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वरदान न बने अभिशाप

वरदान न बने अभिशाप

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, तकनीक, दीपावली विशेषांक-नवम्बर २०२३, देश-विदेश, विशेष, शिक्षा, सामाजिक
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तकनीक या विज्ञान जितनी प्रगति कर रहा है उतना ही यह प्रश्न सुरसा की तरह मुंह फैला रहा है कि इसे वरदान कहें या अभिशाप? हालांकि मशीनी युग में भी मानवीय संवेदनाएं ही इसका सही उत्तर देंगी कि मानव के लिए क्या सही है और क्या गलत।

प्रौद्योगिकी और आविष्कार मानवता के इतिहास में एक प्रमुख चरण हैं। इन्होंने हमारा जीवन बहुत सरल और आरामदायक बना दिया है। ऑटोमोबाइल, टेलीविजन, दूरसंचार, संगणक, इंटरनेट जैसे तकनीकी आविष्कारों के बिना हमारा जीवन अधूरा हो जाता। क्या इन आविष्कारों ने वास्तव में हमारे मनुष्यत्व के संस्करण को बदल दिया है? क्या ये वास्तव में हमारे लिए वरदान हैं या फिर अभिशाप? इस विषय में हमारे विचार अलग-अलग हैं। इस लेख में हम इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।

यह निश्चित है कि प्रौद्योगिकी और आविष्कार के कई फायदे हुए हैं। संगणक और इंटरनेट के प्रयोग से हमें अनुकूलता, सुविधा और ज्ञान की विशाल संभावनाओं का आनन्द मिलता है। दूरसंचार के बढ़ते चहुंमुखीकरण से असाधारण तरीके से विचार-विमर्श करने और जानकारी एक-दूसरे तक पहुंचाने की सुविधा मिली है। वह आविष्कार ही तो है जिसकी वजह से मनुष्य विज्ञान और तकनीकी प्रगति कर सका है। इसने न जाने कितने विशाल परिवर्तनों को साधा है। प्रौद्योगिकी और आविष्कारों के बल पर इंसान ने अंतरिक्ष तक का सफ़र तय कर लिया है। इसने हमारे घर से लेकर यातायात, संचार, शिक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा, सुरक्षा, कृषि, अंतरिक्ष तक अपने पैर पसारे हैं। प्रौद्योगिकी के दम पर हमने जल, थल, आकाश की दूरियां नाप लीं। सब-कुछ आविष्कार और प्रौद्योगिकी पर ही केंद्रित है।

हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि प्रौद्योगिकी और आविष्कार दोष संदिग्ध भी हैं। वे कहते हैं कि इन्होंने मानव समाज को औद्योगीकरण, संघर्ष, मनोवैज्ञानिक समस्याओं, पर्यावरण की हानि आदि के मुद्दों का कारण बनाया है, जैसे- औद्योगिक प्रदूषण, विद्युत और नियमित आवश्यकताओं में बदलाव, मानसिक तनाव, समय की बर्बादी। प्रौद्योगिकी आज हमारे जीवन में पूरी तरह स्थान ग्रहण कर चुकी है और अब हर क्षेत्र में उसका असर दिखाई देने लगा है।

अब मानव समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल उठने लगता है कि क्या हमें इन नई तकनीकों का उपयोग करते रहना चाहिए या हमें इनसे दूर रहना चाहिए? हम इन तकनीकों के प्रभाव को समझ रहे हैं या नहीं? विचार-विमर्श करते समय हमें यह सोचना चाहिए कि क्या ये तकनीकी आविष्कार हमारा उत्थान कर रहे हैं या इनके आरंभ से ही ये अभिशाप की ओर जा रहे थे।

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि तकनीकी विकास हमारी जरूरतों को पूरा करने वाला माध्यम होता है। हालांकि, जब हम वैज्ञानिक प्रगति में एक यात्री बन जाते हैं तो हमें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमेशा से सर्वोच्च रुचि रही है। हर साल नए उपयोगी आविष्कार संभव बनाने वाली प्रौद्योगिकी जीवन को सुखी और सरल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्रौद्योगिकी का ही कमाल है कि विशाल सा दिखने वाला कंप्यूटर मोबाइल के रूप में आपके जेब में है। अब दुनिया नैनो प्रौद्योगिकी की ओर कदम बढ़ा चुकी है। दूसरी ओर वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव का श्रम संचय कर दिया है।

तकनीकी ने हमारे जीवन को सर्वसुलभ बनाया है वहीं इसने हमारे सामने कई समस्याएं भी खड़ी कर दी हैं। इसके कुछ सकारात्मक पक्ष हैं तो स्याह पक्ष भी हैं। अत्यधिक तकनीकी निर्भरता के कारण कई संकट प्रकट हो गए हैं। वैज्ञानिक प्रगतियों के साथ ही इसके दुष्प्रभावों से हमें जूझना भी पड़ रहा है। प्रदूषण, असंतुलित जीवनशैली, जलसंकट, वनों का विनाश, औद्योगिक कचरा, महामारी जैसे कारकों से आमजन जूझ रहा है। इसके अलावा प्रौद्योगिकी के अति उपयोग से भूमण्डलीय तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जो जीवन को दुरूह बनाने का काम कर रहा है।

