मोदीराज में आधी आबादी की ऊंची उड़ान

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मोदी सरकार ने शुरुआत से ही महिलाओं की प्रगति पर विशेष ध्यान देना आरम्भ कर दिया था। आज उसके सुपरिणाम समाज में परिलक्षित होने लगे हैं। देश की महिलाएं उन्मुक्त भाव से राष्ट्र के विकास में अपने योगदान को प्रबल बना रही हैं। प्रधान मंत्री कई बार अपने भाषणों में…

काश, मैं भी रेखा पार कर लेती!

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बहुत सारी महिलाओं के साथ यह समस्या रही कि यदि समय पर समाज की बेड़ियों को तोड़ने का प्रयास किया होता तो उन्होंने स्वयं के लिए, समाज के लिए और राष्ट्र के लिए बहुत कुछ किया होता। तब शायद इस विश्व की तस्वीर कुछ अत्यधिक उज्ज्वल होती। वे समाज द्वारा…

दोगुना शक्ति संचार मां-बेटी की सफल जोड़ियां

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समाज में महिलाओं की प्रगति के रास्ते बहुत कम दायरे में खुल पाते हैं इसलिए जब भी ये रास्ते कहीं खुल पाए हैं तो उसके पीछे एक दूसरी महिला, जो मां के रूप में आती है, का हाथ अवश्य रहता है। इसलिए यदि मां और बेटी दोनों सफल हों तो…

महिला वैज्ञानिकों का योगदान और भविष्य

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संक्रमण काल में महिलाओं की शिक्षा को लेकर पनपी उदासीनता के कारण हर क्षेत्र की तरह वैज्ञानिक शोधों के क्षेत्र में भी महिलाओं की संख्या नगण्य है, जबकि वे कम संख्याबल के बावजूद उन क्षेत्रों में बेहतरीन कार्य कर रही हैं। भारत सरकार भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा…

नर तू नारायण नारी तू नारायणी

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स्त्री और पुरुष इस समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। यदि कोई भी पहिया कमजोर या क्षतिग्रस्त होगा तो समाज की प्रगति बाधक होगी। कुछ समय पहले तक महिलाओं को दोयम दर्जे के व्यवहार का सामना करना पड़ता था, जिसमें बहुत तेजी से बदलाव हुआ है। समय आ गया…

महिलाओं को मिले नेतृत्व के समान अवसर

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हर किसी को पता है कि महिलाओं के उत्थान के बिना समाज और राष्ट्र का उत्थान असम्भव है। लेकिन सामाजिक स्तर पर उनकी प्रगति को लेकर उदासीनता का माहौल है। हालांकि वर्तमान भारत सरकार ने महिलाओं को लेकर कई सारी योजनाएं शुरू की हैं तथा उनके सफल क्रियान्वयन को लेकर…

खुद ही खुद को गढ़ना होगा…

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हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। कई वर्षों से यह भारत में भी मनाया जा रहा है। हालांकि यह भारत की सांस्कृतिक देन नहीं है क्योंकि जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ, जन्मतिथि और पुण्यतिथि के अलावा हमारे यहां व्यक्ति विशेष से सम्बंधित दिवस नहीं होते। महिला दिवस…

सावित्रीबाई फुलेः स्त्री शिक्षा की अग्रणी प्रणेता

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दुनिया में लगातार विकसित और मुखर हो रही नारीवादी सोच की ऐसी ठोस बुनियाद सावित्री बाई और उनके पति ज्योतिबा ने मिल कर डाली, जिसने भारत में महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण की नींव रखी। वे दोनों कभी ऑक्सफोर्ड नहीं गये थे, बल्कि, उन्होंने भारत में रहते हुए ही भारतीय समाज…

‘गुलाबी गैंग’ की मर्दानगी

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अंधकार मानव के जीवन में कई रूपों में आता है। कभी-कभी यह अंधेरा इतना घना होता है कि इसे मिटाने के लिये दीप नहीं मशाल की आवश्यकता महसूस होने लगती है। बुंदेलखंड में सन 1962 की दीपावली को जन्मीं संपत पाल ने अपने जीवन को एक ऐसी ही मशाल बनाया। इस मशाल ने न सिर्फ अपने बल्कि अन्य कई महिलाओं के जीवन का अंधेरा दूर किया।

महिलाओं का आक्रोश बदलाव चाहता है – स्मृति ईरानी

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यूपीए सरकार के राज में आम जनता को महंगाई, भ्रष्टाचार, महिला असुरक्षा, खराब प्रशासन जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं न कहीं इन सारी परेशानियों का सीधा असर भारत की महिलाओं पर पड़ रहा है। ये और ऐसी अन्य समस्याओं के बारे में भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य स्मृति ईरानी से हुई बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश-

बचत गट

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पिछले कुछ दशकों में भारतीय महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में खासकर जिन्हें पुरुष प्रधान क्षेत्र माना जाता उनमें स्वयं की मिसाल कायम की है। उन्होंने उन क्षेत्रों में पुरुषों को भी दो कदम पीछे छोड़ दिया है। फिर भी महिलाओं के लिये 33% का आरक्षण मिलने में लंबा अरसा बीत गया।

कामयाबी की राह आसान नही लेकिन हौसला हो तो कुछ नामुमकिन नही

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किसी पुरुष की सफलता के पीछे नारी का हाथ माना जाता है, पर अफसोस उसी नारी को अपना वजूद स्थापित करने के लिए और एक मुकाम हासिल करने के लिए न जाने कितनी ही अग्निपरीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, नारी का जीवन संघर्षमयी होता है। चाहे हालात कैसे भी हो, बचपन, जवानी या फिर बुढ़ापा जीवन के हर पड़ाव पर उन्हें ना चाहते हुए भी पुरुषों पर आश्रित होना पड़ता है। बचपन में लड़कियों को अपने पिता के हर फैसले को मानना पड़ता है।

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