पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन मामले में फंसाने के चक्कर में आईएमए खुद ही बुरी तरह से फंस चुका है, क्योंकि आईएमए की संदिग्ध गतिविधियां और एलोपैथ अस्पताल एवं डॉक्टरों की जालसाजी किसी से छुपी हुई नहीं है।
भ्रामक विज्ञापन के विषय को लेकर पतंजलि को जितनी फटकार लगनी थी, वह लग चुकी है। अब लगता है कि पतंजली को घेरते-घेरते इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) खुद घिरता जा रहा है। पतंजलि के बाद अब लग रहा है कि फटकार सुनने की बारी आईएमए की है। आईएमए की वेबसाइट के अनुसार एसोसिएशन से देश भर में 3.5 लाख डॉक्टर जुड़े हुए हैं। देशभर के लगभग सभी जिलों में इसकी 1702 कुल शाखाएं काम कर रहीं हैं। मतलब एसोसिएशन ताकतवर है और उसकी जड़ें दूर- दूर तक फैली हुईं हैं।
एलोपैथ के जाल में फंसे परिवारों में घर तक बिकने की स्थिति आ गई। दिन प्रतिदिन अस्पतालों की चमक दमक बढ़ती जा रही है और रोगी के लिए उपचार कराना और अधिक कठिन होता जा रहा है। एलोपैथ से जुड़े डॉक्टर देश के गांव में जाना नहीं चाहते। जेनरिक दवाएं जब उपलब्ध हैं फिर 10 गुना महंगी दवा खरीदने के लिए रोगी को मजबूर क्यों किया जाता है? एलोपैथ से जुड़े ऐसे दर्जनों प्रश्न हैं, जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता।
कई बार उपचार के नाम पर रोगी को प्रयोगशाला के चूहे की तरह प्रयोग कर लिया जाता है। जिसके लिए क्लिनिकल ट्रायल टर्म प्रयोग होता है। एलोपैथ से जुड़े इन विषयों पर ठीक से कोई अध्ययन होता दिखाई नहीं पड़ता और ना मीडिया के माध्यम से ही कोई सही रिपोर्ट सामने आ रही है।
पिछले कई सालों से अस्पतालों में गर्भवती महिला द्वारा सामान्य शिशु प्रसव की दर कम होती जा रही है। दूसरी तरफ सिजेरियन डिलीवरी अब आम बात हो गई है। सामान्य शिशु प्रसव से सिजेरियन महंगा है और स्त्री शरीर पर इसके दुष्प्रभाव भी हैं। इस सम्बंध में अपने आस-पास के नवजात शिशुओं के अभिभावकों से बात करके छोटा-मोटा सर्वेक्षण कोई कर सकता है, लेकिन इस मुद्दे पर अस्पतालों से ना कोई प्रश्न पूछा जा रहा है और ना यह किसी संस्था के लिए पीआईएल का मुद्दा बनता है।
यह बात स्वास्थ बीमा की महंगी पॉलिसी लेकर अस्पताल जाने वाले रोगी भी जानते हैं कि उनकी अनावश्यक कई जांचें अस्पताल लिख देगा। यह छुपी हुई बात नहीं है। रोगी और डॉक्टर दोनों यह बात समझते हैं। कई फिल्मों में भी इस प्रश्न को उठाया गया है, लेकिन इससे अस्पतालों के रवैए में कोई बदलाव नजर नहीं आया। यहां ऐसे उदाहरण भी हैं जब पांच सितारा अस्पताल ने मृत मरीज को मेडिकल वेंटिलेटर पर सिर्फ परिवार से पैसा ऐंठने के लिए लिटा दिया।
सर्वोच्च न्यायालय में ‘पतंजलि’ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने आईएमए के अध्यक्ष के बयान को लेकर आवेदन दायर कर दिया है। उन्होंने इसे हानि पहुंचाने के उद्देश्य से की गई अपमानजनक टिप्पणी करार दिया। आईएमए के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलोपैथिक डॉक्टरों पर टिप्पणी पर प्रश्न उठाए थे। रोहतगी ने इस पूरे मामले को गम्भीर बताया।
सर्वोच्च न्यायालय के जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस पर कहा कि अगर आईएमए आरोपों पर उत्तर नहीं देता है तो उसे नोटिस जारी किया जाएगा। पीठ ने मामला लम्बित रहने के दौरान डॉ. अशोकन द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस कोहली ने बेहद कड़े शब्दों में आईएमए की तरफ से हाजिर हुए वकील को कहा कि जब मामला अदालत में लम्बित है, तो आपका मुवक्किल इस बारे में साक्षात्कार कैसे दे सकता है?
इस बार इतिहास ने अपने आप को कुछ ही दिनों में दोहरा दिया। कुछ वक्त पहले बाबा रामदेव ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके, अपने गुस्से को सार्वजनिक तौर पर प्रकट किया था, तो उसे मुद्दा बनाकर आईएमए ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया और बाबा रामदेव पर निशाना साधा था। आईएमए के अनुसार- बाबा रामदेव ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस करके एलोपैथ के चिकित्सकों के विरुद्ध दुष्प्रचार किया था। इसके अलावा रोक लगने के बाद भी उन्होंने विज्ञापन प्रकाशित करवाए, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन था। इस बार जब आईएमए प्रमुख डॉ. अशोकन ने वही गलती दोहराई, जिसकी शिकायत लेकर वे न्यायालय में गए थे तो पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने उनकी इस गलती को पकड़ लिया और डॉ. अशोकन के विरुद्ध कार्रवाई की मांग लेकर सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर दी। न्यायालय ने इस मामले में आईएमए प्रमुख को नोटिस जारी करते हुए उनसे उत्तर मांगा। जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामला न्यायालय में लम्बित रहने के दौरान डॉ. अशोकन द्वारा मीडिया में दिए गए साक्षात्कार पर फटकार लगाई। जस्टिस कोहली का आईएमए के वकील से प्रश्न था कि जब मामला न्यायालय में लम्बित है, तो आपका मुवक्किल इस बारे में साक्षात्कार कैसे दे सकता है? आईएमए का आरोप था कि पतंजलि भ्रामक विज्ञापन चला रहा है। कोर्ट ने आईएमए से पूछा कि आप फिर क्या कर रहे हैं, अदालत की कार्यवाही पर टिप्पणियां कर रहे हैं।
आईएमए अध्यक्ष अशोकन ने अपने साक्षात्कार में कहा था कि यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और प्राइवेट डॉक्टरों की प्रैक्टिस की आलोचना की है। उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी ने प्राइवेट डॉक्टरों का मनोबल कम किया है और हमें ऐसा लगता है कि उन्हें देखना चाहिए था कि उनके सामने क्या जानकारी रखी गई है।
आने वाले समय में इस पूरे मामले में यह कयास हर कोई लगा रहा है कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को न्यायालय से कड़ी फटकार लग चुकी है और अब बारी आईएमए की है।