प्रौद्योगिकी और आविष्कारों के मद में अंधी हो चुकी दुनिया के सभी देश एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। अधिकतर देशों ने आधुनिक हाइड्रोजन और परमाणु बम जैसे विध्वंसक हथियार बना लिए हैं जो सम्पूर्ण मानवजाति के लिए खतरा हैं।

विषाणु शक्ति और शैवाल शक्ति का उपयोग और वाणिज्यिक उद्योगों एवं विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों ने पर्यावरण को अस्थायी और स्थायी हानि पहुंचाई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने मानसिक तनाव, सोशल मीडिया पर चल रही तकरार, मानसिक बीमारियों का बढ़ना और मनोवैज्ञानिक समस्याओं को गति दी है। लाइफस्टाइल बदलाव ने व्यावहारिक समय योजनाएं और कार्य-शैली में बदलाव ला दिया है। हम अपने दूसरे कर्मचारियों या संबंधित व्यक्तियों के बारे में सोचने की बजाय स्मार्टफोन में व्यस्त हो गए हैं।

एआई और रोबोटिक्स

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट के आ जाने से स्कूलों में पढ़ाने के तरीकों में बदलाव आया है। विजुअल तकनीक के माध्यम से आज कठिन विषयों को भी आसानी से पढ़ाया जा रहा है। प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में विज्ञान के उन्नत विषय एआई और रोबोटिक्स का महत्वपूर्ण स्थान है। अब इस नए युग में एक नई सीमा तय हो रही है। लेकिन, क्या एआई और रोबोटिक्स का उपयोग हमें वास्तव में पूरी तरह से वरदान है या अभिशाप? इस बारे में चर्चा करना उचित होगा।

जब विचार आता है कि एक रोबोट समूह अपने आप में कार्य संपादित कर रहा है और लोगों को अपने काम से आराम पहुंचा रहा है, तो रोबोटिक्स और एआई सभी प्रसंगों से बेहतर अहसास होता है। इन सभी संबंधों से सामाजिक रूप से पहले स्वस्थ और लचीला होना होगा ताकि बाद में हम उन्हें आसानी से संबोधित कर पाएं। लेकिन हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी प्रौद्योगिकी की तरह, एआई और रोबोटिक्स भी संभावित नकारात्मक प्रभावों का प्रदर्शन कर सकते हैं। एआई बिना संबोधन मांगे कार्य के लिए सुविधाजनक हो तो यह स्वीकार्य है। उदाहरण के लिए, एक होटल जहां ऑर्डर लेना अहम् कड़ी होती है और खाना आने में ज्यादा समय लगता है। ऐसे में एक स्वचालित ऑर्डर लेने वाला उपकरण अत्यंत सुविधाजनक होता है। इस तरह एआई कंपनियों में खुशी की लहर नहीं होगी, तो क्या होगा। आइए, फिर इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों के विषय में सोचें।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानवीय त्रुटि को कम करने के साथ-साथ तेज़ी से निर्णय लेने, कम जोखिम और बेहतर कार्य-व्यवहार में अहम् भूमिका निभाता है। लेकिन इस पर निर्भरता काफी खतरनाक हो सकता है। इसके उपयोग से रोजगार में कमी, रचनात्मक क्षमता का अभाव, भावनात्मक लगाव, नैतिक दुविधाएं, गोपनीयता और डेटा जैसी सुरक्षा चिंताएं, निर्भरता एवं विश्वसनीयता जैसे मुद्दे समय-समय पर सामने आते रहेंगे।

अगला कदम रोबोटिक्स के विषय में है। स्वचालित रोबोट सुविधाजनक हो सकते हैं। रोबोट से प्रभावशीलता (लगातार कम करने से अधिक लागत वसूली), उत्पादकता में वृद्धि, खतरनाक वातावरण में कार्य करने की क्षमता, बिना थके लंबे समय तक कम करने की प्रवृत्ति आर्थिक और शारीरिक रूप से तो मददगार है, लेकिन यह मानव के रोजगार छीन सकता है जिससे आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होंगी। दूसरा रोबोट केवल वही कार्य कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें प्रोग्राम किया गया है। वे कहीं भी इंसानी क्षमता का मुकाबला नहीं कर सकते। और सबसे बड़ा कारण है कि इनकी प्रारंभिक लागत, रखरखाव थोड़ा मुश्किल है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर कार्य करने के लिए प्रोग्राम करने की आवश्यकता होती है।

यह सौ फीसदी सच है कि तकनीकी के प्रयोग और आविष्कारों से हमारा भविष्य संवरेगा, लेकिन तकनीक को अपने ऊपर हावी होने देना हमारी सोचने-समझने की क्षमता को बर्बाद कर देगा। इसका सदुपयोग और दुरुपयोग स्वयं मनुष्य के हाथ में है। यदि हम इसका दुरुपयोग करेंगे तो यह हमारे लिए विनाशकारी साबित होगा। दूसरा यह कि एआई और रोबोटिक्स के उपयोग से समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग भुखमरी के मुहाने पर खड़ा हो जाएगा। हमें चाहिए कि हम आविष्कारों के सहयोग से तकनीकी को उन्नत करें, लेकिन सम्पूर्ण मानवजाति के हित को ध्यान में रखते हुए उसका सदुपयोग करें तो निश्चित रूप से यह हमारे लिए वरदान साबित होगा, अन्यथा यह अभिशाप बनकर रह जाएगा।

                                                                                                                                                                                           अनुपमा गोरे 

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