गुजरात को विकास का मॉडल बनाने का श्रेय पूरी तरह नरेंद्र मोदी को ही जाता है। उन्होंने जिस दूरदर्शिता, लगन व मेहनत से डेढ़ दशक से भी अधिक समय गुजरात की जनता की सेवा की, उससे गुजरात आज विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए ‘स्वर्णिम गुजरात’ की ओर अग्रसर हो रहा है। प्रस्तुत है, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जी से हुई प्रदीर्घ बातचीत के महत्वपूर्ण अंशः
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के समय का गुजरात और आपके नेतृत्व का गुजरात, दोनों में आप क्या अंतर पाते हैं?
वैसे तो कोई अंतर नहीं है । उस समय भी गुजरात ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ रहा था, और आज भी हम समाज के हर वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं। हां, यह बात अवश्य है कि आदरणीय श्री नरेंद्र भाई के समय चुनौतियां अलग थीं, और आज की चुनौतियां उस समय की चुनौतियों का अगला भाग है। लेकिन एक बात तो तय है कि, गुजरात को विकास का मॉडल बनाने का श्रेय पूरी तरह आदरणीय श्री नरेंद्र भाई को ही जाता है। उन्होंने जिस दूरदर्शिता, लगन व मेहनत से डेढ़ दशक से भी अधिक समय गुजरात की जनता की सेवा की, उससे गुजरात विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। हम तो उन्हीं की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
गुजरात में विरोधी दल विभिन्न रूपों में प्रबल होता दिखाई दे रहा है। इस परिवर्तन को आप किस दृष्टि से देखते हैं?
विपक्ष का विरोध मेरे लिए मायने नहीं रखता है। मेरे लिए जनता मायने रखती है। और, जनता का विरोध वहां होता है जहां ग़रीबी व पिछड़ापन हो। गुजरात तो बरसों से देश के विकास में योगदान करनेवाले सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक रहा है। यहां अधिकतर लोगों के पास रोज़गार व व्यवसाय है । यहां का सामाजिक व आर्थिक स्तर दूसरें राज्यों से कहीं अधिक बेहतर है। मैं यह पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि जनता हमारे साथ है। विकास के आगे किसी भी विपक्षी दल का कोई भी झूठा विरोध या आडम्बर ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगा। गुजरात की जनता बहुत समझदार है। वह भलिभांति जानती है कि कौन उनके हित की बात करता है और कौन केवल अपनी पार्टी के हित के बारे में सोचता है।
गुजरात के युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए आपकी सरकार ने कौन-कौन से निर्णय किए हैं। आपके ये निर्णय गुजरात की बेरोजगारी खत्म करने में किस प्रकार कारगार होंगे?
गुजरात में बेरोज़गारी की बात पूरी तरह निराधार है। गुजरात में युवा सामाजिक व आर्थिक तौर पर पूरी तरह सुरक्षित हैं। जो प्रदेश विकास का पर्याय बन गया हो, जिस प्रदेश के डेवलपमेंट मॉडल की चर्चा देश-विदेश में होती हो, ऐसे प्रदेश में बेरोजगारी का सवाल उठाना, यह विरोधाभास प्रकट करता है। यदि गुजरात प्रगति की राह पर है तो निश्चित तौर पर यहां सबसे अधिक रोजगार के अवसर हैं। वर्ष 2002 से आज तक रोजगार कार्यालय के माध्यम से रोजगार देने में गुजरात देश में सबसे आगे है। इसके अलावा रोजगार मेलों के माध्यम से भी हम हर साल लाखों युवाओं को रोज़गार देते हैं। सरकारी नौकरियों में हमने कई आवेदन निकाले है और 80,000 से अधिक युवाओं को हमनें सरकारी नौकरी दी है।
हाल ही में हमने युवाओं के भविष्य को और अधिक सुरक्षित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री अप्रेंटिसशिप स्कीम’ की शुरुआत की है। इस योजना की शुरुआत के पीछे का विचार यह है कि युवाओं को कुशल बनाने के साथ-साथ प्रशिक्षण की अवधि के दौरान उन्हें वित्तीय सहायता भी दी जाए, ताकि अधिक से अधिक युवा कुशल बनें और उन्हें अपनी कौशल के अनुसार गुजरात में ही अच्छा रोज़गार प्राप्त हो। इस योजना के तहत ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए सरकार 3000 से 4500 रुपए प्रति महीने की आर्थिक सहायता देती है और साथ ही इस योजना से जुड़े यूनिट्स भी प्रशिक्षणार्थी को आर्थिक मदद देते हैं।
युवाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ उन्हें सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त करना हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। मैं समझता हूं कि आनेवाली पीढ़ी को हम जितना अधिक अपनी संस्कृति से जोड़ पाएंगे उतना वह राज्य व देश के लिए एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में बनकर उभरेंगे। हाल ही में हमनें स्कूलों में कक्षा-1 से लेकर कक्षा- 10वीं तक गुजराती भाषा को अनिवार्य कर दिया है ताकि युवा अपनी संस्कृति के साथ-साथ गुजराती भाषा की समृद्धता को भविष्य में भी बनाए रखें।
क्या गुजरात से उठा आरक्षण का मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए सिरदर्द बनेगा? इसके निवारण के लिए आपने क्या कार्य किए हैं?
