हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
परिधानों में दिखती परंपरा

परिधानों में दिखती परंपरा

by निहारिका पोल
in महिला, विशेष, संस्कृति, सामाजिक, सांस्कृतिक गोवा विशेषांक दिसम्बर २०२३
0

परिधानों में कुनबी सूती साड़ी,पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। वहीं मांडो का परिधान पानो भाजु विशिष्ट परिधान है। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है।

गोवा ‘पूर्व का रोम’ और ‘पुर्तगाली कॉलोनी’ जैसे नामों से पहचाना जाता है। पुर्तगालियों ने गोवा पर 450 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया था। इस दौरान यह पुर्तगाली प्रभाव से ओतप्रोत हो गया। आज भी यहां की जीवनशैली, खान-पान और वेशभूषा पर यह असर साफ़ नज़र आता है। भारत का ही एक राज्य होने के बाद भी यह सभी राज्यों से भिन्न है। देखा जाए तो यह पूर्वी और पश्चिमी सभ्यता का बेहतरीन मेल है। सबसे ख़ास बात यह है कि गोवा में ऐतिहासिक विरासतों को भली-भांति सहेजकर रखा गया है। यहां की सांस्कृतिक धरोहरों में राजाओं के पश्चिमी परिधान मुख्य रूप से शामिल हैं।

किसी एक परिधान को यहां की परंपरागत वेशभूषा नहीं कहा जा सकता। कुनबी साड़ी, पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। क्रिसमस, ईस्टर, कार्निवल, दिवाली, शिगमो (वसंतोत्सव), चावोथ (गणेश चतुर्थी), संवत्सर पड़ाव (गुड़ी पड़वा), दशहरा आदि यहां मनाए जाने वाले मुख्य त्योहार हैं। त्योहारों के ज़रिए यहां की वेशभूषा के बारे में विस्तार से जाना जा सकता है। कहा जाता है कि गोवा के लोग संगीत और खेलों के लिए ही पैदा हुए हैं। पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा के घर-घर में संगीत की मौजूदगी थी। गोवा के सांस्कृतिक नृत्यों में डेकनी, फुगड़ी, कॉरिडिन्हो, मंडो, डुलपोड और फाडो शामिल हैं।

गोवा की पहचान कुनबी साड़ी

कुनबी गोवा में रहने वाली आदिवासी जनजाति है, जिनका परिधान आज गोवा की पहचान बन गया है। कुनबी सूती साड़ी है, जिसमें स़फेद रंग के छोटे चौख़ाने होते हैं। चेक्स पैटर्न की यह साड़ी किसान व कामगार महिलाएं पहनती हैं। इसके बॉर्डर डॉबी (कपड़ा बुनाई का एक प्रकार) में रेशमी धागों का प्रयोग किया जाता है। साड़ी के चेक्स पैटर्न को नवग्रह या नवरत्न भी समझा जाता है। कुनबी का शाब्दिक अर्थ है, कुन यानी लोग और बी यानी बीज अर्थात एक बीज से कई बीज बनाने वाले लोग। यह ़फैब्रिक मूल रूप से किसानों और कामगारों की पहचान हुआ करता था। 1940 के पहले तक छह गज की इस साड़ी को बिना ब्लाऊज़ के ऐसे पहना जाता था कि शरीर का आगे और पीछे का हिस्सा इससे ढक जाए। अब इसे पहनने के कई तरी़के हैं।

मूल रूप से कुनबी लाल रंग की होती है। इसके अलावा इसके कुछ तय रंग हैं, जो जीवनक्रम के हिसाब से तय किए गए हैं। पीला (केसरा) रंग युवावस्था का प्रतीक है। लाल तमोध और हरा हिरवा कहलाता है। शादी-ब्याह में बैंगनी और वृद्धावस्था और मृत्यु के दौरान काला रंग पहना जाता है। पुरुष लाल-स़फेद धोती पहनते हैं, जिसे काष्टी कहते हैं और नारियल के पेड़ पर आसानी से चढ़ जाते हैं। महिलाओं द्वारा इसे बांधने का तरीक़ा भी विशिष्ट है। इसमें साड़ी को प्लीट्स बनाकर घुटनों तक पहनते हैं और पल्लू को गांठ लगाकर कंधे पर बांधा जाता है। यहां फुगड़ी, ढालो जैसे सांस्कृतिक नृत्य में महिलाएं लाल रंग की स़फेद चौख़ाने वाली कुनबी साड़ी ही पहनती हैं।

माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। यहां की ज़्यादातर महिलाएं महाराष्ट्रीयन नऊवारी यानी नौ गज़ की साड़ी पहनती हैं। नऊवारी कुनबी, बड़ी, छोटी लंबाई के साथ दहावारी और चव्वारी रूप में भी मिलती है। इसके साथ महिलाएं बालों का जूड़ा बना उसे गजरे से सजाती हैं। माथे पर बिंदी या तिलक लगाकर सोने के कुंडल, अंगूठी पहनती हैं। इसके अलावा वालो (छोटा तौलिया), तुवालो (तौलिया), चादोर (चादर) और पारंपरिक गोद्दा साड़ी भी बनाई जाती थी। कुछ जनजातियों की महिलाएं पेड़ों की छाल से बने वस्त्र यानी वल्कल को विभिन्न बीड्स की माला के साथ पहनती हैं।

मांडो का परिधान पानो भाजु

यह गोवा में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला विशिष्ट परिधान है। इसमें धोती जैसी स्कर्ट, कढ़ाई किए हुए ब्लाऊज़ के साथ पहनी जाती है और इसके ऊपर एक स्टोल या दुपट्टा डालते हैं। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है। 19वीं और 20वीं सदी में मांडो गोवा के कैथोलिकों के बीच मनाया जाने वाला म्यूज़िकल ़फेस्टिवल था। पुरुष फॉर्मल कपड़े पहनते हैं, वहीं महिलाएं पानो भाजु पहनती हैं। पहले यह ड्रेस मलमल, रेशम से बनाई जाती थी, जिस पर सोने या चांदी का काम होता था। लाल, नीला और हरा रंग इसमें प्रमुख थे। वहीं स्टोल का रंग नीला या स़फेद होता। इसके साथ मोजे़ स़फेद रंग के ही पहने जाते थे। अब इसके रंगों में प्रयोग होने लगे हैं।

इस परिधान से जुड़ी एक रोचक बात। प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट मारियो मिरांडा ने 1990 के दशक में ़फैशन डिज़ाइनर वेंडेल रॉड्रिक्स को मैसेज भेजकर पूछा था, ‘मुझे पानो भाजु की उत्पत्ति से लेकर उसके इतिहास के बारे में सबकुछ बताओ।’ यह संदेश पढ़कर वेंडेल ने पानो भाजु के बारे में जानकारी जुटाई और धीरे-धीरे गोवा के ़फैशन इतिहास को खंगालते हुए 2012 में अपनी किताब, ‘मोडा गोवा : हिस्ट्री एंड स्टाइल’ प्रकाशित की।

मछुआरी महिलाओं की काष्टा साड़ी

गोवा कोंकण क्षेत्र में आता है और यहां के कई क्षेत्रों की आबादी मछली आधारित व्यवसाय पर निर्भर है। मछुआरों के परिधान अलग होते हैं। पुरुष यहां रंगीन टी-शर्ट या बनियान के साथ घुटने तक लुंगी बांधते हैं। सिर पर टोपी, अमूमन लाल रंग की पहनी जाती है। शादी के मौ़के पर पुरुष रंगीन टी-शर्ट के साथ स़फेद लुंगी पहनते हैं, जिसके बॉर्डर पर रेशमी धागों का काम होता है। वहीं, महिलाएं काष्टा साड़ी पहनती हैं। काष्टा साड़ी महाराष्ट्र में भी पहनी जाती है। इसमें नऊवारी साड़ी को घुटने के ऊपर तक ही बांधा जाता है ताकि काम करने में आसानी हो। किसान महिलाएं साधारण पल्लू रखती हैं, जबकि कोली महिलाएं इसे दो भाग में पहनती हैं। एक भाग नीचे की धोती के लिए और दूसरा दुपट्टे की तरह पहना जाता है।

