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क्रीएटिव फ़्रीडम के नाम पर बॉलीवुड का षड्यंत्र

क्रीएटिव फ़्रीडम के नाम पर बॉलीवुड का षड्यंत्र

by हिंदी विवेक
in फ़ैशन, मनोरंजन, महिला, विशेष, सामाजिक
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एक समय था जब भगत सिंह पर फ़िल्म बनी थी “शहीद”।
मनोज कुमार ने इसके लिए उनके जीवित साथी बटुकेश्वर दत्त से काफ़ी जानकारी ली थी।
जब फ़िल्म रिलीज़ हुई तो पटकथा लेखन में उनका नाम था !
वे यह देख कर रो पड़े !
भगत सिंह की माता ने फ़िल्म देखी तो वे तो वे भी रो पड़ी। उनके मुख से निकला , “इतनी अच्छी तो मै असली जीवन में कभी न थी।”
भारत के प्रधान मंत्री शास्त्री जी  ने फ़िल्म देखी तो मनोज कुमार से निवेदन किया…..एक फ़िल्म देश के जवान और किसान पर भी बनाइए।
मनोज कुमार ने फ़िल्म बनायी ‘उपकार ‘
जिसमें जय जवान जय किसान को जीवंत दिखाया गया !
अफ़सोस फ़िल्म पूरी होने से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया।
मनोज कुमार को आज तक इसका अफ़सोस है ।
फ़िल्म ने सफलता के सभी रेकर्ड तोड़ डाले…..क्या फ़िल्म फ़ेयर ,क्या राष्ट्रीय पुरस्कार सबकी लाइन लग गयी
इस फ़िल्म में बहुत सच्चे और अच्छे गीत थे,
एक फ़िल्म के लिए चार-चार गीतकार और चार-चार ही गायक !
मेरे देश की धरती सोना उगले ,हीरे मोती,
दीवानो से मत पूछो दीवानो पे क्या गुजरी है,
Har khushi ho वहाँ तु जहां भी रहे,
आयी झूम के बसंत  ,नाचो और क़समें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या !
समर्पण का यह आलम था कि……
मनोज कुमार भारत कुमार हो गए
फिर न जाने क्या बिजली गिरी फ़िल्म जगत बोलिवूड हो गया।
सारे गीत छोड़ उसने एक ही गीत अपना लिया ?
कसमें वादे  टूटने लगे,
सेना बलात्कारी हो गयी ( दिल से ),
सेना पुलिसकर्मी हत्यारे हो गए ,तोड़े गए मंदिर क़ब्रिस्तान हो गए ( हैदर ),
शाकाहारी हेरोइन मांसाहारी बना दी गयी ,’हनुमान भक्त ‘कसाई के दिए तावीज़ से जीतने लगे ( दंगल ),
हिंदू भगवान त्याज्य और हंसी का पात्र हो गया, प्रसाद तिरस्कृत हुआ ,किंतु 786 का बिल्ला  रक्षक हो गया ( दीवार ),
स्मगलर, टेररिस्ट, गुंडे देशद्रोही डाकू हीरो बन  गये ( दीवार, रइस, Ghulam-E-Mustafa, गेंग़स्टर ),
विक्टिम, देश भक़्त सभी सभी मजहब विशेष के हो गए,  और भ्रष्ट पंडित, नेता, पुलिसकर्मी सभी दूसरे धर्म के हो गए !
मीर रंजन नेगी कबीर खान बना दिए गए !
आज समझ में आता है कि….
क्रीएटिव फ़्रीडम के नाम पर कोई षड्यंत्र चल रहा है !
अब यह षड्यंत्र असहय हो गया है !
महिला पायलट के जीवन पर उन्ही के नाम से बनी फ़िल्म  में ही वायुसेना अधिकारी महिला छेड़ते हैं।
महिला चीख चीख कर कह रही है कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई ! पर निर्लज्ज बोलिवुड हंस कर कहता है ,”क्रीएटिव फ़्रीडम है !!“
दुख इस बात का नहीं पैसे के लिए बालीवुड बिक गया
भोली जनता पैसे खर्च कर  बालीवुड के पास  जो भी जाता है उसे देशद्रोह प्यारा और देशभक्ति त्याज्य लगने लगती है !
इसलिये
भारतीय बनो और भारत के ख़िलाफ़ होने वाले हर षड्यंत्र का विरोध करो।
जब तक बालीवुड सुधरता नहीं  इसका सम्पूर्ण बहिष्कार होना चाहिए।
नेता अभिनेता कुंभकर्णी नींद में हैं।
करीना सच ही तो कहतीं है…..
“किसने कहा क़ि हमारी फ़िल्म देखो ?”
…
जहाँ अब तक ईद और दीपावली फ़िल्म देख कर मनायी जाती रही है। किंतु जब देश हित में पटाखे मिठाई रंग गुलाल छोड़ दिया…..तो, तो क्या अब समय नहीं आ गया है कि…..
ये दीपावली कुछ अलग हो और तब
मैने फ़ैसला लिया है कि इस दीपावली पर कोई फ़िल्म नहीं देखूँगा।
मेरे वे पाँच हज़ार रुपए मेरी काम वाली और ड्राइवर के त्योहार मनाने के लिए जाएँगे।
विचार करें आपके टिकट के पैसे पर पहला हक़ किसका है ?? करोड़पति हीरो हिरोईन का या आपके आस पास बसे किसी ग़रीब का ??
आपका एक न ख़रीदा हुआ टिकट ( सत्यमेव जयते की अपील पर शिवलिंग पर न चढ़ाए दूध की तरह )….
किसी के घर में दिया जला सकता है,
किसी के घर में चूल्हा जला सकता है,
किसी तेजाब पीड़ित  के चेहरे पर मरहम लगा सकता है,
किसी के बूढ़े सपनो में पंख लगा सकता है !!
फ़ैसला आपके हाथ में है
“#इस_दीवाली_देशद्रोहियों_का_दीवाला !!”
दुष्यंत कुमार के शब्दों में….
बालीवुड से प्रार्थना है
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
जागो भारत जागो,
       वर्ना डूबते जाओ

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