राष्ट्र का आदर्श स्तम्भ राममंदिर

जन-जन में राम और घर-घर में श्रीराम व्याप्त करने के लिए विहिप द्वारा जन अभियान चलाया जा रहा है। राम के आदर्श को अपनाकर सुख और शांति के मार्ग पर चल सकते है।  श्रीराम ने अपने चरित्र से सबको शिक्षा दी। सब में राम हो,सब में रामत्व हो।

श्रीराम मंदिर से राष्ट्रनिर्माण करने के उद्देश्य से जन-जन तक और घर-घर तक जाने हेतु विश्व हिन्दू परिषद ने इस अभियान में हिस्सा लिया है और यही हमारी भूमिका है।

हम सब भेदों को अस्वीकार करके समरस हिन्दू समाज का निर्माण करने हेतु सभी के पास जाएंगे। रामजी नंगे पांव गए थे, तापस वेष में गए थे उस प्रक्रिया में उन्होंने सारे समाज को जोड़ दिया था। अनुसूचित जाति-जनजाति, वनवासी आदि निचले वर्ग को भी उन्होंने अपने आत्मीय स्नेह-प्रेम से मित्र और भाई बना लिया था।  इसलिए यह अभियान और मंदिर का निर्माण इस तरह के भेदों को नष्ट कर देगा और समाज को संगठित एवं समरसता से भर देगा। राम कथा का प्रचार ही राम मंदिर से राष्ट्रमंदिर का निर्माण करेगा।

इसके अलावा राम ने धनुष उठा कर यह प्रतिज्ञा की थी कि इस धरती को मैं निशाचर विहीन कर दूंगा और उन्होंने किया भी। आतंकवाद का नाश करना ही रामराज्य की ओर प्रयाण है। यह भारत के जगतगुरु होने का प्रयाण है और यह वह यशोभूमि है जिसने पुस्तक से नहीं अपितु अपने चरित्र से लोगों को शिक्षा दी है। दुनिया के लोगों को सुख और शांति का मार्ग भारत अपनी प्रतिमा से बता सके, ऐसे स्वर्णयुग की ओर हम प्रस्थान कर रहे हैं।

जन-जन में राम और घर-घर में राम व्याप्त करने के लिए जन अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें देश की  जनता भी भाग ले रही है। राम सबको सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांध रहे है, मर्यादाओं के रूप में, राष्ट्र जीवन के लिए अभूतपूर्व कार्य हो रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि राममंदिर का निर्माण राष्ट्र के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा और देश की एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता के आदर्श स्तंभ के रूप में स्थापित होगा।

हम अपने स्वाभिमान की पताका को एक हजार वर्ष तक रहने वाले भवन से फहरा रहे हैं। यह भवन इस बात की दुनिया में घोषणा करता है कि अब हिन्दू कमजोर नहीं है। अब हिन्दू असंगठित नहीं है। अब हिन्दू दुनिया में अपना दायित्व निभाने के लिए संगठित सामर्थ्यवान होकर खड़ा होगा और विश्व को बताएगा कि शक्ति केवल साम्राज्यवादी विस्तार के लिए नहीं होती, विश्व शांति और सुख के लिए भी होती है। यह सब हमारे पीढ़ी में हो रहा है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हम अपनी आंखों के सामने राममंदिर बनता हुआ देख रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है।

                                                                                                                                                                                          आलोक कुमार 

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