यह मुद्दा बिल्कुल नहीं है। लोकसभा के चुनाव केंद्र सरकार के कार्यों पर होंगे न कि राज्यों के मुद्दों पर। और, वैसे भी मेरा मानना है कि गुजरात के युवाओं के बीच आरक्षण उतना बड़ा मुद्दा था ही नहीं, जितना कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने दिखाया है। विधान सभा चुनावों में हमारी जीत इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। गुजरात में मुख्यमंत्री युवा स्वावलम्बन योजना संचालित है; जो कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों को शिक्षा के लिए मदद करती है। इसके अलावा हमने बिन-अनामत शैक्षणिक आर्थिक विकास निगम का भी गठन किया है और इसके लिए 500 करोड़ रुपए से अधिक का आवंटन भी किया है। आरक्षण के कारण समाज में जहां भी अंतर आ रहा है, हम उसे पूरा कर रहे हैं। हमारी प्रतिबद्धता समाज के हर वर्ग को सशक्त करने की है और हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
‘वाइब्रेंट गुजरात’ ने गुजरात के विकास में किस प्रकार योगदान दिया है?
‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट’ आज केवल गुजरात का नहीं अपितु पूरे देश का कार्यक्रम बन गया है। आज देश के अन्य राज्य भी हमारे इस मॉडल को अपना रहे हैं। ‘वाइब्रेंट गुजरात’ की शुरुआत भी आदरणीय श्री नरेंद्र भाई द्वारा ही की गई थी, और आज इसकी सफलता उनका यह निर्णय सही होने का प्रमाण है। जब मैं यह कहता हूं कि पूरे देश के लिए यह मॉडल कार्यक्रम बन गया है तो स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है कि यह अपने आप में कितना सफल कार्यक्रम है। निश्चित तौर पर इसने गुजरात के सामाजिक-आर्थिक विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। ‘वाइब्रेंट गुजरात’ ने गुजरात के विकास की दशा और दिशा बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। श्री मोदी का उद्देश्य था कि ‘वाइब्रेंट गुजरात’ जैसे बड़े आयोजनों से गुजरात को ग्लोबलाइज किया जाए और हम इसमें सफल भी रहे हैं।
बड़े उद्योग एवं लघु उद्योग, साथ ही ग्राम उद्योग में बढ़ोत्तरी विकास के मुख्य लक्ष्य माने जाते हैं? आपकी सरकार ने इन मुद्दों पर क्या कार्य किए हैं?
निश्चित तौर पर तीनों ही किसी भी राज्य के समावेशी विकास के लिए अत्यंत ज़रूरी है और गुजरात ने हमेशा इन तीनों सेक्टरों को प्राथमिकता दी है। गुजरात आज देश का मैन्युफैक्चरिंग हब तो बन ही चुका है, हमारा लक्ष्य है कि हम इसे विश्व में भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करें। आज गुजरात में हर तरह के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं। जीआईडीसी यानी गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने गुजरात में उद्योगों की स्थापना से लेकर उनके संचालन व उनके प्रबंधन में बहुत ही बेहतरीन कार्य किए हैं। इसके अलावा मध्यम एवं लघु उद्योग की बात करें तो ये जितना गुजरात में फले-फूले हैं, उतना अन्य कहीं नहीं। एमएसएमई को गुजरात में और अधिक बढ़ावा देने के लिए हमने अलग से कमिश्नर ऑफिस का गठन किया है ताकि एमएसएमई संबंधित मामलों में तेजी लाई जा सके। इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर में लागत की कमी के लिए हमने मल्टीलेवल शेड्स का निर्माण कार्य भी शुरू किया है ताकि एक ही स्थान पर कम लागत में अधिक से अधिक एमएसएमई संस्थाओं को व्यापार का अवसर प्राप्त हो सके। हमारी यह नीति भी काफी कारगार साबित हुई है। गुजरात ने बदलते समय के अनुसार अपनी नीतियों में बदलाव किया है जिससे आज गुजरात उद्योगों के विकास व उनकी स्थिरता के लिए पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है । मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात की इन उपलब्धियों पर मुझे अत्यंत गर्व है और मुझे पूरी आशा है कि भविष्य में भी गांव से लेकर शहर तक-राज्य से लेकर देश तक, हर जगह गुजरात अपना सकारात्मक प्रभाव यूं ही बनाए रखेगा।
गुजरात में महिलाएं एवं दलित क्या अपने आपको सुरक्षित महसूस करते हैं? यदि इसका उत्तर हां है तो गुजरात में हुए दलित उत्पीड़न को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
निश्चित तौर पर गुजरात महिलाओं के लिए बहुत ही सुरक्षित है। गुजरात महिलाओं के लिए देश के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक माना जाता है। यहां आधी रात को भी हमारी बहन-बेटियां-माताएं निश्चिंत होकर घूमती हैं। रही बात दलित भाइयों की, तो मैं आपको यह बताना चाहता हूं मेरी सरकार दलित व वंचित वर्ग के लिए बेहद संवेदनशील सरकार है। हमने कई कड़े कदम उठाएं हैं जिनसे उनके साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सके और आने वाले समय में आपको इसके परिणाम अवश्य दिखाई देंगे।
शिक्षा एवं आईटी सेक्टर में सरकार की उपलब्धियां स्पष्ट करें?
