताजनक प्रथा थी।

केंद्रीय असेम्बली से इसे रोकने हेतु उन्होंने 1925 में एक बिल प्रस्तुत किया। “‘शारदा बिल'” के नाम से प्रसिद्ध यह बिल सितम्बर 1929 में पारित हुआ, और 1 अप्रैल 1930 से पूरे देश में लागू किया गया। समाज सेवा के कार्यों के लिए सरकार ने उन्हें “राय बहादुर”और “दीवान बहादुर” की पदवियों से अलंकृत किया। हरविलास जी शारदा जानेमाने लेखक भी थे।उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ “हिंदू सुपीरियॉरिटी” है। 1906 में प्रकाशित इस ग्रन्थ में उन्होंने सप्रमाण सिद्ध किया है, कि इतिहास काल में, सभी क्षेत्रों में,  हिंदू सभ्यता अन्य देशों से बहुत आगे थी।

उनके कुछ अन्य ग्रन्थ ऐसे हैं : ‘महाराजा कुंभा’, “महाराजा सांगा”और “शंकराचार्य और दयानन्द”, “लाइफ़ ऑफ़ स्वामी दयानन्द सरस्वती”।

हरविलास जी शारदा का 20 जनवरी 1955 को देहांत हुआ।

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