बॉलीवुड ने हमेशा हिन्दू धर्म को बदनाम किया है
1948 में भारतीय हॉकी टीम ने लंदन ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था, इस पर 2018 में फ़हरान अख्तर ने एक मूवी बनाई थी,
1948 गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम के कप्तान थे किशनलाल और कोच थे एन.एन.मुखर्जी
फहरान ने पूरी मक्कारी के साथ कप्तान का नाम बदल कर इस्तियाक रख दिया और कोच मुखर्जी को एक वेबड़ा दिखा दिया जो अपने घर पर पत्नी से पिटता है और दारू पीकर कहीं भी लोट जाता है।
जबकि असलियत यह थी कि कोच मुखर्जी ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी और उससे भी बड़ी बात मुखर्जी ने कभी विवाह ही नहीं किया था।
बहुत लोग कहेंगे तो क्या हुआ मूवी में तो यह सब चलता है,
बस यहीं पर गड़बड़ है आज के पहले कितने लोग इन दोनों का नाम जानते थे?
नई पीढ़ी तो बिल्कुल भी नहीं जानती, वह मूवी देख कर क्या जानेगी, यही न कि भारत के लिए पहला गोल्ड जीतने वाली टीम के कैप्टन इस्तियाक था और कोच वेबड़ा।
फिर भी यदि लोग कहें कि क्या फर्क पड़ता है तो उनसे कहिएगा कि कल को तुम्हारे पोते को यह बताया जाए कि तुम्हारे दादा का नाम किशनलाल नहीं बल्कि इस्तियाक था तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी?