दोगुना शक्ति संचार मां-बेटी की सफल जोड़ियां

समाज में महिलाओं की प्रगति के रास्ते बहुत कम दायरे में खुल पाते हैं इसलिए जब भी ये रास्ते कहीं खुल पाए हैं तो उसके पीछे एक दूसरी महिला, जो मां के रूप में आती है, का हाथ अवश्य रहता है। इसलिए यदि मां और बेटी दोनों सफल हों तो उनकी सफलताओं की यात्रा कुछ अलग ही  कहानी कहती है। 

जीवन के कठिन संघर्षों में यदि कोई साथ हो तो हर मुुश्किल से उबर आना आसान हो जाता है, कोई साथ दे तो संघर्ष का दौर, फिर जब सफलता के मौसम में याद आए, तो होठों पर मुस्कुराहट ले आता है।

किसी का साथ और किसी के साथ से बनी अपनी जोड़ी मुनष्य को एक नई ऊर्जा प्रदान करती है। और यदि ये जोड़ी मां और बेटी की हो तो शक्ति का संचार निश्चित ही दोगुना हो जाता है।

स्त्री सदा से ही शक्ति का स्वरूप रही है। बात चाहे पौराणिक कथाओं की हो या आज की नारी की, स्त्री ने हर दौर में अपने अस्तित्व की विलक्षणता को सिद्ध किया है और इस विलक्षणता का लोहा समाज से मनवाया भी है। निश्चित ही, आत्म निर्भर बनने की गहरी चाह होना एक स्त्री की सफलता की ओर उसका पहला कदम है। और उतने ही महत्वपूर्ण हैं अपने अस्तित्व स्थापना की ओर अग्रसर उसके कदम। आत्मनिर्भर होने की चाह के साथ-साथ अपने अस्तित्व स्थापना को समर्पित हर क्षेत्र में ऐसे कई प्रसिद्ध नाम हैं। और इन प्रसिद्ध नामों में वो नाम और भी खास हो गए हैं जिन्होंने स्वयं को तो सिद्ध किया ही, लेकिन अपने साथ-साथ अपनी बेटी या फिर अपनी मां की प्ररेणा और साथी बनकर उनको भी जीवन में आगे बढ़ाया।

इसका एक जीवंत उदाहरण है कर्नाटक की डॉक्टर मां-बेटी की जोड़ी, जो हाई-स्पीड रैली में नए कीर्तिमान बना रही है। ये जोड़ी कई पुरस्कार भी अपने नाम दर्ज करवा चुकी है।

डॉ. दीप्ति पृथ्वी और उनकी बेटी डॉ. शिवानी पृथ्वी की यह बेमिसाल जोड़ी, मेडिकल के साथ ही रेसिंग ट्रैक पर भी छा गई है। केवल यही नहीं, डॉ. दीप्ति पृथ्वी मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर भी हैं। डॉ.शिवानी ने जब रेसिंग ट्रैक पर उतरने का निर्णय लिया तो मां डॉ. दीप्ति को अपना जोड़ीदार चुना। डॉ.शिवानी का मानना है कि अपनी मां डॉ. दीप्ति से बेहतर को-पायलट उन्हें नहीं मिल सकता था। मां के होने से वो ट्रैक पर बड़ी सुविधा से चलती हैं। उनका एक दूसरे के साथ यह गहरा रिश्ता, एक दूसरे के प्रति सम्मान, उनकी हर कामयाबी की बड़ी वजह है। मां के साथ ने उनके प्रदर्शन को साल दर साल और भी बेहतर बनाया है। मां-बेटी की इस जोड़ी की उपलब्धियां सराहनीय हैं।

बात करें अन्य क्षेत्रों में सफलता को छूती मां-बेटी की जोड़ी की तो बॉलीवुड को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। बॉलीवुड में मां बेटियों की कई जोड़ियां हैं जिन्होंने असंख्य लोगों के हृदयों पर राज किया है। फिर चाहे वो ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और उनकी बेटी ईशा देओल और अहाना देओल हों, शर्मिला टैगोर और सोहा अली खान हों, तनुजा और काजोल, तनिष्का हों, सारिका और उनकी बेटी श्रुति हसन हों, डिम्पल कपाड़िया और ट्विंकल खन्ना और रिंकी खन्ना हों, या फिर नीना गुप्ता और उनकी बेटी मसाबा हों। मां और बेटी ने हर कदम एक दूसरे का साथ देकर सफलता पाई है।

‘ड्रीम गर्ल’ के नाम से मशहूर हेमा मालिनी एक अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक लेखिका, फिल्म-निर्देशक, नृत्यांगना और राजनेता भी हैं और उनके इस बहुमुखी व्यक्तिव का प्रभाव उनकी बेटियों, ईशा देओल और अहाना देओल पर भी गहरा पड़ा है। इनकी दोनों बेटियां भी नृत्यांगनाएं हैं, जो हेमा मालिनी के साथ कई बार मंच पर नृत्य करती नजर आतीं हैं। इसके साथ ही ईशा देओल हिन्दी फिल्मों में बतौर अभिनेत्री भी अपना जलवा बिखेरती दिखाई पड़ती हैं। हाल ही में ईशा देओल की एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है।

