हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में युवाओं की भूमिका

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, उद्योग, ट्रेंडींग, युवा, शिक्षा, सामाजिक
0

पूरे विश्व में सभी देशों का सकल घरेलू उत्पाद कुल मिलाकर लगभग 100 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। इसमें भारत का हिस्सा मात्र 3.50 प्रतिशत है अर्थात भारत का सकल घरेलू उत्पाद लगभग 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। जबकि, पूरे विश्व के 17.5 प्रतिशत से अधिक लोग भारत में निवास करते हैं। जनसंख्या की दृष्टि से तुलना की जाय तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद बहुत कम है, जिसे केंद्र सरकार एवं कई राज्य सरकारें मिलकर अब इसे बहुत आगे ले जाने के कार्य में पूरे मनोयोग से कार्य करती दिखाई दे रही हैं। हालांकि, पूरे विश्व में सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भारत पांचवे स्थान पर आ गया है एवं अब भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं जर्मनी जैसे देश हैं।

परंतु, अधिक जनसंख्या होने के कारण भारत में प्रति व्यक्ति आय अन्य कई देशों की तुलना में बहुत कम है। प्रत्येक भारतीय की औसत आय 2,200 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जबकि अमेरिका में प्रति व्यक्ति औसत आय 70,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है और चीन की जनसंख्या भारत से भी अधिक होने के बावजूद प्रत्येक चीनी नागरिक की औसत आय 12,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय की औसत आय बढ़ाने के प्रयास किए जाना अब बहुत जरूरी है, जिसमें भारत की युवा शक्ति को अपना योगदान देना अब आवश्यक हो गया है।

आज किसी भी देश के लिए जनसंख्या का अधिक होना और उसमें भी युवा जनसंख्या की भागीदारी ज्यादा होना, उस देश विशेष के लिए बहुत लाभकारी स्थिति बन जाती है। वह भी तब, जब विशेष रूप से कई विकसित देशों यथा, जापान, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, चीन, कनाडा आदि में जन्म दर बहुत कम हो चुकी हो एवं इन देशों में प्रौढ़ नागरिकों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही हो एवं युवा जनसंख्या का अभाव महसूस किया जा रहा हो। इस प्रकार भारत युवा जनसंख्या की दृष्टि से बहुत ही लाभप्रद स्थिति में आ गया है। भारत की कुल 140 करोड़ जनसंख्या में से 50 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 25 वर्ष से कम है और 65 प्रतिशत जनसंख्या की आयु 35 वर्ष से कम है। सबसे अधिक युवा, अर्थात 18-35 वर्ष के आयु वर्ग में 60 करोड़ भारतीय नागरिक आते हैं। प्रत्येक भारतीय की औसत आयु मात्र 29 वर्ष है जबकि चीन के नागरिकों की औसत आयु 37 वर्ष एवं जापान के नागरिकों की औसत आयु 48 वर्ष है। इसीलिए भारत को एक युवा देश कहा जा रहा है और पूरे विश्व की निगाहें आज भारत पर टिकी हुई हैं। अब तो यह स्थिति दिखाई देने लगी है कि यदि भारत आर्थिक प्रगति करेगा तो पूरा विश्व ही आर्थिक प्रगति करता हुआ दिखाई देगा, क्योंकि आगे आने वाले समय में भारत में विभिन्न उत्पादों का उपभोग तेजी से बढ़ता हुआ नजर आएगा।

आज भारत में साक्षरता दर 80 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है, जो कि एक बहुत अच्छी दर कही जा सकती है। हालांकि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में शिक्षा का स्तर अलग अलग दिखाई देता है। इसलिए, भारत के युवाओं में कौशल के अभाव में भारत के आर्थिक विकास में इनका योगदान संतोषप्रद स्तर तक नहीं हो पा रहा है, कौशल के अभाव में इस वर्ग की उत्पादकता भी तुलनात्मक रूप से कम दिखाई देती है। भारत के युवाओं में शिक्षा के स्तर को और अधिक सुधारने के लिए अभी हाल ही के समय में भारत में कई नए शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए हैं। जैसे, 150 नए विश्वविद्यालय (वर्तमान में कुल 1070 विश्वविद्यालय कार्यरत) एवं 1570 नए महाविद्यालय (वर्तमान में कुल 43000 महाविद्यालय कार्यरत) स्थापित किए गए हैं। साथ ही, 7 नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वर्तमान में कुल 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कार्यरत) एवं 7 नए भारतीय प्रबंध संस्थान (वर्तमान में कुल 20 भारतीय प्रबंध संस्थान कार्यरत) स्थापित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है। इसी प्रकार, देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी की जा रही है, वर्तमान में भारत में 650 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा चुके हैं। इस प्रकार के प्रयासों से देश के युवाओं में न केवल शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है बल्कि उनका कौशल भी विकसित हो रहा है। अब तो भारत में शिक्षित युवा कई विकसित देशों में पहुंचकर वहां के प्रौद्योगिकी, मेडिकल एवं प्रबंध के क्षेत्र में कई निजी संस्थानों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं एवं इन देशों के कई निजी संस्थानों को तो एक तरह से भारतीय ही चला रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में बेरोजगारी की दर 4.9 प्रतिशत से, कोविड महामारी के चलते, बढ़कर 2020 में 7.5 प्रतिशत हो गई, हालांकि इसमें अब पुनः काफी सुधार दिखाई दिया है। इस बीच केंद्र सरकार ने रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के उद्देश्य से कई उपाय करते हुए कई नई योजनाओं की शुरुआत की है। देश में एक नए कौशल विकास एवं उद्यम मंत्रालय का गठन किया गया है जिसके द्वारा देश के युवाओं में कौशल विकास करने की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्र में उद्यमियों को अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने के उद्देश्य से बैंकों द्वारा आसान नियमों के अंतर्गत ऋण प्रदान करने हेतु प्रधान मंत्री मुद्रा योजना प्रारम्भ की गई है। इसी प्रकार महिलाओं तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उद्यमियों को अपना व्यवसाय प्रारम्भ करने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए स्टैंड-अप इंडिया नामक योजना प्रारम्भ की गई है।

