मुख्यालय जरूरी या जिला अस्पताल?

Continue Readingमुख्यालय जरूरी या जिला अस्पताल?

पालघर जिले में प्रशासनिक अधिकारियों के लिए आलीशान भवन बनाए गए हैं, जबकि जिले में एक कायदे का जिला अस्पताल तक नहीं बन पाया है। एक तरफ देश की स्वतंत्रता के 75 साल हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मुंबई या गुजरात…

वैकल्पिक विमर्श को बढ़ाती फिल्म : द केरल स्टोरी

Continue Readingवैकल्पिक विमर्श को बढ़ाती फिल्म : द केरल स्टोरी

यह फिल्म मात्र नहीं, एक सोच है। एक ऐसी सोच जो हमें अपनी आने वाली पीढ़ी के प्रति जिम्मेदारी का भाव जगाने का प्रयास करती है। जाहिर सी बात है कि, तथाकथित सेक्युलर विरोध करेंगे ही। फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। इस फिल्म की…

शादी, तलाक और सुप्रीम कोर्ट

Continue Readingशादी, तलाक और सुप्रीम कोर्ट

हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक शादी सात जन्मों तक साथ निभाने का जरिया है। एक लड़की-लड़का जब शादी के सात फेरे लेते हैं, तो सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाते हैं, लेकिन जिस रिश्ते में प्यार और अपनापन न हो! फ़िर ऐसी कसमें और वादे सिर्फ़ बोझ बनकर रह…

शर्मनाक: पिता को बेटी का शव बाइक पर ले जाना पड़ा

Continue Readingशर्मनाक: पिता को बेटी का शव बाइक पर ले जाना पड़ा

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके शहडोल से मानवता को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई। यहां एक पिता को अपनी बेटी का शव बाइक पर ले जाना पड़ा! क्योंकि, अस्पताल प्रबंधन ने शव के लिए एंबुलेंस देने से इंकार कर दिया था। कल्पना कीजिए, कितना ह्रदयविदारक मंजर रहा होगा,…

मणिपुर हिंसा : देश में आतंकवाद और रूपान्तरण के षड्यंत्र का ही अंग

Continue Readingमणिपुर हिंसा : देश में आतंकवाद और रूपान्तरण के षड्यंत्र का ही अंग

हिंसा के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी मणिपुर में सामाजिक तनाव कम नहीं हुआ है । वहाँ यह हिंसा न तो पहली है और न अंतिम । अभी सशस्त्र बलों की उपस्थिति से हमलावर छिप गये हैं। स्थिति नियंत्रण में लग रही है पर हिंसक तत्व सक्रिय हैं।…

समलैंगिक विवाह एक मानसिक बुराई

Continue Readingसमलैंगिक विवाह एक मानसिक बुराई

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अदालतों में जब लाखों प्रकरण लंबित बने रहने का रोना रोया जा रहा हो, तब देश की शीर्ष न्यायालय के न्यायमूर्तियों की पीठ एक ऐसे मुद्दे की माथापच्ची में लगी हो, जिसका वैवाहिक समानता के अधिकार से कोई सीधा वास्ता ही नहीं है। वास्तव…

मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

Read more about the article मुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी
Rising food cost and grocery prices surging costs of supermarket groceries as an inflation financial crisis concept coming out of a paper bag shaped hit by a a finance graph arrow with 3D render elements.
Continue Readingमुद्रा स्फीति पर अंकुश क्यों जरूरी

कोरोना महामारी के बाद से पूरे विश्व में मुद्रा स्फीति बहुत तेजी से बढ़ी है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 7 प्रतिशत के ऊपर एवं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति 13 प्रतिशत के ऊपर निकल गई थी। कई विकसित देशों में तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित…

विकराल होता लव जिहाद का जाल

Continue Readingविकराल होता लव जिहाद का जाल

हाल में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव-जिहाद के खतरे से निपटने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है। इसके अलावा और दो-तीन राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाने की तैयारी चल रही है। विडंबना देखिए कि इसे कुछ लोग हिंदुत्ववादियों का दुष्प्रचार बता रहे हैैं, जबकि वे यह…

अपशब्दों से भाषा की आनंदवर्धन परंपरा नष्ट हो रही है

Continue Readingअपशब्दों से भाषा की आनंदवर्धन परंपरा नष्ट हो रही है

शब्द की शक्ति असीम होती है। प्रत्येक शब्द के गर्भ में अर्थ होता है। अर्थ से भरा पूरा शब्द बहुत दूर दूर तक प्रभावी होता है। पतंजलि ने शब्द प्रयोग में सावधानी के निर्देश दिए थे - शब्द का सम्यक ज्ञान और सम्यक प्रयोग ही अपेक्षित परिणाम देता है। महाभारतकार…

वेलेंटाइन से हमे कोरेन्टाइन की याद आ गई

Continue Readingवेलेंटाइन से हमे कोरेन्टाइन की याद आ गई

कहते हैं मुंबई में सिर्फ दरिया का पानी ही विदेशो से नही आता बल्कि वंहा की तहजीब भी वह अपने साथ ले आती है किंतु अब यह कहावत पुरानी हो गई है,रेडियो तक तो ठीक था, टेलीविजन आया तो बदलाव की खुराक में असर अधिक नजर आने लगा और बची…

असम में बाल विवाह पर सरकारी कार्यवाही के बाद बवाल

Continue Readingअसम में बाल विवाह पर सरकारी कार्यवाही के बाद बवाल

आखिर Data क्या कहते हैं? आज दुनिया में कम से कम 650 मिलियन महिलाओं की बाल्यावस्था में ही शादी कर दी गई है। उनमें से लगभग एक तिहाई की शादी 15 साल की उम्र से पहले हो गई थी। भारत में, जहां सबसे अधिक संख्या में बाल वधुओं की संख्या…

यूरोप में ईसाई क्यों घट रहे है?

Continue Readingयूरोप में ईसाई क्यों घट रहे है?

इंग्लैंड-वेल्स इन दिनों भीषण विरोधाभास से जूझ रहा है। शताब्दियों से इस यूरोपीय देश की शासकीय व्यवस्था के केंद्र में ईसाई मत है, परंतु उनकी नवीनतम जनगणना में ईसाई अनुयायी ही अल्पमत में आ गए है। यह स्थिति तब है, जब 'चर्च ऑफ इंग्लैंड', जिसका संरक्षक ब्रिटिश राजघराना है— उसके…

End of content

No more pages to load