मां-बेटी की एक और जोड़ी, डिम्पल कपाड़िया और ट्विंकल खन्ना, केवल बेहतरीन अभिनेत्रियां ही नहीं हैं, बल्कि बेहतरीन बिजनेस वुमन और लेखक भी हैं। डिंपल कपाड़िया एक लाजवाब अभिनेत्री होने के साथ एक कामयाब बिजनेस वुमन भी हैं। सुंदर कैंडल मेकिंग बिजनेस की दुनिया में वे एक बड़ा नाम हैं। जबकि उनकी दोनों बेटियां रिंकी खन्ना और ट्विंकल खन्ना भी अभिनेत्रियां हैं। ट्विंकल खन्ना हिन्दी फिल्मों में अभिनयकर्ता होने के साथ एक बुद्धिजीवी लेखिका भी हैं। उनकी पुस्तकें काफी लोकप्रिय हैं। हर मुश्किल में एक दूसरे का सहारा बनी इस मां-बेटी की जोड़ी सभी के लिए एक मिसाल है। ट्विंकल खन्ना बताती हैं कि अभिनय के क्षेत्र में उन्होंने काम करने का निर्णय ही, घर सम्भालने में, अपनी मां का हाथ बटाने के लिए लिया था। दरअसल, ट्विंकल खन्ना के पिता सुपरस्टार अभिनेता राजेश खन्ना से अलग होने के बाद डिंपल कपाड़िया एक ‘सिंगल मदर’ की सारी जिम्मेदारियां निभाती रहीं। उनके व्यक्तित्व के इस पहलू का प्रभाव ट्विंकल पर कुछ ऐसा पड़ा कि उन्होंने बहुत कम उम्र में ही फिल्मों में काम करने का निर्णय लिया ताकि घर खर्च चलाने में वो अपनी मां का साथ दे सकें। बॉलीवुड की यह मां-बेटी की जोड़ी अक्सर कई कार्यक्रमों में एक साथ शिरकत करती नजर आती है।

अभिनेत्री नीना गुप्ता की संघर्ष की कहानी भी कुछ हद तक डिंपल कपाड़िया से मिलती है। नीना गुप्ता अपने अभिनय के साथ अपने बिंदास स्वभाव के लिए भी मशहूर हैं। उनके जीवन के संघर्षों की कहानी किसी से छुपी भी नहीं है। उन्होंने अभिनेत्री बनने से लेकर एक मां बनने तक, हर कदम पर अपने रास्ते में आईं रुकावटों का बहुत हिम्मत से सामना किया है और इस बात के लिए उनके प्रशंसकों और उनकी बेटी से उन्हें बराबर सराहना मिली है। उनकी बहुत सी मुश्किलों में एक बहुत बड़ी मुश्किल ये थी कि उनकी बेटी मसाबा गुप्ता के पिता मशहूर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स पहले से ही विवाहित थे जिस कारण नीना ने अकेले ही मसाबा की परवरिश की। आज मसाबा एक सफल डिजाइनर हैं। और नीना के ड्रेस भी अब वे खुद ही डिजाइन करतीं हैं। मसाबा ने अपनी मां को हमेशा से प्रेरणा माना है, उनके संघर्षों का सम्मान किया है और हमेशा उनका साथ दिया है। बतौर नीना गुप्ता आज मसाबा उनकी बेस्ट फ्रेंड और उनकी प्रेरणा हैं।

कानपुर शहर के पुलिस विभाग में कार्यरत मां-बेटी की एक निराली जोड़ी है – रंजना गुप्ता और अमृता गुप्ता। प्रशंसनीय है कि ये दोनों ही पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर हैं, लेकिन इससे भी अधिक इनकी जोड़ी की एक और उपलब्धि है जो सभी के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है – और वह है उनका राष्ट्रीय स्तर पर सफल ‘शूटर्स’ होना। कई राष्ट्रीय पदक इन्होंने प्राप्त किए हैं। इस मां बेटी की जोड़ी की एक और ख़ास बात यह है कि रंजना, अमृता की गोद ली हुई बेटी हैं, और उनकी बायोलॉजिकल बेटी ना होते हुए भी वह हुबहू अपनी मां जैसी हैं – और आज उन्हीं की तरह सफल भी। इसका सारा श्रेय वो मां के समर्पण और स्नेह को देती हैं।

अपने लक्ष्यों को लेकर विशिष्ट स्पष्टता और एक दूसरे की सफलता में शक्ति स्तम्भ का काम करतीं इन महिलाओं ने समाज में जो स्थान प्राप्त किया है, वह सराहनीय है। कामयाबी की मिसाल बन इन मां-बेटी की जोड़ियों ने हर कठिनाई को जीतकर, विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर, ना केवल अपने क्षेत्र और देश का नाम रोशन किया है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बन गईं हैं।

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