गुजरात ने पिछले डेढ़ दशक में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। न केवल कॉलेज एजुकेशन में, बल्कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक हमने अपनी योजनाओं और पहल से गुजरात के बच्चों व युवाओं को शिक्षित बनाने हेतु एक मुहिम छेड़ी है। यह मुहिम आदरणीय श्री नरेंद्र भाई ने शुरू की थी। प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, स्कूलों में नामांकन दर में वृद्धि, उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को आर्थिक सहायता व जरूरतमंद को अवसर प्रदान करना एवं समय के साथ शिक्षा का आधुनिकीकरण, यह सब आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी की देन है। हम भाग्यशाली हैं कि हमें चुनौतियां नहीं बल्कि अवसर विरासत में मिले हैं। हम उन्हीं अवसरों को लाभार्थी बच्चों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। हमारी सरकार का लक्ष्य है कि आज गरीब, आदिवासी, शोषित एवं वंचित और छात्र-छात्राएं अच्छी से अच्छी शिक्षा ले सकें। मुख्यमंत्री युवा स्वावलम्बन योजना, फी रेगुलेशन एक्ट, कौशल विकास केंद्र, केविके यानी कौशल्यवर्धन केंद्र, 13,000 कक्षाओं को स्मार्ट क्लास में परिवर्तित करना आदि कई उपलब्धियां गुजरात को एजुकेशन हब की ओर लेकर जा रही हैं । इसके अलावा, गुजरात में चिल्ड्रन युनिवर्सिटी, फॉरेंसिक युनिवर्सिटी, और भविष्य में बनाए जानेवाली स्पोर्ट्स युनिवर्सटी, मेरीटाइम युनिवर्सिटी एवं रेलवे युनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थान गुजरात में शिक्षा की एक नई कहानी बयां करते हैं। इन सबके साथ-साथ हमने 12वीं पास कर ग्रैजुएशन में आने वाले छात्रों को 1000 रुपए के टोकन मूल्य पर टैबलेट देने का भी काम किया है। पिछले वर्ष हमने इस योजना के तहत लगभग 3 लाख टैबलेट्स छात्रों को दिए हैं। इसके अलावा कॉलेजों में भी हम फ्री वाई-फाई प्रदान कर रहे हैं, जिससे हमारे युवा विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें।
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के समन्वय से कौन-कौन से विकास कार्य चल रहे हैं?
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार यदि मिलकर काम करें तो योजनाओं को शीघ्रातिशीघ्र जनता तक पहुंचाने में मदद मिलती है। आदरणीय श्री नरेंद्र भाई राज्यों को साथ में लेकर चलने में विश्वास करते हैं। गुजरात तो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चल ही रहा है। जब से श्री नरेंद्रभाई प्रधानमंत्री बने हैं गुजरात के कई रुके हुए प्रोजेक्ट्स को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। नर्मदा डैम, मेट्रो परियोजना, अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन जैसी अन्य कई परियोजनाएं हैं, जिनमें केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद गुजरात ने बहुत ही तेजी के साथ काम किया है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान , प्रधानमंत्री उजाला योजना, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं में गुजरात ने काफी अच्छा काम किया है। मैं समझता हूं कि कोऑपरेटिव-फेडरलिज्म की भावना से काम करते हुए हमने कई मानक स्थापित किए हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं को गुजरात सरकार ने पूरी लगन और निष्ठा के साथ लागू किया है ताकि नागरिकों को चौतरफा लाभ प्राप्त हो सके।