तटीय पर्यटन है गोवा की शान

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गोवा अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है। यहां आनेवाले देशी-विदेशी पर्यटक यहां की मनमोहक छटा को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते है। गोवा अपने समुद्री तट के लिए विख्यात है।गोवा में पर्यटक भीड़-भाड़ से दूर एकांत और शांत समुद्री लहरों का आनंद लेना चाहते हैं।

कसकते इतिहास का दमकता वर्तमान

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गोवा के मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। हम इतिहास के पन्ने पलट कर देखें तो पुर्तगालियों द्वारा आक्रमण और धर्मांतरण के दौरान गोवा के कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था, कई मंदिरों को स्थानांतरित किया गया। इस कसकते इतिहास का वर्तमान दमकता हुआ है।

विभिन्न जायकोंसे महकता गोवा

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एक हिन्दू मांसाहारी व्यक्ति के आहार में मुख्य रूप से चिकन, अंडे और मछली शामिल होते है। गोवा में मटन का प्रयोग आमतौर पर कम ही होता है क्योंकि मछली प्रचुर मात्रा में होती है। किसी ने सच ही कहा है कि गोवा के लोगों को फिश करी और तली हुई मछलियां स्वर्गीय आनंद देती हैं।

अस्पृश्यता के घोर विरोधी बालासाहब देवरस

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अपने बाल्यकाल में कई बार दलित स्वयंसेवकों को अपने घर ले जाते थे और अपनी माता से उनका परिचय कराते हुए उन्हें अपने घर की रसोई में अपने साथ भोजन कराते थे। मई 1974 में पुणे में दिए गए इस उद्बबोधन में आपने अस्पृश्यता प्रथा की घोर निंदा की थी और संघ के स्वयंसेवकों से इस प्रथा को समाप्त करने की अपील भी की थी।

परिधानों में दिखती परंपरा

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परिधानों में कुनबी सूती साड़ी,पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। वहीं मांडो का परिधान पानो भाजु विशिष्ट परिधान है। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है।

सरकार आपके द्वार

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विकास का घोड़ा योजनाओं पर दौड़ा। जी हां गोवा के संदर्भ में यह पूरी तरह सटीक बैठती है। गोवा राज्य के विकास के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की गई हैं। योजनाएं कागजों पर ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरी तरह से कार्यान्वित भी है। एमपीएलएडीएस हो, या फिर महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं हों, मछुआरों की नावों का आधुनिकीकरण हो या फिर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना या अन्य योजनाएं हों, सभी का लाभ लाभार्थियों को मिल रहा है। विकास की ताल पर सरकारी योजनाएं चल रही हैं।

गोवा विकास का नया मॉडल – प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी

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‘आत्मनिर्भर भारत-स्वयंपूर्ण गोवा’ विषय पर श्रोताओं को दिए गए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन का शब्दांकन

आदर्श स्थापित करना मेरा लक्ष्य डॉ. प्रमोद सावंत – मुख्यमंत्री-गोवा

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गोवा राज्य की प्रतिमा अभी तक भोग-भूमि के रूप में की जा रही थी। वर्षों तक राजनैतिक उदासीनता के चलते गोवा का विकास कई रोडों में अटका रहा। परंतु आज उसे एक ऐसा नेतृत्व प्राप्त है, जिसके पास गोवा के विकास का स्पष्ट रोड मैप तैयार है। भविष्य का गोवा कैसा होना चाहिए, इसकी स्पष्ट संकल्पना उनके मस्तिष्क में तैयार है। गोवा के मुख्य मंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने साक्षात्कार में उनकी गोवा के विकास के प्रति कटिबद्धता को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया है।

जौहरी का हीरा

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कहते हैं, हीरे की परख जौहरी ही कर सकता हैं। मनोहर पर्रिकर ने डॉ. प्रमोद सावंत को परख तो लिया ही था, परंतु अपनी मेहनत, लगन और कर्तव्यपरायणता से वे दिन - प्रतिदिन अधिक चमकते जा रह हैं। उनकी राजनैतिक यात्रा उनके गुरू को दी जा रही गुरुदक्षिणा के समान ही है।

भाऊ से भाई तक गोवा की राजनीति

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भाऊसाहब का सिद्धांत था कि प्रशासन लोकोन्मुख और केवल जनता की सुविधा के लिए होना चाहिए। यही सिद्धांत पर्रिकर ने अनेक वर्षों के बाद चलाया। इन सभी प्रयासों और ईमानदारी के कारण सन 2002 में हुए चुनाव में पार्टी के 17 विधायक विजयी हुए।

चमकते सितारे

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गोमांतकीय संगीत की उत्पत्ति और वृद्धि प्रमुख रूप से देवस्थानों के परिसरों में ही हुई। गोमांतकीय उत्तम गायक-गायिका, नर्तक-नर्तिका तथा वादक मंदिर परिसर में ही निर्माण हुए। अनेक कलाकारों ने अपने संगीत का बीजारोपण गोवा से किया।

सर्व समावेशी लोक कलाएं

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लोगों के समूह की भावनात्मक दुनिया की कलात्मक अभिव्यक्ति ही लोककला है। ऐसे लोकजीवन में अभी तक जी जान से संभाल कर रखी हुई संस्कृति खंडित होती जा रही है। बदलती हुई ग्राम व्यवस्था, पर्यावरण में होने वाले अकल्पनीय परिवर्तन, विघटित सामाजिक संरचना, घटते हुए जीवन मूल्य ऐसे अनेक कारण परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।

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