कामरेडों का अग्निवीर विरोध

यह तो सेना व समाज को सक्षम बनाने की योजना है. आप विरोध क्यों कर रहे हैं ? जब मैंने 5 वर्ष के लिए शार्टसर्विस कमीशन ज्वाइन किया था तब आपने विरोध नहीं किया था कि पांच साल बाद हम जैसे हजारों का क्या होगा. कोई पेंशन नहीं. फिर नयी शुरुआत. आपातकालीन/शार्टसर्विस कमीशन आज से नहीं सन् 62 से चल रहा है. जब द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 25 लाख भारतीय सैनिक डिसचार्ज हो गये तब आप जैसों ने कोई विरोध नहीं किया कि इनका क्या होगा ? अचानक भावी सैनिकों के लिए यह अतिशय प्रेम कहां से आ गया कामरेड ?

विगत इतिहास में आक्रांताओं के सम्मुख हमारी पराजयों का मुख्य कारण रहा है, हमारे समाज की संघर्ष क्षमता का ह्रास. जब समाज में संघर्ष की भावना न रही तो वह गुलामी को बाध्य हुआ. हमने देखा है कि आक्रांताओं के साथ आए विदेशी आयतित मजहबों के लिए युद्धक्षमता से दूर चुका भारत उनके मजहबों के बलात् व लालच द्वारा विस्तार हेतु बड़ी उर्वर भूमि के समान रहा है.

भारतीय समाज के सैन्यीकरण का अंतिम सफल प्रयास दशम गुरू गोविंद सिंह जी ने खालसा सेनाओं द्वारा किया था उन्होंने कृषकों नागरिकों की सेनाएं बनाईं और मुगलों का जबरदस्त प्रतिरोध किया. जब अंग्रेज आए तो उन्होंने भारतीय समाज के युद्धक वर्ग को विभाजित कर बड़ी धूर्तता से अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए उपयोग किया. फिर गांधी बाबा ने तो अहिंसा की मशाल ही जला दी. समाज में जो भी प्रतिरोध की क्षमता थी उसका भी नाश होने लगा.

अपनी शक्ति संस्कृति सभ्यता को भूलते रहे हम भारतीय 100 करोड़ की भेड़ों के झुंड के समान होते जा रहे हैं. स्थिति यह है कि हमारे पास अपने घर में ही पलायन का स्थान नहीं है. गजब की स्थिति है. गांधी बाबा की वह पीढ़ी हमें अहिंसा की आड़ में जो यह कायरता वरासत में दे गयी है, आज हमें उससे बाहर निकलने का मार्ग ही नहीं मिल रहा है.

‘अग्निवीर’ से सबसे अधिक परेशान वामपंथी व आयतित मजहबी समाज है. उनकी दूरगामी योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. ये 75% तो सैन्यीकृत होकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में आएंगे. और अपनी शक्ति को गुणात्मक रूप से बढ़ायेगे भी. कायरता की भावना का अंत होना प्रारंभ होगा. शासन की शक्ति उनके पीछे होगी. समाज में राष्ट्रवादी प्रतिरोधक क्षमता के विकास से यह जो हमारी कदम कदम पर पुलिस पर निर्भरता हो गयी है वह आवश्यकता ही गायब हो जाएगी. सशक्त समाज का स्वप्न साकार होने की ओर बढ़ेगा.

ऐसा हुआ तो सोचिए … गजवा ए हिंद व टुकड़े टुकड़े गैंगों की दूषित वाम विचारधारा के लक्ष्यों का क्या होगा ? इसलिए युवकों को गुमराह करना आपकी मजबूरी है.

                                                                                                                                                                       कैप्टेन आर. विक्रम सिंह IAS 

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