शिमगोत्सव और पारंपरिक परिधान

फागुन मास की पूर्णिमा को गोवा में सबसे बड़ा हिंदू उत्सव शिमगो मनाया जाता है। यह वसंतोत्सव का एक रूप है। देवी-देवताओं की पूजा के बाद ढोल, ताशे, नगाड़े बजाते हुए झूमते-गाते लोग जुलूस निकालते हैं। यहां दो तरह के शिगमो उत्सव मनाए जाते हैं: ढाकतो (छोटा) शिमगो और वहादलो (बड़ा) शिमगो।

ढाकतो शिमगो

पूर्णिमा से पांच दिन पहले मनाया जाता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूर और किसानों द्वारा मनाया जाता है।

वहादलो शिमगो

पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव वसंत आगमन के साथ उन योद्धाओं की घर-वापसी के सम्मान में मनाया जाता है, जो आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए गए थे। इस उत्सव में पुरुष कुर्ता (स़फेद या नारंगी), धोती या पाजामा पहनते हैं व सिर पर पगड़ी बांधते हैं। वहीं महिलाएं कोली यानी घुटनों तक बांधी गई नऊवारी साड़ी पहनकर नृत्य करती हैं।

गोवा कार्निवल की लाल-काली ड्रेस

कार्निवल नाम सुनते ही ब्राज़ील या त्रिनिदाद की गलियों में रंग-बिरंगे व अनोखे परिधानों से सजे लोग याद आते हैं, जो झूमते-नाचते उत्सव का आनंद उठाते हैं। यही रौनक़ दिखती है गोवा कार्निवल में, जो अबकी बार 26 फ़रवरी से 1 मार्च के बीच होना प्रस्तावित है।

गोवा कार्निवल की ख़ासियत है कि इसमें राज्य की अलग-अलग सांस्कृतिक विशेषताओं का संगम देखने को मिलता है। गोवा के राजा मोमो इसकी अगुवाई करते हैं। मौज-मस्ती और संगीत से सराबोर इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं और इसका आनंद उठाते हैं।

इसमें लोग रंग-बिरंगे कपड़ों और विभिन्न प्रकार के मास्क में हिस्सा लेते हैं। महिलाएं, बच्चे, पुरुष और बुज़ुर्ग सभी इसमें रम जाते हैं। कार्निवल के आख़िर में प्रसिद्ध लाल व काले रंग के परिधानों में डांस होता है। इसमें महिलाएं लाल टॉप, काला स्कर्ट पहनती हैं और पुरुष लाल शर्ट व काली पैंट पहनकर संगीत की तेज़ धुनों पर जमकर थिरकते हैं। पुराने समय में कार्निवल परेड में पुरुष प्रतीकात्मक युद्ध प्रस्तुत करते थे। इसमें प्रेमी अपने प्यार का इज़हार भी करते हैं। गोवा में कार्निवल की शुरुआत पुर्तगालियों ने ही की थी। इसे पहले स़िर्फ कैथोलिक मनाते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह अपनी तरह का एकमात्र ऐसा उत्सव बन गया, जिसमें सभी हर्षोल्लास से भाग लेते हैं। तीन दिन का कार्निवल लेंट महीने की शुरुआत से पहले मनाया जाता है। लेंट महीने में लोग मांस से परहेज करते हैं और कुछ उपवास भी करते हैं। यह महीना ईस्टर पर ख़त्म होता है और कैथोलिकों के लिए यह बहुत बड़ा उत्सव होता है।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

निहारिका पोल

Next Post
भारत विरोधियों को सबक सिखाने राष्ट्रहित में करें मतदान

भारत विरोधियों को सबक सिखाने राष्ट्रहित में करें मतदान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0