भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी राजनीतिक पारी सुरू करनेवाले आम आदमी पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल खुद शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार हो गए। भ्रष्टाचार विरोध में बड़े-बड़े वादे और नारे देकर दिल्ली की पाने वाले मुख्य मंत्री ने आम आदमी पार्टी को कलंकित कर दिया है।
ईसा की 21वीं सदी का दूसरा दशक भारतीय राजनीति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नीत गठबंधन 2009 में दूसरी बार सत्ता में आया और इसके साथ ही 2जी, कोयला आदि घोटालों के कारण राजनीतिक, सामाजिक जीवन में क्षोभ भी बढ़ता गया। इसी समय महाराष्ट्र में अपने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण प्रसिद्ध हुए अन्ना हजारे ने भी दिल्ली की ओर अभियान किया और लोकपाल की नियुक्ति को आधार बनाकर कांग्रेस शासन के विरुद्ध पूरे देश में आंदोलन छेड़ दिया। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल इसी आंदोलन की उपज हैं।
भ्रष्टाचार के विरोध में राजनीति को बदलने के लिए अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने अपनी राजनीति को दिल्ली में केंद्रित किया और जनता के सामने अपनी कट्टर ईमानदार की छवि प्रस्तुत की। पहली बार जब आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा तब उसे बहुमत नहीं मिला। कुछ समय कांग्रेस के समर्थन से सरकार चली, किंतु उसके बाद दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत दिया।
लेकिन पारदर्शिता की बात करने वाली इस नवोदित पार्टी के नेताओं के नाम भी घोटालों में आने लगे। इसके कई नेताओं को फर्जी डिग्री मामलों में भी जेल जाना पड़ा।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा बनाई गई नई शराब नीति भी तब विवादों के घेरे में आ गई, जब इस पर आरोप लगने शुरू हुए कि इसके माध्यम से कमीशन के नाम पर सरकारी धन की बंदरबांट की गई और उसका गोवा के चुनाव में दुरुपयोग किया गया।
केंद्रीय एजेंसियों ने इस घोटाले के तार जोड़ने शुरू किए तो यह दक्षिण में हैदराबाद तक गए। वहां की एक नेत्री के कविता भी जांच के घेरे में हैं। आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले से ही जेल में हैं। अरविंद केजरीवाल को भी ईडी और सीबीआई जांच के दायरे में रखे हुए है। केजरीवाल को ईडी ने एक के बाद एक कुल नौ समन भेजे किंतु मुख्य मंत्री इसे गैर कानूनी बताकर अस्वीकार करते रहे। केजरीवाल की गिरफ्तारी के निहितार्थ बहुत गहरे हैं। अभी तक कोई मुख्य मंत्री अपने पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं हुआ था। हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए तो अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। आज वहां चंपई सोरेन की सरकार है। केजरीवाल की गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि भारतीय राजनीति को दूर तक प्रभावित करेगी। भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक ठोस कार्रवाई को जनता देख रही है और लगातार दो-दो बार भाजपा इसी को मुद्दा बनाकर केंद्रीय शासन में आ सकी है। वास्तव में भारतीय राजनीति ही नहीं अब समाज में भी एक बड़ा परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहा है। इस मुद्दे पर लगातार आंदोलन करते रहे अरविंद केजरीवाल का इस प्रकार शराब घोटाले में गिरफ्तार होने से यह भी सिद्ध हो गया है कि नारेबाजी और मुफ्तखोरी की राजनीति की आयु बहुत लम्बी नहीं होती है।
अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा में अन्ना हजारे पहले ऐसे व्यक्ति थे जो ठगे गए, उसके बाद तो एक लंबी श्रृंखला है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़े एक सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं कि किस तरह उसकी वेबसाइट पर अन्ना हजारे की तस्वीर लगी होती थी और अन्ना हजारे के नाम पर आंदोलन पैसा इकट्ठा कर रहा था। अपनी तस्वीर पर अन्ना ने आपत्ति दर्ज किया और उस वेबसाइट से बाद में हटाया गया। आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता के संस्मरण से यही लगता है कि अन्ना राजनीतिक दल बनने से पहले ही अरविंद केजरीवाल की चाल, चेहरा और चरित्र से परिचित हो गए थे। इसलिए समय रहते ही उन्होंने अरविंद से खुद को अलग कर लिया था। कहा जाता है कि अरविंद केजरीवाल ने उन सभी साथियों को एक-एक करके पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया, जो उनके आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में और शुभचिंतकों में शामिल थे।
डॉ . अजीत कुमार पुरी