रिती या कुरिती ? पढ कर विचार करे…

क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं? क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं? क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारु मीट की पार्टी को विवाह कहते हैं या डीजे बजाने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर पैसा लुटाने को विवाह कहते हैं। घर मे दारू की 20-25 पेटी लग जाए उसको विवाह कहते हैं? किसको विवाह कहते हैं?

विवाह उसे कहते हैं जो मंडप मे बेदी के ऊपर पंडित जी मंत्रोच्चारण से देवताओं का आवाहन करके विवाह की वैदिक रस्मों के कराए। लोग कहते हैं कि आठ 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी मांगते हैं तो कहते हैं अरे वह तो भूलगए जो सबसे जरूरी काम था वहआप भूल गए विवाह की सामग्री भूल गए तुम 10 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे थे ।

विवाह कि नहीं आप दिखावे की तैयारी कर रहे हो कर्जा ले लेकर दिखावा कर रहे हो । 6 घंटे नाचने में लगा देंगे 4 घंटे मिलने में लगा देंगे 5 घंटे जयमाला में लगा देंगे 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडितजी जी जल्दी करो जल्दी करो
पर पंडित जी बेचारा क्या करें वह भी कहते है सर स्वाहा स्वाहा जब तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो तो ।

मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है । मेरा कहना है कि आप अपने सभी नाते रिश्तेदार दोस्त भाई बंधुओं को कहो कि आप जो यह 7 फेरों का काम है वह किसी मंदिर में इसी गौशाला में किसी आश्रम या धार्मिक स्थल पर किसी पवित्र स्थान पर करें ।

हजारों पटीयां दारू की पीगई हों जहां हजारों बकरे मुर्गों की हड्डियां फेंकी गई हों क्या उस मैरिज हाउस उह पैलेस कंपलेक्स मैं देवता आएंगे आशीर्वाद देने के लिए आप हृदय से सोचिए नाचना कूदना खाना-पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करो मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति रिवाज होने चाहिए और यह शुभ कार्य किसी पवित्र स्थान पर करें जिस मै गुरु जन आवें घर के बड़े बुजुर्गों का जिसमें आशीर्वाद मिले ।

आप खुद विचार करिए हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आए और अपने ठाकुर को भूल जाऐं अपने भगवान को भूलजाऐं अपने कुल देवताओं को भूलजाऐं, मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है विवाह शराब के साथ संपन्न ना हो उन में उन विषय वस्तुओं को शामिल ना करें जो धार्मिक कार्यों में निषेध है ऐसा करने से आपका सदैव कल्याण होगा ।

मानव निर्माण अभियान,
हेली मण्डी, सेवक,
– सुरेन्द्र गर्ग

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