दलितों के हितैषी या मौकापरस्त ?

मुंबई आईआईटी के जिस दलित छात्र संघ सोलंकी ने सुसाइड किया तब तुरंत ही कई वामपंथी मीडिया ने शीर्षक दिया आईआईटी मुंबई में प्रताड़ना से तंग आकर एक दलित छात्र ने आत्महत्या किया. पहले वामपंथी मीडिया को लगा कि दलित छात्र जरूर किसी सवर्ण प्रोफेसर या सवर्ण सहपाठी की वजह से आत्महत्या किया होगा इसीलिए उन्होंने तुरंत ही उस छात्र की जाति बतानी शुरू कर दी.
दलित संगठनों ने आईआईटी मुंबई जाकर बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन करने का आयोजन किया क्योंकि दर्शन सोलंकी गुजरात से था गुजराती था तो जिग्नेश मेवानी ने भी बड़े लेवल पर आंदोलन करने का चेतावनी दिया. दर्शन सोलंकी पढ़ने में ब्रिलियंट था वह रोहित वेमुला की तरह नहीं था जो हर क्लास में लगातार 4 साल फेल होता था और पढ़ाई नहीं बल्कि दलित छात्रवृत्ति लेकर नेतागिरी करता था फिर नियमों के अनुसार उसे हॉस्टल से बाहर कर दिया गया फिर उसने केंद्र सरकार का नाम लिखकर सुसाइड कर लिया.
सोलंकी ने अपने सुसाइड नोट में किसी ‘अरमान अहमद’ जो उसका सहपाठी है उसका नाम लिखा कि वह उसे प्रताड़ित करता था तब सारे दलित संगठन और सारे विपक्षी नेता और इस्लामिक संगठन एकदम चुप हो गए कहीं कोई आंदोलन नहीं हुआ. आपको याद होगा कि अरविंद केजरीवाल रोहित वेमुला को 2 करोड रुपए देने का ऐलान किए थे और रोहित वेमुला का मुद्दा कितने महीनों तक उछाला गया और सबसे बड़ा आश्चर्य हुआ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत ए इस्लामी दोनों ने एक 1 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया हालांकि कुछ ही महीने पहले रोहित वेमुला की मां ने कहा जमीयत और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने इनाम पैसे देने का ऐलान किया था लेकिन उन्हें ₹1 भी नहीं दिया.
भारत के आम दलित मित्रों को यह समझ जाना चाहिए यह जिग्नेश मेवानी यह चंद्रशेखर रावण या चाहे जितने भी दलित एक्टिविस्ट हैं यह सब भारत विरोधी हिंदू विरोधी और इस्लामिक ताकतों के द्वारा संचालित है अगर यह सच में दलित हितैषी होते तो उन मुद्दों पर भी आंदोलन करते जिन मुद्दों में पीड़ित दलित होता है और प्रताड़ित करने वाला कोई मुस्लिम होता है. लेकिन यह हमेशा ऐसे मुद्दों की खोज करते हैं कि जिस में दलित पर किसी सवर्ण ने अत्याचार किया हो और फिर ऐसे ही मुद्दों पर यह जन आंदोलन करते हैं दलितों को भड़काते हैं.
अभी राजस्थान के बाड़मेर में 2 दिन पहले ही एक दलित महिला का बलात्कार करके शकील अहमद ने उसे जिंदा जला दिया जबकि उस घटना के समय वहां से 200 किलोमीटर दूर चंद्रशेखर रावण थे चंद्रशेखर रावण गाड़ी लेकर निकले लेकिन जैसे ही पता चला कि आरोपी मुस्लिम है वह रिटर्न जयपुर चले गए दर्शन सोलंकी के लिए आंदोलन करने के लिए जिग्नेश मेवानी मुंबई के लिए अपना लाव लश्कर लेकर रवाना हुए, बड़ोदरा जाने पर उन्हें पता चला कि उसने सुसाइड नोट में किसी मुस्लिम का नाम लिखा है फिर जिग्नेश मेवानी भी वापस अहमदाबाद आ गए.
दलित मित्रों कभी विचार करना क्या यह सच में दलितों के हितैषी हैं या दलितों के नाम पर हिंदू विरोधी संस्थानों से पैसा लेकर मौज करने वाले दलाल हैं.

Leave a Reply