क्या जुडिशरी एब्सोल्युट पावर चाहती है ?

लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी मत देखिए चंद्रचूड़ जी, लोग न्यायपालिका पर निगरानी रख रहे हैं.  झूठ फ़ैलाने वालों को तो आप ही बचा देते हैं.
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चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ लगता है सोशल मीडिया द्वारा न्यायपालिका के लिए “watchdog” बन कर उसकी आलोचना से खासे क्षुब्ध हैं – उन्होंने कहा है कि “सोशल मीडिया पर झूठी खबरों के दौर में सच ही शिकार हो गया है – आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है – लोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है – हम अलग-अलग दृष्टिकोणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं”

मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ मीलॉर्ड चंद्रचूड़, सोशल मीडिया पर सब कुछ झूठ नहीं है और जो मौहम्मद जुबैर जैसे Alt News में बैठ कर झूठ की फैक्ट्री चला रहा था और जिसने अनेक इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ खड़ा कर दिया, आप ने उसे Protection दे दिया मौलिक अधिकारों की दुहाई दे कर – जिस व्यक्ति ने टीवी चैनल पर भगवान शंकर का अपमान किया, आपके न्यायाधीशों ने उसे हाथ नहीं लगाया परंतु सुप्रीम कोर्ट की एक होनहार वकील को घर बिठा दिया और सुप्रीम कोर्ट में उसकी इज़्ज़त तार तार कर दी फिर भी आप कहते हैं लोगों में सहनशीलता और धैर्य की कमी है –

सुप्रीम कोर्ट के बेहूदा फैसलों को लोग खून का घूंट पी कर सहन कर लेते हैं – आप बताएं कि विदेश में बैठ कर एक महिला माँ काली का अपमान करे और आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी न होने दें तो क्या तब भी लोग आपका गुणगान करेंगे मगर क्या करें सहन ही कर लेते हैं और याद रखिए धैर्य और सहनशीलता न होती तो ऐसे फैसलों के खिलाफ सड़कों पर आ जाते लोग –

आपने तो उत्तर प्रदेश के दंगाइयों को technical ground पर ही बचा लिया यह कहते हुए कि ये तो निरीह गरीब लोग हैं, ये सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे, यानी आपने उन्हें दंगा करने और जनता की संपत्ति नष्ट करने का दे दिया-

मीलॉर्ड, आपने तो भारतीय सभ्य समाज में शादीशुदा महिला को वैवाहिक जीवन से बाहर संबंध रखने की अनुमति दे दी महिला की Sexual Autonomy के नाम पर, ऐसे फैसलों को भी समाज को सहन करना पड़ा और समलैंगिक रिश्तों को आपने विदेश से लाकर भारतीय समाज पर थोप दिया और अब उन्हें शादी का अधिकार देने की भी कवायद कर रहे हैं आप –

लोगों में धैर्य और सहनशीलता की बात करने से पहले देखते कि कुछ रोज पहले आप SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह के साथ क्या किया, उनका बर्ताव यदि आप सहन नहीं कर सके तो उन पर चिल्लाकर Get out कह कर आपने कैसी सहनशीलता का परिचय दिया था – न्यायाधीशों की सहनशीलता का इसी बात से पता चलता है कि वकील विपरीत फैसलों के डर से सिर झुकाए रहते हैं और इसलिए लिए विकास सिंह के लिए कपिल सिब्बल ने आपसे माफ़ी मांगी जिससे उसके केवल आपकी जीहुजूरी ही की थी –

CJI चंद्रचूड़ ने संविधान का जिक्र करते हुए कहा कि जब इसका मसौदा तैयार किया गया था तो संविधान निर्माताओं को यह पता नहीं था कि हम किस दिशा में विकसित होंगे- उस समय कोई निजता, इंटरनेट, एल्गोरिदम और सोशल मीडिया नहीं था –

आप भूल गए तब कॉलेजियम भी नहीं था और संविधान निर्माताओं को आभास था कि जजों की नियुक्ति यदि सुप्रीम कोर्ट के हाथ में दे दी गई तो न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और इसलिए उन्होंने जजों की नियुक्ति की शक्तियां कार्यपालिका के जरिए राष्ट्रपति को सौपना ही ठीक समझा – परंतु आज न्यायपालिका उनकी इस भावना को कुचल कर Absolute Power हासिल करना चाहती है जबकि यह सब जानते हैं कि Power Corrupts and Absolute Power Corrupts Absolutely और न्यायपालिका ने अपने भ्रष्टाचार को अपने अधिकारों से ढका हुआ है क्योंकि उनकी कोई जांच नहीं हो सकती –

– सुभाष चन्द्र

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