भारत में महिलाओं एवं अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अधिक से अधिक नए अवसर निर्मित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इस वर्ग के नागरिकों का भी देश के विकास में योगदान होता रहे। दूसरा, इस वर्ग के नागरिकों को सक्रिय करने से उद्योग जगत के लिए श्रमिकों की उपलब्धता बढ़ेगी, गरीबी में गिरावट दर्ज होगी, महिलाओं को रोजगार मिलेंगे और उनकी उत्पादकता भी देश हित में काम आने लगेगी, (वर्तमान में देश में महिलाओं की आबादी 50 प्रतिशत है जिसका देश के विकास में योगदान तो उच्च स्तर पर हो ही नहीं पा रहा है) तथा भारत श्रम के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेगा। निचले एवं मध्यम स्तर के श्रमिकों में कौशल विकसित कर उनको आगे के स्तर पर ले जाये जाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं, ताकि निचले स्तर पर नए अकुशल श्रमिकों की भर्ती की जा सके।

भारत में प्रति व्यक्ति आय को अमृत काल के दौरान वर्ष 2047 तक लगभग तिगुना करने की योजना बनाई गई है। प्रति व्यक्ति औसत आय को 445,000 रुपए प्रति वर्ष तक ले जाना है। इसके लिए गांव एवं शहर में निवास कर रहे नागरिकों के बीच औसत आय के अंतर को समाप्त करने की भी योजना बनाई जा रही है। भारत में श्रम बहुत सस्ता है, अतः सस्ते एवं कुशल श्रम को अपनी ताकत बनाकर भारत विनिर्माण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ताकत बनने का प्रयास कर रहा है। साथ ही, भारतीय कुशल श्रम को विभिन्न देशों को भी उपलब्ध कराये जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए छोटे छोटे बच्चों में बचपन में ही सेवा भावना का विकास किया जाता है एवं “वसुधैव कुटुम्बकम” का भाव जगाया जाता है। विशेष रूप से भारतीय महिलाओं में पाए जाने वाले इस सेवा भाव के कारण आज खाड़ी के कई देशों एवं जापान आदि जैसे देशों में भारतीय नर्सों की वहां अस्पतालों में बहुत अधिक मांग है।

केंद्र सरकार एवं कई राज्य सरकारों ने इस संदर्भ में कई विशेष योजनाएं प्रारम्भ की हैं, आज आवश्यकता इस बात की है कि देश के युवाओं को आगे आकर इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपने कौशल को विकसित कर देश के विकास में अपने योगदान को बढ़ाना चाहिए ताकि भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाया जा सके। साथ ही, आज उच्च शिक्षित एवं कौशल प्राप्त भारतीय युवाओं के लिए अन्य देशों में भी रोजगार की दृष्टि से बहुत अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। केंद्र सरकार की नीतियों के चलते कई विकसित देश जैसे, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, अमेरिका, जर्मनी, खाड़ी के देश, आदि तो आज भारतीय मूल के नागरिकों पर विश्वास करते हुए उन्हें राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक आदि क्षेत्रों में आगे बढ़ाने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं।

– प्रहलाद सबनानी

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: american dolleraverage incomeeconomical growthgdpILOyouth empowerrment

हिंदी विवेक

Next Post
फ्रिज या सूटकेस में जाने से बचना स्वरा भास्कर

फ्रिज या सूटकेस में जाने से बचना स्वरा भास्कर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0